For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ये दिल आज भी मचलता है तुम्हारे लिए

ये दिल आज भी मचलता है तुम्हारे लिए।

अश्कों का दरिया बहता है तुम्हारे लिए।।

मैं जी नहीं पा रही हूँ तुमसे अलग होकर,
सीने में एक दर्द पिघलता है तुम्हारे लिए।।

जाने क्यों मैं आज भी ज़िंदा हूँ तुम्हारे बिन,
मैं आख़िर मर क्यों नहीं जाती तुम्हारे लिए।।

तू मेरी ज़िन्दगी,मेरी जान,मेरा सब कुछ है,
ये साँस आज भी चलती है सिर्फ़ तुम्हारे लिए।।

ताउम्र रहेगा तेरा इंतज़ार मुझको मेरे साथी,
मरकर भी ये आँखें खुली रहेंगी तुम्हारे लिए।।

उम्र भर तड़पेंगे हम तेरी चाहत में दीवानों -से,
ग़र तू न मिला,तो रूह भटकेगी तुम्हारे लिए।।

तुम्हारा साथ बहुत ज़रूरी है मेरे लिए हमदम,
इस बार नहीं तो फिर जन्म लूँगी तुम्हारे लिए।।

'सावित्री राठौर'
[मौलिक एवं अप्रकाशित]

Views: 626

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Savitri Rathore on April 26, 2013 at 8:39pm

आदरणीय अशोक जी,राजेश कुमारी जी,प्राची जी,गीतिका जी और लक्ष्मण प्रसाद जी,आप सभी को सादर नमस्कार !
आप सबके अमूल्य शब्द मेरे लिए प्रेरणास्पद हैं।यही शब्द मुझे अनवरत लेखन को प्रेरित करते हैं।ऐसे ही मुझ पर स्नेह बनाये रखियेगा।आभार !

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 23, 2013 at 9:23pm

आकंठ प्रेम में डूबे मन में पुनः पुनः उसी प्रेम के लिए जन्म लेने की बात करते है, तब ही इसप्रकार के भाव 

उतपन्न होते है | ऐसी ही भावो की सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए बधाई सावित्री राठौर जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 23, 2013 at 9:12pm

पागलपन की पराकाष्ठा तक प्रेम को जीती अभिव्यक्ति.. 

शुभकामनाएं 

Comment by वेदिका on April 23, 2013 at 8:11pm

ग़र तू न मिला,तो रूह भटकेगी तुम्हारे लिए
जैसे बहुत ही शिद्दत से लिखी गयी भावनाएं ....शुभकामनाएँ आदरणीया सावित्री जी!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 23, 2013 at 8:07pm

छोड़ दे सारी  दुनिया किसी के लिए ये मुनासिब नहीं जिंदगी के लिए -----आपकी रचना को पढ़ कर ये जबाब मन में आया ,बेंताह प्यार की गहराई में डूबी इस प्रस्तुति हेतु बधाई आपको  
 कुंती मुकर्जी जी की बात का समर्थन करुँगी| 

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 23, 2013 at 5:42pm

आदरणीया सावित्री जी सादर, क्या कहूँ ये प्यार है या जूनून. सुन्दर रचना हार्दिक बधाई स्वीकारें.

Comment by Savitri Rathore on April 23, 2013 at 12:13pm

आदरणीय विजय जी,कुंती जी और अभिनव जी, सादर नमस्कार!
आप सभी का मेरी रचना पर अपनी अमूल्य प्रतिक्रिया व्यक्त कर मेरा उत्साहवर्धन करने एवं शुभकामनायें देने हेतु बहुत-बहुत आभार।

Comment by Abhinav Arun on April 22, 2013 at 2:01pm

आदरणीय सावित्री जी भावपूर्ण और मधुर रचना के लिए हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !!

Comment by coontee mukerji on April 22, 2013 at 3:23am

ये प्रेम की पराकाष्ठा  ...... हर  संवेदनशील प्रेमी ह्रदय को छू जाएगा . प्रेम की ऐसी निष्ठा आजकल है कहाँ......?  अगर यह भावनाएँ एक संदेश है तो सावित्री जी आप जीवन में बहुत सफल होंगी . शुभकामनाएँ सहित .

सादर / कुंती .

Comment by vijay nikore on April 21, 2013 at 1:09pm

आदरणीया सावित्री जी:

 

उद्विग्न हृदय की भावनाओं को अच्छा उकेरा है।

बधाई ।

 

जीवन में सुख के लिए शुभकामनाएँ और प्रार्थना।

 

सादर,

विजय निकोर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है , बधाई स्वीकार करें "
31 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"आदरणीय सुरेश भाई , बढ़िया दोहा ग़ज़ल कही , बहुत बधाई आपको "
33 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीया प्राची जी , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
35 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Jul 12
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Jul 10

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service