For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

फूल बागो में खिले --- गजल

फूल बागों में खिले ये सबके मन को भाते है
मंदिरों के नाम पर ये रोज तोड़े जाते है .

फूल माला में गुथे या केश की शोभा बने
टूट कर फिर डाल से ये फूल तो मुरझाते है

फूल का हर रंग रूप तो सुरभि भी पहचान है
फूल डाली पर खिले तो भौरों को ललचाते है

फूल चंपा के खिले या फिर चमेली के खिले
फूल सारे बाग़ के मधुबन को ही महकाते है

भोर उपवन की देखो तितली से ही गुलजार हुई
फूलों का मकरंद पीने भौरे भी  मंडराते है

पेड़ पौधो से सदा हरियाली जीवन में रहे
फूल पत्ते पेड़ की मंजुलता को दरसाते है

---- शशि पुरवार

मौलिक और अप्रकाशित

Views: 678

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अरुन 'अनन्त' on October 6, 2013 at 2:44pm

आदरणीया शशि जी ग़ज़ल पर आपका प्रयास बहुत ही अच्छा है मतले में आपने मंदिरों के नाम पर ये रोज तोड़े जाते हैं. आदरणीया फूल केवल मंदिरों के नाम पर ही तो नहीं तोड़े जाते न. कुछ अशआर अभी और कसावट की मांग कर रहे हैं. खैर इस प्रयास पर बधाई स्वीकारें.

Comment by shashi purwar on October 6, 2013 at 1:13pm

सौरभ जी नमस्ते ,बहुत बहुत धन्यवाद , आपने बिलकुल सत्य कहा , हो सकता है कहीं चुक होगी ,बहुत पहले यह गजल लिखी थी कल दिखी तो पोस्ट कर दी ,पुनः अवलोकन करती हूँ ,फिर भी यदि आप इंगित करना चाहे तो हम सीधे कलम तलवार लेकर गजल की कमियाँ का पैबंद दूर कर मखमल लगा देते है।  आभार ,मार्गदर्शन स्नेह बनाये रखें :)

Comment by shashi purwar on October 6, 2013 at 1:10pm

 सभी मित्रो का तहे दिल से बहुत बहुत आभार ,आप सभी की प्रोत्साहित करती हुई प्रतिक्रिया ने उर्ज्वासित किया।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 6, 2013 at 10:05am

//फूल बागों में खिले ये सबके मन को भाते है 
मंदिरों के नाम पर ये रोज तोड़े जाते है .//

मतला झट से आकर्षित करता है , बढ़िया है । 

ग़ज़ल पर अच्छा प्रयास हुआ है बधाई आदरणीया शशि पुरवा जी । 

Comment by Abhinav Arun on October 6, 2013 at 7:11am

अच्छी मंशा ..सुन्दर भाव ..शिल्प के लिए ग़ज़ल के आलेख पढ़े ..सीखें ..हम सब सीख रहे हैं ..हार्दिक शुभकामनायें !!

Comment by vijay nikore on October 6, 2013 at 2:54am

बढ़िया गज़ल के लिए बधाई।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by Sushil.Joshi on October 6, 2013 at 2:38am

एक सुंदर प्रस्तुति दी है आपने आदरणीया शशि जी... बधाई हो आपको....

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on October 5, 2013 at 11:47pm

बहुत सुंदर गजल, बहुत बहुत बधाई आदरणीया शशि जी


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 5, 2013 at 11:16pm

अच्छा प्रयास हुआ है, आद. शशिजी. कई मिसरों में बह्र का उचित निर्वहन होना बाकी है.

आपकी प्रस्तुति पर अभी तक पढ़ चुके सभी सुधी पाठकों ने वाह किया है.  ओबीओ का मंच रचना में हुई किसी गलती पर अगाह करना भी सिखाता है. इस हेतु रचनाकार और जानकार पाठक दोनों को संवेदनशील, आग्रही व सहयोगी होना आवश्यक है.

सादर

Comment by कल्पना रामानी on October 5, 2013 at 10:18pm

बहुत सुंदर गजल कही है शशि जी, हार्दिक बधाई आपको

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदाब, मुसाफ़िर साहब, अच्छी ग़ज़ल हुई खूँ सने हाथ सोच त्यों बर्बर सभ्य मानव में फिर नया क्या है।३।…"
18 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय 'अमित' जी आदाब, उम्दा ग़ज़ल के साथ मुशायरा का आग़ाज़ करने के लिए दाद के साथ…"
21 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"जी, ध्यान दिलाने का बहुत शुक्रिया। ग़ज़ल दोबारा पोस्ट कर दी है। "
32 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"नमन, रिया जी , खूबसूरत ग़ज़ल कही, आपने बधाई ! मतला भी खूसूरत हुआ । "मूसलाधार आज बारिश है…"
33 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आसमाँ को तू देखता क्या हैअपने हाथों में देख क्या क्या है /1 देख कर पत्थरों को हाथों मेंझूठ बोले वो…"
33 minutes ago
Prem Chand Gupta replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"इश्क में दर्द के सिवा क्या है।रास्ता और दूसरा क्या है। मौन है बीच में हम दोनों के।इससे बढ़ कर कोई…"
41 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Sanjay Shukla जी आदाब  ओ.बी.ओ के नियम अनुसार तरही मिसरे को मिलाकर  कम से कम 5 और…"
49 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"नमस्कार, आ. आदरणीय भाई अमित जी, मुशायरे का आगाज़, आपने बहुत खूबसूरत ग़ज़ल से किया, तहे दिल से इसके…"
59 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"2122 1212 22 बेवफ़ाई ये मसअला क्या है रोज़ होता यही नया क्या है हादसे होते ज़िन्दगी गुज़री आदमी…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"धरा पर का फ़ासला? वाक्य स्पष्ट नहीं हुआ "
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Richa Yadav जी आदाब। ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार करें। हर तरफ शोर है मुक़दमे…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"एक शेर छूट गया इसे भी देखिएगा- मिट गयी जब ये दूरियाँ दिल कीतब धरा पर का फासला क्या है।९।"
2 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service