For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हाइकू 
******
भूख मरी है 
दो चित्र जीवन के 
भुखमरी है 
-----
पेपर पढ़ा 
भूखा उस पे सोया 
पेपर बिछा 
---------
धरा पे भेज 
भरे जीवन - रंग 
वो रंगरेज 
--------
भजन कर 
सर्व शक्तिमान का 
नमन कर 
------
अविनाश बागडे 
---------------------
(मौलिक/अप्रकाशित )

Views: 639

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 17, 2013 at 1:10am

आपकी प्रस्तुति के लिए बधाई, आदरणीय.

हाइकु के विधान के अनुरूप डॉ. प्राची ने सही विवेचना किया है जो अनुकरणीय है.

सादर

Comment by AVINASH S BAGDE on October 10, 2013 at 7:21pm

आभारKewal Prasad JI

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on October 9, 2013 at 8:00pm

वाह!    बहुत खूब...! बधार्इ स्वीकारें।  सादर

Comment by AVINASH S BAGDE on October 9, 2013 at 7:53pm

ह्रदय से आभार 

आदरणीय डॉ प्राची जी ....आपका विवेचन सर आँखों पे /भविष्यमे ध्यान रखूँगा /साधुवाद 
Comment by AVINASH S BAGDE on October 9, 2013 at 7:53pm

Abhinav Arun ji/Sushil.Joshi ji/नादिर ख़ान sahab/अरुन शर्मा 'अनन्त' ji/गिरिराज भंडारी bhai/विजय मिश्र ji aur savita agarwal mam.....सभी स्नेही जानो का ह्रदय से आभार 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 9, 2013 at 3:28pm
भूख मरी है 
दो चित्र जीवन के 
भुखमरी है ...............सुन्दर हायकू ...हार्दिक बधाई 
.
पेपर पढ़ा 
भूखा उस पे सोया..................ये पंक्ति अपना स्वतंत्र अस्तित्व नहीं रखती बल्कि पहली पर आश्रित है  
पेपर बिछा 
.
भजन कर 
सर्व शक्तिमान का....................इस पंक्ति का भी कोइ पूर्ण अर्थ नहीं 
नमन कर 
सादर शुभकामनाएं 
Comment by savita agarwal on October 9, 2013 at 2:58pm
बधाई आपको सब भावो से भरे हुए ......
Comment by विजय मिश्र on October 9, 2013 at 2:06pm
बर्बस ही आपके हाइकू के लिए आदर उपजती है ,बहुत सुव्यवस्थित रचना है और अंतर्निहित चिंतन अवश्य एकबार सोचने को बिवश करता है . अत्यंत मार्मिक .बहुत बहुत धन्यवाद अविनाशजी .

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 9, 2013 at 1:55pm

आदरणीय अविनाश जी सुन्दर हाईकू के लिये बधाई !!!!!

Comment by अरुन 'अनन्त' on October 9, 2013 at 1:16pm

वाह आदरणीय लाजवाब हाइकू रचे हैं आपने कितना सुन्दर दृश्य उकेरा है वाह बहुत बहुत बधाई स्वीकारें.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
""रोज़ कहता हूँ जिसे मान लूँ मुर्दा कैसे" "
14 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
"जनाब मयंक जी ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, गुणीजनों की बातों का संज्ञान…"
18 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय अशोक भाई , प्रवाहमय सुन्दर छंद रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई "
38 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय बागपतवी  भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक  आभार "
41 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय गिरिराज भंडारी जी आदाब, ग़ज़ल के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाएँ, गुणीजनों की इस्लाह से ग़ज़ल…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
9 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद, इस्लाह और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
9 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी आदाब,  ग़ज़ल पर आपकी आमद बाइस-ए-शरफ़ है और आपकी तारीफें वो ए'ज़ाज़…"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज भाईजी के प्रधान-सम्पादकत्व में अपेक्षानुरूप विवेकशील दृढ़ता के साथ उक्त जुगुप्साकारी…"
10 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"   आदरणीय सुशील सरना जी सादर, लक्ष्य विषय लेकर सुन्दर दोहावली रची है आपने. हार्दिक बधाई…"
11 hours ago

प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"गत दो दिनों से तरही मुशायरे में उत्पन्न हुई दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति की जानकारी मुझे प्राप्त हो रही…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मोहतरम समर कबीर साहब आदाब,चूंकि आपने नाम लेकर कहा इसलिए कमेंट कर रहा हूँ।आपका हमेशा से मैं एहतराम…"
12 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service