For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सभी के दिल मे बसना चाहता है

लो पत्थर इश्क़ करना चाहता है
मेरी मानिंद जलना चाहता है

लगा के हौसलों के पर युवा अब
बड़ी परवाज़ भरना चाहता है

फलक में जा भुला बैठा जो सबको
ज़मीं पर क्यूँ उतरना चाहता है

सहारे की ज़रूरत है उसे क्या
जो गिर के अब सँभलना चाहता है

बना हमदाद दुनिया में वही जो
सभी के दिल मे बसना चाहता है

संदीप पटेल "दीप"

Views: 402

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 23, 2013 at 8:42am

वाह! सुन्दर गजल भाई संदीप जी बहुत बहुत बधाई लें.

Comment by Abhinav Arun on April 20, 2013 at 8:58am

बना हमदाद दुनिया में वही जो 
सभी के दिल मे बसना चाहता है

क्या कहने  श्री संदीप जी , इस शानदार ख़याल और उसकी सफल सशक्त बयानी के लिए हार्दिक बधाई !!
Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on April 19, 2013 at 11:41am

लो पत्थर इश्क़ करना चाहता है 
मेरी मानिंद जलना चाहता है...भाई पत्थर इश्क़ किससे करेगा?? आप जलोगे तो आपका नुकसान होगा लेकिन पत्थर का क्या होगा जल के भला वो कैसे जलेगा॥?/

लगा के हौसलों के पर युवा अब 
बड़ी परवाज़ भरना चाहता है...बड़ी ऊंची फिक्र है सानी मिसरे को एक बार फिर से देख लें ॥बढ़िया 

फलक में जा भुला बैठा जो सबको 
ज़मीं पर क्यूँ उतरना चाहता है..............ये तो वही जाने की क्यूँ उतरना चाहता है...अच्छा है 

सहारे की ज़रूरत है उसे क्या 
जो गिर के अब सँभलना चाहता है.......अच्छा शेर हुआ है...दाद कुबूल हो 

बना हमदाद दुनिया में वही जो 
सभी के दिल मे बसना चाहता है...बेशक ! लाजवाब 

संदीप भाई बहुत बहुत दाद कुबूल करें !!

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 18, 2013 at 10:58pm

आदरणीय संदीप कुमार पटेलजी, ’फलक में जा भुला बैठा जो सबको
ज़मीं पर क्यूँ उतरना चाहता है’ अतिसुन्दर। हार्दिक बधाई स्वीकारे। सादर,

Comment by वेदिका on April 18, 2013 at 8:26pm

बढ़िया संदीप जी!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 18, 2013 at 6:35pm

बहुत सुन्दर गज़ल प्रिय संदीप जी 

लो पत्थर इश्क़ करना चाहता है ...... बहुत सुन्दर पंक्ति , बहुत पसंद आया यह शेर 
मेरी मानिंद जलना चाहता है

लगा के हौसलों के पर युवा अब 
बड़ी परवाज़ भरना चाहता है.................... वाह युवाओं के इस जोश हौसले के सामने बड़ी से बड़ी उड़ान सहज है 

सुन्दर गज़ल के लिए हार्दिक बधाई 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 18, 2013 at 5:18pm

वाह वाह, सभी शेर अच्छे लगें, बढ़िया ग़ज़ल कही है संदीप जी, बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण भाईजी, आपने प्रदत्त चित्र के मर्म को समझा और तदनुरूप आपने भाव को शाब्दिक भी…"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"  सरसी छंद  : हार हताशा छुपा रहे हैं, मोर   मचाते  शोर । व्यर्थ पीटते…"
6 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे परिवेश। शत्रु बोध यदि नहीं हुआ तो, पछताएगा…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
22 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Dec 14
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service