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सावन गीत (राजेश कुमार झा)

सांवरी सुन सांवरी
आई मधुर मधुश्रावणी

नभ मीत हृद पर दामिनी
नव ताल से इठला रही
या दिगंबर को उमा
अपनी झलक दिखला रही

सुन सौरभे, हर-गौर, वे
आए स्‍वयं भव-भामिनी

सांवरी.....................

बावरा बादल मचलता
ढूंढता जिस मीत को

नेह सिंचित दश दिशाएं

लिख रही उसी गीत को

सुन वल्‍लभे, मुग्‍धे सुहासित
त्रिभुवन पगी विरूदावली

सांवरी....................

तरू-ताल लकदक , भींगते
सारी धरा अम्‍लान है

निर्जला व्रत देह सा ही
दिनमणि का ध्‍यान है

जटाजूट बंकिम इन्‍दु, गंगे
रच रही चूड़ामणि

सांवरी...............

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

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Comment

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Comment by राजेश 'मृदु' on August 30, 2013 at 3:12pm

मेरी रचना को मान देने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय, सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 25, 2013 at 12:08am

तरू-ताल लकदक , भींगते
सारी धरा अम्‍लान है

निर्जला व्रत देह सा ही
दिनमणि का ध्‍यान है

जटाजूट बंकिम इन्‍दु, गंगे
रच रही चूड़ामणि

आदरणीय राजेशजी, मधुश्रावणी की मधुरता और विशिष्टता कितनी सहजता से निखरी आयी है ! और यह आपकी लेखिनी ही कर सकती थी.  हृदय से बधाई स्वीकारें आदरणीय.

सादर

Comment by राजेश 'मृदु' on August 19, 2013 at 2:32pm

आप सबका हार्दिक आभार, सादर

Comment by Vindu Babu on August 17, 2013 at 10:43am
वाह! आदरणीय राजेश जी,
बड़ा ही मनमोहक गीत का रसास्वादन कराया आपने!
प्रकृति का इतना सुन्दर सजीव दृश्य प्रस्तुत करने लिए आपको ढेरों बधाई!
सादर
Comment by MAHIMA SHREE on August 15, 2013 at 11:48am

वाह वाह आदरणीय राजेश जी ...अतिसुंदर ..मन्त्र.मुग्ध करती प्रस्तुति ...के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें /

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on August 14, 2013 at 8:03pm
आदरणीय राजेश जी! इस मंच पर जिन रचनाकारों की रचना से मैं गहरे तक प्रभावित हुआ, उसमें आदरणीय सौरभ सर जी के बाद आपकी ही रचना है। बस। इसके आगे मैं कुछ नहीं कहूँगा।
सादर
Comment by vandana on August 14, 2013 at 7:53am

बहुत ही सुन्दर चित्रण 

Comment by विजय मिश्र on August 13, 2013 at 4:48pm
बहुत सुंदर भंगिमा प्रस्तुत करती है ,सावन का उल्लास लिए सजी -धजी ... सांवरी . बधाई राजेशजी .
Comment by Dr Ashutosh Mishra on August 13, 2013 at 4:11pm

मनभावन गीत के लिए हार्दिक बधाई ..वाकई शब्दों की जादूगरी ..ढेरों बधाई के साथ 

Comment by राजेश 'मृदु' on August 13, 2013 at 11:49am

आप सभी के प्रेरणादायक शब्‍दों हेतु हार्दिक आभार

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