For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सार/ललित छंद, प्रथम प्रयास ----- वेदिका

सार/ललित छंद १६ + १२ मात्रा पर यति का विधान, पदांत गुरु गुरु अर्थात s s से,, छन्न पकैया पर प्रथम प्रयास / क्रिकेट विषय 

छन्न पकैया छन्न पकैया, टॉस करेगा सिक्का  

कौन चलेगा पहली चाली, हो जायेगा पक्का  ।। १ 

छन्न पकैया छन्न पकैया, कंदुक लाली लाली 

इक निशानची ठोकर मारे, गिल्ली भरे उछाली।। २ 

छन्न पकैया छन्न पकैया, बादल छटते जाये 

आँखों में है धूर झोंकते, धन भर घर ले आये  ।। ३ 

छन्न पकैया छन्न पकैया, गिरा राज का कुंदा 

हाथ हथकड़ी पांव बेड़ियाँ, गले पड़ गया फंदा  ।। ४ 

छन्न पकैया छन्न पकैया, चले काठ का बल्ला 

गेंद गयी सीमा बाहर ते, दीदों में है हल्ला      ।। ५ 

छन्न पकैया छन्न पकैया, तू जीती या हारी 

ठंडा बेचन हारों को तो, प्यारी है रिजगारी      ।। 

छन्न पकैया छन्न पकैया, अब प्रेशर है भारी 

गुट्ट्म गोल दना दन सरपट, दौड़ी जो दे मारी  ।। ७ 

                                      

                                     गीतिका 'वेदिका'  संशोधित* 

                                

मौलिक एवम अप्रकाशित 

  

 

Views: 1450

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ashok Kumar Raktale on July 3, 2013 at 7:36am

आदरणीया गीतिका जी सादर, सुन्दर प्रयास है.आदरणीय सौरभ जी के कहे को जाने.पदांत गुरु से होना अनिवार्य है.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 3, 2013 at 7:29am

प्रथम प्रयास प्रिय अनभूति .. वाह् वाह वाह ! सारछंद पर आपका प्रयास मन को भा गया, आदरणीया

एक बात जो आपकी पकड़ से छूटी है वो है कि सार छंद का पदांत गुरु से होता है. पदांत दो गुरुओं से हो तो अति उत्तम.  इस लिहाज से प्रारम्भ के कुछ छंदों के पद गुरु लघु से अंत हुए हैं जो उचित नहीं है.

आपके बाद के कई छंद इस नियम को मानते हुए हैं.  उनकी गेयता और पंक्तियों का प्रवाह स्वयं देखिये.

इस हेतु बधाई.

इन दो छंदों के लिए विशेष बधाई -

छन्न पकैया छन्न पकैया, तू जीती या हारी 

ठंडा बेचन हारों को तो, प्यारी है रिजगारी      ।। 

छन्न पकैया छन्न पकैया, अब प्रेशर है भारी 

गुट्ट्म गोल दना दन सरपट, दौड़ी जो दे मारी  ।। ७
 
शुभेच्छाएँ

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 3, 2013 at 1:42am
आदरणीय...गीतिका जी," छंद के द्वारा क्रिकेट की अनुभूति बड़े ही रोमांचकता से प्रस्तुति " हार्दिक बधाई व शुभकामनाऐ
Comment by वेदिका on July 3, 2013 at 12:40am

आदरणीय राम भैया!!

सिक्का मारे चोट // अर्थात टॉस का सिक्का धरती पे गिर के आवाज़ करता है, से तात्पर्य है।   

बस सिक्के की ओट में // अर्थात उस सिक्के के चित्त या पट्ट के आने के वजह से तात्पर्य है । 

प्रथम चाल को वोट // अर्थात प्रथम बोलिंग या बेटिंग करने का निर्णय  करता है। 

मेरे ख्याल से जो भी सुधि जन  क्रिकेट में रूचि रखते  होगे  वे अवश्य ही इस शब्दावली को समझ जायेंगे।

आभार आपका राम भैया!!  

Comment by वेदिका on July 3, 2013 at 12:30am

धन्यवाद आदरणीया महिमा जी!

Comment by MAHIMA SHREE on July 2, 2013 at 10:52pm

अच्छी कोशिश है आदरणीया गीतिका जी .. बधाई

Comment by ram shiromani pathak on July 2, 2013 at 9:34pm

आदरणीया गीतिका दी,

सिक्का मारे चोट**???????

बस सिक्के की ओट में**???

प्रथम चाल को वोट**???

इन सब का अलग लग अर्थ बताने की कृपा करें ????????

आपको पता है अपने क्या लिखा है लेकिन पाठक ...उसे तो बाउंस हो जायेगा न दीदी ////कहने का मतलब साफ साफ़ हो तो कोई दिक्कत ही नहीं या ये भी हो सकता भाषा का ज्ञान न होने के कारन मुझे नहीं समझा आ रहा है ////

Comment by वेदिका on July 2, 2013 at 9:27pm

स्नेही राम भैया! आपका सादर धन्यवाद,, आपने अपने संदेह सम्मुख रख कर सच्ची पाठक धर्मिता निभाई है..:))  राम शिरोमणि पाठक जी!  

छन्न पकैया छन्न पकैया, सिक्का मारे चोट 

बस सिक्के की ओट में, प्रथम चाल को वोट  ,,,, का आशय टॉस से है। 

छन्न पकैया छन्न पकैया, बादल छटते जाये 
आँखों में है धूर झोंकते, धन भर घर ले आये,,
अगर आपको छ्न्दोत्स्व का क्रिकेट आधारित चित्र याद हो तो, उसको ही  बादल  छटते जाये                         

                                                         इंगित किया है, और आँखों में धूल झोंक के क्रिकेट के खेल में धन भर के घर कौन लाना चाहता था, आशा है आप समझ गये होंगे :)))

 

छन्न पकैया छन्न पकैया, तू जीती या हारी 

ठंडा बेचन हारों को तो, प्यारी है रिजगारी    ,, से तात्पर्य था की टीम जीते या हारे उससे कोल्ड ड्रिंक बेचने वालो को कोई मतलब नही, वे किसी की टीम में नही वे केवल पैसों के मीत है। "रेजगारी या रिजगारी" बुन्देलखण्ड में पैसों को कहा जाता है 

आशा है की मै अपनी बात आप तक सही रूप में पहुचाने में सफल रही :)

 


Comment by ram shiromani pathak on July 2, 2013 at 9:12pm

आदरणीया गीतिका दी बहुत बधाई इस सुन्दर प्रयास पर /////
कुछ कनफूजन है मुझे ..........

सिक्का मारे चोट ? क्या कहना चाहती है आप १***

छन्न पकैया छन्न पकैया, बादल छटते जाये
आँखों में है धूर झोंकते, धन भर घर ले आये ।। ???????????

ठंडा बेचन हारों को तो, प्यारी है रिजगारी ?????यहाँ भी नहीं समझ पाया

क्षमा सहित मुझे समझ नहीं आया ///मेरा अल्प विवेक लगता है कुछ और सरलता चाहता है ///

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
yesterday
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रेत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय Dayaram Methani जी, लघुकथा का बहुत बढ़िया प्रयास हुआ है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"क्या बात है! ये लघुकथा तो सीधी सादी लगती है, लेकिन अंदर का 'चटाक' इतना जोरदार है कि कान…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service