For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आइना सबको दिखाया जाये

२१२२/११२२/२२

झूठ अब सामने लाया जाये

आइना सबको दिखाया जाये

तीरगी है तो उदासी कैसी

दीप फ़ौरन ही जलाया जाये

आज दिल में है बड़ी बेचैनी

साक़िया  भर के पिलाया जाये

लाडली वो भी किसी मा की है

फिर बहू  को न सताया जाये

तोड़ डाला जो खिलौना उसने

उसको इतना न रुलाया जाये

बात गर करनी मोहब्बत की तो 

दिल से नफरत को मिटाया जाये

रोज बस कहते हवादिस  आते 

आशु लड़ना भी सिखाया जाये 

डॉ आशुतोष मिश्र

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 913

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 27, 2013 at 11:49pm

ग़ज़ल पर दाद कुबूल फ़रमायें .. .

Comment by ram shiromani pathak on September 27, 2013 at 5:17pm

सुन्दर गजल के लिए बधाई स्वीकारें आदरणीय। सादर।

Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 26, 2013 at 10:15am

आदरणीय वीनस जी ..आपसे लगातार कुछ न कुछ सीखने को मिलता है ...सतत प्रयास कर रहा हूँ ...ये सच है मैं बेटियों की जगह बहुओं कहना चाह रहा था पर बहर में मात्रिक क्रम को नहीं बना पा रहा था ..आपका मार्गदर्शन बस यूं ही मिलता रहे ..तो प्रयास को सदा ही नयी दिशा मिलती रहेगी ..आपकी सह्जता सरलता और बिद्व्ता को नमन करते हुए ...सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 26, 2013 at 10:03am

चद्रशेखर जी ..मेरी ग़ज़लों पर आपकी प्रतिक्रिया से मुझे हौसला मिला ..आपको हार्दिक धन्यवाद 

Comment by वीनस केसरी on September 26, 2013 at 2:47am

आइना सबको दिखाया जाये

आज सच सबको बताया जाये........ मतला में आपने एक ही बात को दोनों पंक्ति में दुहरा दिया है, "आईना दिखाना" मुहावरा का अर्थ ही है "सच बताना"

दूसरा मिसरा पहले मिसरे की बात को आगे बढाता तो लुत्फ़ बढ़ जाता एक कोशिश देखें -

झूठ अब सामने लाया जाये

आइना सबको दिखाया जाये



तीरगी है तो उदासी कैसी

दीप फ़ौरन ही जलाया जाये ...... अच्छा कहा

आज दिल में है बड़ी बेचैनी

साकी जी भर के पिलाया जाये .... जी शब्द भर्ती का है ... साकिया भर के पिलाया जाये .. जबान का शेर हो जाता

उसको फौलादी बनाना है तो

उसको भूखा न सुलाया जाये........... भर्ती का शेर है

लाडली वो भी किसी मा की है

बेटियों को न सताया जाये................. बेटियों की जगह आप बहुओं कहना चाहते हैं

तोड़ डाला जो खिलौना उसने

उसको इतना न रुलाया जाये............. उम्दा शेर है ,, बहुत खूब

बात गर करनी मोहब्बत की तो 

दिल से नफरत को मिटाया जाये ........ अच्छा कहा

रोज बस कहते हवादिश आते 

आशु लड़ना भी सिखाया जाये ... सही लफ्ज़ हवादिस है

अंत में एक बात यह कि आपने ग़ज़ल लय से कही है न कि तक्तीअ से,,, और २१२२ २१२२ २२ पर कहने की कोशिश की है मगर चूंकी इस मात्र क्रम में कोई लय नहीं हैआप एक दूसरी ही बहर को पकड़ बैठे जिसमें शानदार लय है और आपकी पूरी ग़ज़ल उसी बहर पर हो गयी है और वो बहर ये है -

२१२२ ११२२ २२
पोस्ट में मात्रा को सही कर लीजिए

सादर

Comment by CHANDRA SHEKHAR PANDEY on September 25, 2013 at 1:40pm

सुन्दर गजल के लिए बधाई स्वीकारें आदरणीय। आभार, सादर।

Comment by अरुन 'अनन्त' on September 24, 2013 at 9:39pm

आदरणीय आशुतोष सर प्रयास अच्छा हुआ बहुत ही बारीकी से आदरणीय श्री बागी भ्राताश्री जी ने ग़ज़ल पर टिपण्णी की है मुझे दो अशआर में तदाबुले रदीफ़ का दोष लग रहा है कृपया देख लें. प्रयास हेतु बधाई स्वीकारें.

तोड़ डाला जो खिलौना उसने

उसको इतना न रुलाया जाये

रोज बस कहते हवादिश आते 

आशु लड़ना भी सिखाया जाये


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 24, 2013 at 7:47pm

मेरी टिप्पणी को सम्मान देने हेतु आभार आदरणीय डॉ साहब और प्रिय संदीप जी । 

Comment by डॉ. अनुराग सैनी on September 24, 2013 at 5:48pm

लाडली वो भी किसी मा की है

बेटियों को न सताया जाये

बहुत खूब ! दिल को छू गयी ये पंक्तियाँ !

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on September 24, 2013 at 4:38pm

बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल कही है आपने दाद कुबूले 

आदरणीय गणेश बागी सर जी ने बहुत ही सुन्दर प्रातक्रिया दी है 

उन्हें भी बहुत बहुत धन्यवाद 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ सर, गाली की रदीफ और ये काफिया। क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस शानदार प्रस्तुति हेतु…"
13 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service