For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग्रीष्म और वर्षा का संगम -दोहों के माध्यम से

ग्रीष्म शुष्क लागत बदन, जागत तन में पीर.
मनुज, पशु, खगवृन्द सभी, खोजत शीतल नीर.

अरुण अनल अति उग्र हैं, तपस लगत चहुओर.
श्वेद बूँद भींगे बदन, अगन लगे अति घोर.

पल-पल बिजली जात हैं, बिजली घर में शोर.
दूरभाष की घंटिका,     बजन लगे घनघोर.

कोकिल कूके आम्र तरु, शीतल पवन न शोर.
वृन्द खगन के देखि के, नाचत मन में मोर.

वरुण,इंद्र, विनती सुनौ, बरस घटा घनघोर.
उमरि घुमरि मेघन परखी, नाचत वन में मोर.

मेघ घिरे नभ में सघन, कड़के बिजुरी घोर.
प्रियजन आहु, निरखु घटा, तृण छायो चहुओर.

मौलिक व अप्रकाशित 

--जवाहर 

Views: 548

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on June 6, 2013 at 5:36pm

आदरणीय सौरभ सर,  तृण छायो चहुओर से मेरा मतलब है धरती पर चारो ओर ... जब वर्षा होती है तो चारोतरफ घास उग आते हैं!

Comment by Ashok Kumar Raktale on June 3, 2013 at 12:14am

आदरणीय जवाहर जी भाई सादर, दोहों पर सुन्दर प्रयास हुआ है. सादर बधाई स्वीकारें. आदरणीया डॉ. प्राची जी की बात से मैं भी सहमत हूँ."उमरि घुमरि मेघन परखी,"= १४ मात्राएँ हैं.

Comment by बृजेश नीरज on June 2, 2013 at 11:32pm

आदरणीय जवाहर जी बहुत ही सुन्दर! आपको मेरी ढेरों बधाई!
एक दो जगह मात्रायें अधिक हैं शायद। उन्हें देख लें।
सादर!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 1, 2013 at 11:39pm

आपका छंद प्रयास आश्वस्त करता है भाई जवहर जी.. .

तृण छायो चहुओर .. .. इसका क्या अर्थ ?

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on May 30, 2013 at 7:59am

आदरणीया कुंती जी, सादर अभिवादन !

उत्साह वर्धन के लिए आभार 
Comment by JAWAHAR LAL SINGH on May 30, 2013 at 7:57am

आदरणीया डॉ. प्राची जी, सादर अभिवादन !

यह मेरा प्रयास मात्र है, आगे कोशिश करूंगा ज्यादा सहज बनाने का ... आपलोगों का मार्गदर्शन अपेक्षित है! 
Comment by coontee mukerji on May 28, 2013 at 2:25pm

जवाहर जी , अच्छी रचना है जो इस भीषण गरमी का सुंदर वर्णन है./

सादर

 कुंती .


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on May 28, 2013 at 11:39am

दोहावली प्रस्तुतीकरण के लिए बधाई आ० जवाहर लाल सिंह जी 

आँचलिक/देशज  शब्दों को दोहावली में बहुत ज्यादा प्रयुक्त किया गया है.. जो मुझे कुछ असहज व आरोपित सा लगा. इनके बिना भी कथ्य बहुत स्पष्टता से अभिव्यक्त हो सकता था.

सादर.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सौरभ सर, मैं इस क़ाबिल तो नहीं... ये आपकी ज़र्रा नवाज़ी है। सादर। "
6 hours ago
Sushil Sarna commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय जी  इस दिलकश ग़ज़ल के लिए दिल से मुबारकबाद सर"
6 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया और सुझाव  का दिल से आभार । प्रयास रहेगा पालना…"
6 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार । भविष्य के लिए  अवगत…"
6 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आदरणीय  अशोक रक्ताले जी सृजन को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार । बहुत सुन्दर सुझाव…"
6 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आ. शिज्जू भाई,एक लम्बे अंतराल के बाद आपकी ग़ज़ल पढ़ रहा हूँ..बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है.मैं देखता हूँ तुझे…"
9 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . लक्ष्य

दोहा सप्तक. . . . . लक्ष्यकैसे क्यों को  छोड़  कर, करते रहो  प्रयास । लक्ष्य  भेद  का मंत्र है, मन …See More
11 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज जी, ओबीओ के प्रधान संपादक हैं और हम सब के सम्माननीय और आदरणीय हैं। उन्होंने जो भी…"
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय अमीरुद्दीन साहब, आपने जो सुझाव बताए हैं वे वस्तुतः गजल को लेकर आपकी समृद्ध समझ और आपके…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सुशील भाई , दोहों के लिए आपको हार्दिक बधाई , आदरणीय सौरभ भाई जी की सलाहों कर ध्यान…"
12 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । "
13 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
13 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service