For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वाह रॆ ! कानून बनानॆ वालॊ

वाह रॆ !
कानून
कानून बनानॆ वालॊ
और
कानून के रखवालॊ
अपनी आपनी पगड़ी सँभालॊ,
राज्य सभा मॆं
पचास प्रतिशत का आरक्षण
और
चौराहॆ पर आबरू का भक्षण,

कहनॆ कॊ अधिकार दियॆ हैं सम,
मॆरॆ जन्म पर छा जाता है मातम,

और ज्यॊं- ज्यॊं मॆरी उम्र बढ़नॆ लगती है
परिवार पर नई आफ़त चढ़नॆ लगती है,

घर की चौखट दायरा समेटनॆ लगती है,
जब बॆटी अपना दुपट्टा लपॆटनॆ लगती है,

मॆरी किस्मत चूल्हा चौंका बर्तन रॊटी,
ऊपर सॆ घर भर की सब खरी -खॊटी,

घर सॆ बाहर निकली तॊ आबरू तार तार,
वहशी -दरिन्दॊं की हवस की मै शिकार,

आज जिस कृत्य सॆ शर्म भी शर्मसार है,
जहाँ नारी का सुरक्षित जीना दुस्वार है,

हॊ रहा सरॆ-आम अपहरण बलात्कार है,
ऎसॆ समाज पर मैं थूकती हूँ, धिक्कार है,

आपसॆ गुज़ारिश है बॆटियॊं कॊ संस्कार दीजियॆ
मगर चूड़ियॊं की जगह हाँथॊं मॆं तलवार दीजियॆ,

मुझॆ इस समाज मॆं,बराबर का अधिकार चाहियॆ,
मॆरॆ आँसुऒं का मॆरी चीखॊं का प्रतिकार चाहियॆ,

काश,,कॊई भाई मॆरी राखी का कर्ज उतार दॆ !!
दरिन्दॊं कॊ मॆरी आँखॊं कॆ सामनॆ गॊली मार दॆ !!

कवि- राज बुन्दॆली,,,,,,,,
२४/१२/२०१२

Views: 704

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on December 27, 2012 at 12:05am

अमि तेष ,,,जी,,,,, हृदय से आभार आपका,,,,,,,,,

Comment by अमि तेष on December 26, 2012 at 11:33pm

वाह........

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on December 26, 2012 at 5:45pm

MAHIMA SHREE ,,,जी,,,,, हृदय से आभार आपका,,,,,,,,,

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on December 26, 2012 at 5:44pm

vijay nikore ,,,जी,,,,, हृदय से आभार आपका,,,,,,,,,

Comment by MAHIMA SHREE on December 26, 2012 at 5:08pm

आपसॆ गुज़ारिश है बॆटियॊं कॊ संस्कार दीजियॆ
मगर चूड़ियॊं की जगह हाँथॊं मॆं तलवार दीजियॆ,

मुझॆ इस समाज मॆं,बराबर का अधिकार चाहियॆ,
मॆरॆ आँसुऒं का मॆरी चीखॊं का प्रतिकार चाहियॆ,नमस्कार राज जी .. बहुत बढ़िया ... आपकी की रचना से आक्रोशित मन को थोड़ी राहत मिली ...बहुत-2 बधाइयाँ

Comment by vijay nikore on December 26, 2012 at 4:58pm

आपसॆ गुज़ारिश है बॆटियॊं कॊ संस्कार दीजियॆ
मगर चूड़ियॊं की जगह हाँथॊं मॆं तलवार दीजियॆ,

 

धन्यवाद यह कहने के लिए!

विजय निकोर

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on December 26, 2012 at 12:14pm

rajesh kumari ,,,जी,,,,, हृदय से आभार आपका,,,,,,,,,


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 25, 2012 at 9:15pm

बहुत जबरदस्त ओज पूर्ण भाव बहुत सुन्दर सार्थक रचना आज की मांग को पूरा करती हुई 

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on December 25, 2012 at 7:23pm

Er. Ganesh Jee "Bagi" जी हृदय से आभार आपका,,,,,,,,,

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on December 25, 2012 at 7:23pm

Laxman Prasad Ladiwala जी हृदय से आभार आपका,,,,,,,,,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
3 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
10 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
10 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
11 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
12 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
14 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
yesterday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
yesterday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service