For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मुझको दीवाना बना देंगे ये तेरे जल्वे

मुझको दीवाना बना देंगे ये तेरे  जल्वे

आग सी दिल में लगा देंगे ये तेरे जल्वे

नींद में डूबा हुआ जाने हुआ मेरा दिल

उसको लगता है जगा देंगे ये तेरे जल्वे

 

जैसे परवाना जले कोई शमा जलते ही  

बैसे ही मुझ को जला देंगे ये  तेरे जल्वे

 

हमने इस दिल को बचाया था बड़ी मुश्किल से 
दिल को अब लगता मिटा देंगे ये  तेरे जल्वे

 

क्या तेरे दिल में है कोई न समझ पाया है  
पर इशारों को हवा देंगे ये तेरे जल्वे 

 

आज तो खुद भी फ़िदा अपनी अदाओं पर है 
एक दिन तुझको रुला देंगे ये तेरे जल्वे 

 

२१२२ २१२२ २२१२ २२ 

डॉ आशुतोष मिश्र

मौलिक  व अप्रकाशित 

Views: 638

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अरुन 'अनन्त' on September 23, 2013 at 4:28pm

आदरणीय आशुतोष सर मैंने आपकी इससे कहीं बेहतर ग़ज़ल पढ़ी है, कई शेरों में तदाबुले रदीफ़ का दोष लग रहा है रवानगी में भी कमी लग रही है, खैर प्रयास हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें.

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 23, 2013 at 3:53pm

आशु की तुम को नसीहत तुम मानो न मानो

उम्र ढलते सब भुला देंगे ये तेरे जल्वे -----------वाह ! बहुत उम्दा | प्रयास के लिए हार्दिक बधाई 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 22, 2013 at 2:03pm

आदरणीय वीनस जी ..आपकी पैनी नजर की दाद देनी पड़ेगी ..आप के सुझाव के अनुरूप मैं इस ग़ज़ल को फिर से देखूँगा और फिर से आपका मार्गदर्शन लूँगा ...आपसे सतत ही सीखने को मिल रहा है ...भविष्य में भी आपके ऐसी ही मार्गदर्शन और सहयोग की आकांक्षा है ..तहे दिल धन्यवाद के साथ 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 22, 2013 at 1:59pm

आदरणीय सुरेन्द्र जी ...आपके मार्गदर्शन के लिए तहे दिल धन्यवाद ..जलवे ही सही है ..बस यूं ही आशीर्वाद बनाए रखें और मार्गदर्शन करते रहे ..सादर प्रनाम के साथ 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 22, 2013 at 1:58pm

आदरणीय नीरज जी ..प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 22, 2013 at 1:57pm

आदरणीय अभिनव जी हौसला आफजाई के लिए हार्दिक धन्यवाद ..यूं ही स्नेह बनाए रखें ..सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 22, 2013 at 1:57pm

आदरणीय गिरिराज जी ..आपके मार्गदर्शन के लिए हार्दिक धन्यवाद ...सर मैंने सोचा न को पढ़ते समय ना जैसा उच्चारण होता है तो शायद इसका प्रयोग हो सकता है ..भविष्य में ध्यान रखूंगा ..न की जगह ना लिख सकते हैं की नहीं ....आपका मार्गदर्न चाहोंगा ..सादर प्रणाम के साथ 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 22, 2013 at 1:54pm

आदरणीनीया अन्नपूर्णा जी ..प्रोत्साहन के लिए हार्दिक बधाई ..

Comment by वीनस केसरी on September 21, 2013 at 11:11pm

आदरणीय दरअस्ल आपने इस बहर की लय का अनुसरण नहीं किया अन्यथा आपको स्पष्ट हो जाता कि इस मात्रा क्रम में लय है ही नहीं इसलिए इसके करीबी दो रूप में लिखना अधिक उपयुक्त होगा

२१२२ २१२२ २१२२ २१२
या
२१२२ ११२२ ११२२ ११२२ २२

अभी आपकी ग़ज़ल दूसरे मात्रा क्रम के करीब है बस् तक्तीअ करके थोडा बदलाव करना पड़ेगा
सादर

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on September 21, 2013 at 8:17pm

क्या तेरे दिल में समझ पाया न खुदा अब तक

पर मुझे सब कुछ बता देंगे ये तेरे जल्वे

डॉ आशु जी ...सुन्दर भाव लिए अच्छी गजल ..गिरिराज भाई जी ने जो इंगित किया गौर करेंगे
जलवे या जल्वे
...बधाई


भ्रमर ५

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। आइए…See More
56 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी आभार संज्ञान लेने के लिए आपका सादर"
57 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय मिथिलेश जी बहुत शुक्रिया आपका हौसला अफ़ज़ाई के लिए सादर"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी आभार आपका सादर"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. अमित जी ग़जल पर आपके पुनरागमन एवम् पुनरावलोकन के लिए कोटिशः धन्यवाद ! सुझावानुसार, मक़ता पुनः…"
1 hour ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय मिथिलेश जी, बहुत धन्यवाद। आप का सुझाव अच्छा है। "
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से मश्कूर हूँ।"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय  दिनेश जी,  बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर बागपतवी जी,  उम्दा ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय जी,  बेहतरीन ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। मैं हूं बोतल…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय  जी, बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। गुणिजनों की इस्लाह तो…"
9 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service