एक छोटी सी कविता मेरी,
ना जाने कहाँ खो गयी है
सुबह, सीढियां चढ़ते वक्त तो थी
मेरी ही जेब में
फिर ना जाने कहाँ गयी
सारे दिन की भाग दौड़ में
मुझे भी न रहा ध्यान
न जाने कब खो गयी वो
छोटी सी ही थी
उस कविता में,
एक पेड़ था
पेड़ पे एक झूला
झूले पर झूलते मेरे दोस्त
आवाज़ देकर बुलाते हुए
वो सब उसी कविता में ही तो थे
अब वो भी ना जाने कैसे मिलेंगे?
खो गये वो भी
उस कविता में था
एक बेघर हुआ
चिड़िया का छोटा सा बच्चा भी
शायद उसका घोंसला टूट गया था
शायद नहीं,
हाँ उसका घर छूट गया था
हमने सोचा था कि
एक दिन उसे
घर पहुंचा देंगे...उसकी मम्मी से मिलवा देंगे
वो राह देखती होंगी
वो बच्चा भी,
उसी कविता के संग खो गया
अब ना जाने वो अपने घर कैसे पहुंचेगा?
वो कविता ना जाने कहाँ खो गयी
सुबह तक तो थी....मेरी ही जेब में..........
-पुष्यमित्र उपाध्याय
Comment
रचनाधर्मिता को आपने बखूबी शब्द दिये हैं .. बधाई पुष्यमित्र भाई.
wah wah upadhaya ji bhav purna , abhivakti baat ho to aisii jo kaat de andar tak tab to kaam banta hai
आप सभी गुरुजनों का असीम स्नेह पाकर आनंदित अनुभव कर रहा हूँ
प्रस्तुत रचना में मेरे द्वारा मनुष्य के उन अतृप्त भावों का चित्रण किया गया है जो कि उसके बचपन से जुड़े होते हैं, आयु के बहाव और समय के प्रवाह में बचपन न जाने कब गुज़र जाता / खो जाता है पता ही नहीं चलता....बस वाही लिखा है मैंने....
आगे भी सुधार कर लिखता रहूँगा आपके सानिध्य में
-आपका अनुज पुष्यमित्र
आदरणीय
बहुत सुन्दर भावयुक्त कविता रची है. कुछ जगह प्रवाह बाधित हो रहा है.किन्तु मर्म कायम है. बधाई स्वीकारें.
वो बच्चा भी,
उसी कविता के संग खो गया
अब ना जाने वो अपने घर कैसे पहुंचेगा?
वो कविता ना जाने कहाँ खो गयी
सुबह तक तो थी....मेरी ही जेब में,अति सुंदर अभिव्यक्ति .बधाई पुष्यमित्र जी
वाह बहुत खूब ,बहुत खूब पुष्यमित्र वो बेचैनी जो एक कवि के मन में कविता के लिए बुने जा रहे भावो के खो जाने पर होती है उसका बेहद सजीव चित्र खींचा है ......कभी भाव के शब्द खोते है तो कभी शब्दों से भाव छूट जाते हैं पर दोनों ही का परिणाम होता है अधूरी कविता .....अधूरी कविता का सृजन एक कवि को उसी भांति व्यथित करता है है जैसे एक माँ को उसका बीमार शिशु कि बीमारी
बहुत बहुत बधाई आपको
//उस कविता में था
एक बेघर हुआ
चिड़िया का छोटा सा बच्चा भी
शायद उसका घोंसला टूट गया था
शायद नहीं,
हाँ उसका घर छूट गया था
हमने सोचा था कि
एक दिन उसे
घर पहुंचा देंगे...उसकी मम्मी से मिलवा देंगे
वो राह देखती होंगी//
बहुत खूबसूरत भाव ........बधाई पुष्यमित्र जी ! बस इसी प्रकार प्रयासरत रहें ! सस्नेह
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