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गर्म हवा है खूब यहाँ की ( गज़ल ) गिरिराज भंडारी

गर्म हवा है खूब यहाँ की

************************

2 2  2 2  2 2   2 2

.

जो भी मुझसे सम्बंधित है

सुख पाने से वो वंचित है

 

मौन यहाँ है सबसे अच्छा

कुछ कहना अब प्रतिबंधित है

 

मै अधिकार कहाँ से पाऊँ  

कुछ विशेष को आबंटित है

 

गर्म हवा है खूब यहाँ की

आज परिन्दा आतंकित हैं

 

अभी छाँव में धूप है शामिल

सारे सुखों मे दुख किंचित है

 

हरदम अड़चन मुझ तक आई

क्या ? कठिनाई नामांकित है

 

ये कैसी दुनिया है भाई

हर माथा सिकुड़ा, चिंतित है 

मधु भावों से आप सभी के

अब मेरा तन मन सिंचित है

 

***************************** 

मौलिक एवँ अप्रकाशित ( संशोधित )

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Comment

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Comment by Nilesh Shevgaonkar on December 2, 2013 at 5:51pm

अंतिम शेर में पर के स्थान पर ही करने से शायद बात बन जाएगी ... 
या फिर ऐसे 

मधु भावों से आप सभी के

मेरा ये तन मन सिंचित है

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 2, 2013 at 5:42pm

आदरणीय गिरिराज क्या खूब सुन्दर ग़ज़ल कही है आपने सभी अशआर बहुत ही संजीदा बन पड़े हैं काफिया तो बहुत सुन्दर एवं आकर्षक है अंतिम शेर पुनः देख लें. इस सुन्दर ग़ज़ल पर बधाई स्वीकारें.

मधु भावों से आप सभी के

पर मेरा तन मन सिंचित है ( कहाँ स्पष्ट नहीं हो पा रहा है पर अटक रहा है शायद मेरा भ्रम हो)

Comment by Nilesh Shevgaonkar on December 2, 2013 at 5:41pm

सुंदर ग़ज़ल कही है ...बधाई 
.

शामिल छाँव में धूप अभी है  

सारे सुखों मे दुख किंचित है.... को 
छाँव, धूप में अभी है शामिल ...करने से ताक़बुले रदीफ़ से बचा जा सकता है 
चूंकि ये मात्रिक बह्र है ..इसमें किसी भी २२२२  को ११२२२  या २ २२११ या १२१२२ या १२२१२ करने की आज़ादी है ..उस का पूरा लाभ उठाया जाना चाहिए ... बधाई पुन: एक बार


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 2, 2013 at 5:28pm

आदरणीय विजय मिश्र भाई , !!!!! गज़ल की सराहना और हौसला अफज़ाई के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया !!!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 2, 2013 at 5:26pm

आदरणीय बड़े भाई अखिलेश जी , गज़ल की सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार !!!!

Comment by विजय मिश्र on December 2, 2013 at 5:09pm
बहुत सुंदर ,प्रवाह का निर्वाह भी उत्तम ,रखने का ढंग भी निराला . सब मिलाकर वाहवाही के योग्य . आभार गिरिराजजी
Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on December 1, 2013 at 9:32pm

छोटे भाई अच्छी गज़ल की बधाई ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 1, 2013 at 8:36pm

आदरनीय सन्दीप भाई , उचित सलाह ले लिये आपका आभारी हूँ , संशोधन कर लिया हूँ !!! आपका पुनः आभार !!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 1, 2013 at 8:19pm

आदरणीय शिज्जू भाई , सराहना और सलाह के लिये आपका आभार , संशोधन कर लिया हूँ !!! ऐसे ही स्नेह बनाये रखें !!!!!

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on November 30, 2013 at 8:15pm

सच कहा आदरणीय शिज्जू जी ......................मैं तो जल्दबाजी में ये देखना ही भूल गया ...............काफिया में गड़बड़ी हो गयी है बाकी के कुछ अशआर में ........सादर धन्यवाद

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