For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

स्नेह सुधा बरसाओ मेघा//नवगीत//

स्नेह सुधा बरसाओ मेघा,

व्याकुल हुआ तरसता मन।

 

रिश्तों की जो बेलें सूखीं,

कर दो फिर से हरी भरी।

मन आँगन में पड़ी दरारें,

घन बरसो, हो जाय तरी।

सिंचित हो जीवन की धरती।

ले आओ ऐसा सावन।

 

दूर दिलों से बसी बस्तियाँ,

भाव शून्यता गहराई।

सरस सुमन निष्प्राण हो गए

नागफनी ऐसी छाई।  

बूँद-बूँद में हो बहार सी,

बरसाओ वो अपनापन।

 

उपजाऊ हो मन की माटी,

हर फुहार ऐसी लाओ।

सौंधी खुशबू उड़े प्रेम की,

मेघराज जल्दी आओ।

पुनः पल्लवित हो जीवन में,

शुष्क हुआ जो अंतरमन।

 

मौलिक व अप्रकाशित

 

कल्पना रामानी

Views: 727

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by कल्पना रामानी on July 14, 2013 at 1:12pm

आदरणीय अशोक जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद...

सादर

Comment by कल्पना रामानी on July 14, 2013 at 1:11pm

आदरणीय सौरभ जी आपकी अनमोल टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार...

सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 14, 2013 at 2:30am

जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टि रचनाकार की अभिव्यक्तियों को सार्वकालिक बना देती है.

पारस्परिक सम्बन्धों में दुराव और वैयक्तिक एकाकीपन से उपजी छटपटाहट के सापेक्ष समाधान हेतु मेघ का आह्वान समीचीन लगा. आपकी इस रचना (नवगीत) के प्रति सादर भाव रखते हुए आपको बधाइयाँ दे रहा हूँ 

सादर

Comment by Ashok Kumar Raktale on July 13, 2013 at 11:53pm

पुनः पल्लवित हो जीवन में,

शुष्क हुआ जो अंतरमन।.............वाह! बहुत मनभावन.

आदरणीया कल्पना रमानी जी सदर, बारिश की बूंदों से लगी ये आस कितना कुछ चाहती है.बहुत सुन्दर रचना. सादर बधाई स्वीकारें.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 10, 2013 at 11:05pm

बहुत सुन्दर नवगीत आ० कल्पना जी 

हार्दिक बधाई 

Comment by कल्पना रामानी on July 10, 2013 at 6:32pm

Delete Comment

आदरणीय, राजेश कुमारी जी, कुंती जी, केवलप्रसाद जी, आप सबका हर्षित करती हुई टिप्पणियों के लिए हार्दिक धन्यवाद...

सादर

Comment by coontee mukerji on July 10, 2013 at 1:36pm

रमानी जी, आपकी रचना हमेशा  जीवन के अनुभवों की संचीत पूंजी का स्रोत होता है. अति सुंदर

सादर

कुंती

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 9, 2013 at 9:55pm

आ0 रामानी मैम जी,  सादर प्रणाम!   अतिसुन्दर भाव भरे वर्षा गीत।  स्फूर्ति एवं आनंददायनी।  तहेदिल से हार्दिक बधाई स्वीकारें।   सादर, 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 9, 2013 at 8:47pm

उपजाऊ हो मन की माटी,

हर फुहार ऐसी लाओ।

सौंधी खुशबू उड़े प्रेम की,

मेघराज जल्दी आओ।

पुनः पल्लवित हो जीवन में,

शुष्क हुआ जो अंतरमन।

 आदरणीया कल्पना रमानी जी बहुत सुन्दर गीत लिखा हर बंद शानदार है बहुत बहुत बधाई 

Comment by कल्पना रामानी on July 9, 2013 at 6:24pm

राजेश जी, आपकी टिप्पणी उससे दो गुना पुलकित करती है। हार्दिक धन्यवाद आपका

सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सुरेद्र इन्सान जी, आपकी प्रस्तुति के लिए बधाई।  मतला प्रभावी हुआ है. अलबत्ता,…"
3 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ जी आपके ज्ञान प्रकाश से मेरा सृजन समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी"
19 hours ago
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
23 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 182 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

गजल - सीसा टूटल रउआ पाछा // --सौरभ

२२ २२ २२ २२  आपन पहिले नाता पाछानाहक गइनीं उनका पाछा  का दइबा का आङन मीलल राहू-केतू आगा-पाछा  कवना…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"सुझावों को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय सुशील सरना जी.  पहला पद अब सच में बेहतर हो…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . .

 धोते -धोते पाप को, थकी गंग की धार । कैसे होगा जीव का, इस जग में उद्धार । इस जग में उद्धार , धर्म…See More
yesterday
Aazi Tamaam commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"एकदम अलग अंदाज़ में धामी सर कमाल की रचना हुई है बहुत ख़ूब बधाई बस महल को तिजोरी रहा खोल सिक्के लाइन…"
yesterday
surender insan posted a blog post

जो समझता रहा कि है रब वो।

2122 1212 221देख लो महज़ ख़ाक है अब वो। जो समझता रहा कि है रब वो।।2हो जरूरत तो खोलता लब वो। बात करता…See More
Tuesday
surender insan commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। अलग ही रदीफ़ पर शानदार मतले के साथ बेहतरीन गजल हुई है।  बधाई…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान देने तथा अपने अमूल्य सुझाव से मार्गदर्शन के लिए हार्दिक…"
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"गंगा-स्नान की मूल अवधारणा को सस्वर करती कुण्डलिया छंद में निबद्ध रचना के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीय…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service