For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

१२२२ १२२२ १२२२ १२२२ - हजज मुसम्मन सालिम

जहाँ से अब ज़रा चलने कि तैयारी करो बिस्मिल
वहम में जी लिए कितना कि बेदारी करो बिस्मिल

जमाने ने किसे रहने दिया है चैन से अब तक
पुरानी बात छोड़ो खुद को चिंगारी करो बिस्मिल

बुरा हो वक़्त कितना भी न घबराना कभी इस से
गया अब वक़्त गर्दिश का न दिल भारी करो बिस्मिल

ग़रीबों का दुखाना मत कभी भी दिल मेरे दोस्त
दुआ किसकी मिलेगी फिर जो ज़रदारी करो बिस्मिल

सवर जाये अगर इस से बुरा क्या है ज़रा सोंचो
कभी इस मुल्क की तुम भी तो सरदारी करो बिस्मिल

    ***(( अय्यूब खान "बिस्मिल"))***

मौलिक एवम अप्रकाशित 

Views: 973

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ayub Khan "BismiL" on November 26, 2013 at 10:38pm

Shukria Nazir NazaR Bhai

Comment by nazir ahmad ansari(Nazir NAZAR) on November 21, 2013 at 10:46pm

वाह बिस्मिल भाई क्या कहने मुबारक 

Comment by Ayub Khan "BismiL" on November 21, 2013 at 10:12pm

Aapki Parkhi Nazar meri gazal pe huyi Ye bhi mere Liye badi baat hai Bhandari sahab ,, apse isi mohabbat ka Talib Rahunga janaab 

Comment by Ayub Khan "BismiL" on November 21, 2013 at 10:11pm

bahut shukria Saurabh Pandey sahab , Vijay Mishr Sahab 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 19, 2013 at 6:10pm

आप इस मंच के अन्य ग़ज़लकारों की प्रस्तुतियों को भी दखते रहें और मनन करें.

बहुत कुछ स्पष्ट होगा. बहरहाल बधाई स्वीकार करें.

Comment by विजय मिश्र on November 18, 2013 at 4:45pm
बहुत खूब लिखा जनाब , उम्दा अशआर ,शुक्रिया
Comment by Dr Ashutosh Mishra on November 18, 2013 at 4:42pm

आदरणीय बिस्मिल जी ..सवर जाये अगर इस से बुरा क्या है ज़रा सोंचो 
कभी इस मुल्क की तुम भी तो सरदारी करो बिस्मिल...थोडा सा अर्थ समझने में मुझे भी दिक्कत आयी पर आपका समाधान पढने से स्पस्ट हो गया ..सादर 

Comment by राजेश 'मृदु' on November 18, 2013 at 3:48pm

हार्दिक बधाई इस सुंदर प्रस्‍तुति पर, सादर

Comment by Nilesh Shevgaonkar on November 18, 2013 at 8:49am

बहुत ख़ूब ... वाह वा 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 17, 2013 at 9:17pm

आदरणीय , खान भाई , आपका शुक्रिया , अर्थ समझाने का , केवल उसी शे र को पढ के  समझना मेरे लिये मुश्किल हो रहा था !!!!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
8 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service