For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"कुछ दोहे " (एक प्रयास)

यदि अंकुश हो क्रोध पर, सहनशीलता पास !
वहां पाप होता नहीं, हो खुशियों का वास !!
*********************************************
गुरुजन की सेवा करो, रहो बढ़ाते ज्ञान !
यदि करना जीवन सफल, दो इनको सम्मान !!
********************************************
धन की चंचल चाल है, क्यूँ करते विश्वास ,
कुछ दिन तेरे साथ है, कल फिर उसके पास !!
********************************************
लोगों  में संस्कार हो, उत्तम हो व्यवहार !
कलह क्लेश  ना फिर वहां, हो प्रसन्न परिवार !!
********************************************
राम शिरोमणि पाठक"दीपक"
मौलिक/अप्रकाशित

Views: 1695

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ram shiromani pathak on March 2, 2013 at 3:44pm

आदरणीय सौरभ सर अपने कहा था प्रयास करो ,नियम पड़ो,जितना ज्यादा हो सके लोगों की रचनाएँ पड़ो तो मै वही कर रहा हूँ ! अपने जो अमूल्य सुझाव दिए है मै उसपे निरंतर प्रयासरत रहूँगा ! अप जैसे गुरुजनों को पाकर मै धन्य हो गया!!

प्रणाम सहित हार्दिक आभार !!!!!!!!!!!!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 2, 2013 at 12:48pm

हतप्रभ हूँ !

भाई रामशिरोमणि, आपकी इस प्रस्तुति पर सुखद और गर्वभरी अनुभूति हो रही है ! भाव, कथ्य, तथ्य, शिल्प और संप्रेषणीयता के लिहाज से आपके दोहे आश्वस्त कर रहे हैं, कि आपका प्रयास संयत तथा सही दिशा की ओर है.

एकाध स्थान को छोड़ दिया जाय तो आपके दोहे निर्दोष हैं,  या वो दोष भी नगण्य़ ही हैं.

इस प्रस्तुति हेतु बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएँ. 

यह सही है, कि हर छंद के विधान के कुछ अत्यंत आवश्यक मानक हुआ करते हैं. इन्हीं आधारभूत मानकों के आधार पर ही कोई छंद अपने नाम या अपनी संज्ञा को संतुष्ट करता है.  अन्यथा, अपनी संज्ञा हेतु आधारभूत विन्दुओं तक से खारिज छंद कुछ और भले कहलायें,  उक्त विशिष्ट छंद नहीं माने जा सकते.

हरिपद, दोही, गीता, शुद्धगीता, सरसी, रूपमाला (मदन) आदि जैसे छंदों का पदांत (सम चरण का अंत) गुरु लघु (ऽ।) से ही होता है, ठीक दोहा की तरह !  लेकिन इन सभी में मूल अंतर विषम-सम चरण की मात्राओं और उनके विषम चरण के गुरु लघु के विन्यास के कारण होता है.  थोड़े से मात्रिक और विन्यासजन्य हेरफेर से एक दोहा छंद रचना, दोही छद रचना या रूपमाला छंद रचना हो जाती है.  फिरतो, हमें मानना होगा कि ऐसे में मात्रिकता और गुरु-लघु के विन्यास का छंदों में विषेश महत्व है.

उसी तरह से  मज़ा देखिये, कि बरवै छंद और मोहिनी छंद में अंतर मात्र उनके सम चरण के अंत में प्रयुक्त गण का अंतर भर है. यानि सम चरण का अंत बदला नहीं कि बरवै छंद मोहिनी छंद हुआ ! 

वहीं,  इन्हीं दोनों छंदों के सम चरण की मात्रा ७ से ९  हुई नहीं कि उस छंद का नाम अतिबरवै हो जाता है.

मैंने आपको उपरोक्त बातें इसलिये कहीं कि आप अभी सीखने की प्रारंभिक अवस्था में हैं. अपनी कोशिशों को किसी अन्यथा प्रयोग से बचाइयेगा. छंद के आधारभूत नियमों का पालन ठीक वैसे ही है जैसे अपने व्यक्तित्व के आधारभूत रूप की प्रतिष्ठा को बचाना. यह व्यक्तित्व बचाव कभी भी अहंकार पोषण नहीं कहलाता. 

आप सतत प्रयासरत रहें और एकनिष्ठ अभ्यास करते रहें. शुभ-शुभ

Comment by Yogi Saraswat on March 2, 2013 at 11:29am

धन की चंचल चाल है, क्यूँ करते विश्वास ,
कुछ दिन तेरे साथ है, कल फिर उसके पास !!
********************************************
लोगों  में संस्कार हो, उत्तम हो व्यवहार !
कलह क्लेश  ना फिर वहां, हो प्रसन्न परिवार !!

sundar shabd

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on March 1, 2013 at 10:27pm

बेहतरीन दोहे रचे हैं आपने आदरणीय राम शिरोमणि जी .......सादर बधाई आपको

Comment by Abhinav Arun on March 1, 2013 at 10:15pm

वाह पाठक जी बड़ी नेक सलाह छिपी है इस रचना में गाँठ बाँध लिया है \ साधुवाद इस सफल प्रस्तुति के लिए !!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 1, 2013 at 10:04pm

राम शिरोमणि जी बहुत सुंदर सार्थक दोहे रचे हैं नियमों को पूर्णतः संतुष्ट कर रहे हैं बहुत बहुत बधाई| 

Comment by ram shiromani pathak on March 1, 2013 at 11:55am

आदरणीया मंज़री मैम हार्दिक  आभार !!!!!!!!!!!!

Comment by ram shiromani pathak on March 1, 2013 at 11:53am

आदरणीय  लक्ष्मन सर उत्साह बढ़ाने के लिए हार्दिक आभार !!!!!!!!!!!!

Comment by ram shiromani pathak on March 1, 2013 at 11:51am

उत्साह बढ़ाने के लिए हार्दिक आभार भाई  अरुन शर्मा "अनन्त"  जी।

Comment by अरुन 'अनन्त' on March 1, 2013 at 11:34am

मित्रवर दोहे हेतु आपके प्रयास एवं लग्न हेतु हार्दिक बधाई जहाँ बात दोहे की है तो भाई मुझे बहुत पसंद आये.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
""रोज़ कहता हूँ जिसे मान लूँ मुर्दा कैसे" "
1 minute ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
"जनाब मयंक जी ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, गुणीजनों की बातों का संज्ञान…"
4 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय अशोक भाई , प्रवाहमय सुन्दर छंद रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई "
25 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय बागपतवी  भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक  आभार "
28 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय गिरिराज भंडारी जी आदाब, ग़ज़ल के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाएँ, गुणीजनों की इस्लाह से ग़ज़ल…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
9 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद, इस्लाह और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
9 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी आदाब,  ग़ज़ल पर आपकी आमद बाइस-ए-शरफ़ है और आपकी तारीफें वो ए'ज़ाज़…"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज भाईजी के प्रधान-सम्पादकत्व में अपेक्षानुरूप विवेकशील दृढ़ता के साथ उक्त जुगुप्साकारी…"
10 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"   आदरणीय सुशील सरना जी सादर, लक्ष्य विषय लेकर सुन्दर दोहावली रची है आपने. हार्दिक बधाई…"
10 hours ago

प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"गत दो दिनों से तरही मुशायरे में उत्पन्न हुई दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति की जानकारी मुझे प्राप्त हो रही…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मोहतरम समर कबीर साहब आदाब,चूंकि आपने नाम लेकर कहा इसलिए कमेंट कर रहा हूँ।आपका हमेशा से मैं एहतराम…"
11 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service