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साहित्यिक भाषा में बोलो बाबाजी

पहले अपने शब्द टटोलो बाबाजी
फिर तुम अपना श्रीमुख खोलो बाबाजी

साहित्य के इस मंच पे गर कुछ कहना है
साहित्यिक भाषा में बोलो बाबाजी

जीवन में सुख दुःख का सीधा मतलब है
थोड़ा हँस लो, थोड़ा रो लो बाबाजी

मान गया मैं, नहीं डरे तुम झूले पर
अब तो अपने कपड़े धोलो बाबाजी

ढाई बज गये, बाबी द्वार न खोलेगी
यहीं किसी फुटपाथ पे सो लो बाबाजी

हाथ में थी वो सारी फ़सल उड़ा डाली
साथ की खातिर भी कुछ बो लो बाबाजी

रोने से क्या संकट कम हो जायेंगे ?
आओ झूमो, नाचो, डोलो बाबाजी

'अलबेला' सब रूखापन मिट जायेगा
जीवन में तुम प्यार तो घोलो बाबाजी

-अलबेला खत्री

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Comment

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Comment by Albela Khatri on July 27, 2012 at 9:47am

आपका कोटि कोटि  धन्यवाद आदरणीय अम्बरीश जी
विनम्र आभार

आपको  रचना पसन्द आई.........मन गदगद  हुआ......
सादर

Comment by Albela Khatri on July 27, 2012 at 9:43am

आपका कोटि कोटि  धन्यवाद रक्ताले जी
विनम्र धन्यवाद

Comment by Albela Khatri on July 27, 2012 at 9:41am

आपका बहुत बहुत धन्यवाद दीप्ति जी

Comment by Er. Ambarish Srivastava on July 27, 2012 at 9:13am

//जीवन में सुख दुःख का सीधा मतलब है
थोड़ा हँस लो, थोड़ा रो लो बाबाजी

हाथ में थी वो सारी फ़सल उड़ा डाली
साथ की खातिर भी कुछ बो लो बाबाजी

रोने से क्या संकट कम हो जायेंगे ?
आओ झूमो, नाचो, डोलो बाबाजी//

'अलबेला' सब रूखापन मिट जायेगा
जीवन में तुम प्यार तो घोलो बाबाजी//

मंत्र यही है सारे सुंदर जीवन के,

प्यारी प्यारी भाषा बोलो बाबा जी.

आदरणीय अलबेला जी, क्या मस्त-मस्त अशआर कहें हैं .......बहुत बहुत बधाई प्रभु ....सादर

Comment by Ashok Kumar Raktale on July 27, 2012 at 8:31am

अलबेला जी

               सादर,

ढाई बज गये, बाबी द्वार न खोलेगी
यहीं किसी फुटपाथ पे सो लो बाबाजी

सोने से पहले एक काल कर लो बाबाजी

सलमान का परिवार सो गया ज्ञात कर लो बाबा जी.

'अलबेला' सब रूखापन मिट जायेगा
जीवन में तुम प्यार तो घोलो बाबाजी

बहुत सुन्दर विचार. क्या कहने. वाह!

 

Comment by deepti sharma on July 26, 2012 at 11:27pm

'अलबेला' सब रूखापन मिट जायेगा
जीवन में तुम प्यार तो घोलो बाबाजी

वाह अलबेला जी .... क्या बात कही बाबा जी अति सुंदर

Comment by Albela Khatri on July 26, 2012 at 10:42pm

आपका धन्यवाद आशीष जी........

Comment by आशीष यादव on July 26, 2012 at 10:30pm

बाबा जी श्रृंखला की एक और शानदार पेशकश। मजा आ जाता है आपकी रचनाओं को पढ़कर।
सुन्दर रचना पर बधाई स्वीकार कीजिये

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