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"चल कल्लुआ जल्दी से दारु पिला, आज मैं बहुत खुश हूँ |"
"अरे वाह, पर ऐसी क्या विशेष बात हो गई बिल्लू दादा ? 
"यार, कल शाम जिस गुप्ता के घर में हम लोगो ने चोरी की थी न, उसने थाने में रपट दर्ज करा दी है |"
"तो दादा इसमें कौन सी ख़ुशी की बात है ?"
"ख़ुशी की बात तो यह है कल्लुआ, हम लोगों ने उसके घर से करीब २० लाख का माल उड़ाया और गुप्ता ने महज ३ लाख चोरी की ही रपट लिखाई है"
"वाह यह तो सचमुच ख़ुशी की बात है, दरोगा को हिस्सा भी कम देना पड़ा होगा"
"अरे नहीं रे, ऊ ससुरा दरोगा बहुत काइयां है, वो पहले ही भांप गया था कि हम लोगों ने लम्बा हाथ साफ़ किया है सो  अपना हिस्सा पूरा ले लिया"
"पर दादा एक बात समझ में नहीं आई कि गुप्ता ने केवल तीन लाख की चोरी की ही रपट क्यों लिखाई ?"
"कल्लुआ तू समझता नहीं है, वो गुप्ता इनकम टैक्स चुराने के लिए ये सब नाटक कर रहा है "
" ओह तो यह बात है"
"तो दादा, लोग चोर हमें ही क्यों कहते हैं ?"

एक अनुरोध :- दो दिनों बाद भी मैं इस लघु कथा का सटीक शीर्षक देने में असमर्थ रहा, यदि आप मित्रगण कोई शीर्षक सुझा सकें तो मैं आभारी रहूँगा |

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मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 14, 2012 at 9:21pm

सराहना हेतु बहुत बहुत आभार संजय भाई, जन्म दिन बहुत बहुत मुबारक हो, बीच पार्टी से आकर कथा को सराहने हेतु अतिरिक्त आभार स्वीकार करें |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 14, 2012 at 9:19pm

आदरणीय अलबेला जी, आपकी सराहना निश्चित ही उत्साहवर्धक है, बहुत बहुत आभार |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 14, 2012 at 9:16pm

आदरणीय भाई अम्बरीश जी, विद्वान जनों से सराहना पाना सचमुच प्रसन्नता की बात होती है , उत्साहवर्धन एवं सराहना हेतु कोटिश : आभार स्वीकार कीजिये |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 14, 2012 at 9:14pm

आदरणीया रेखा जोशी जी, प्रणाम स्वीकार कीजिये, माध्यम भले अम्बरीश भाई बने किन्तु आशीर्वाद तो मुझे ही ना मिला :-)))

यह तो और ख़ुशी की बात है कि आपने मेरी लघु कथा को अम्बरीश भाई जैसे स्थापित साहित्यकार के सृजन तुल्य स्थान दिया, सराहना हेतु बहुत बहुत आभार |

Comment by Arun Sri on July 14, 2012 at 8:55pm

बढ़िया व्यंग !मेरे ख्याल से इसका शीर्षक होना चाहिए "बड़ा चोर " !

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 14, 2012 at 8:47pm

आदरणीय श्री गणेश जी बागी लघु कथा बहुत सुन्दर और प्रभावी है  इसमें व्यंग भी छुपा है और सन्देश भी | इसका शीर्षक मेरे अनुसार 

"चोर के घर चोरी"या "चोर के घर चोरी की रपट" हो सकत है |
-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला,जयपुर 
Comment by Er. Ambarish Srivastava on July 14, 2012 at 7:18pm

आदरेया रेखा जी ! इसमें क्षमा माँगने जैसी क्या बात है ....

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on July 14, 2012 at 7:13pm
चोर चोर मौसेरे भाई ...
शरीफ चोर 
चोर ही क्यों चोर ??
चोरों की जमात 
ये सब चोर हैं ??
आदरणीय बागी जी बधाई ...सशक्त लघु कथा ...बड़ी बात कह गयी ..कह ही नहीं उन सब की कलई खोल के गाल लाल कर गयी तमाचा मार ...
जय श्री राधे 
भ्रमर ५ 
Comment by Rekha Joshi on July 14, 2012 at 6:56pm

आदरणीय अम्बरीश जी ,क्षमा प्रार्थी हूँ 

Comment by Rekha Joshi on July 14, 2012 at 6:54pm

आदरणीय बागी जी ,सादर नमस्ते ,सबसे पहले मे क्षमा प्रार्थी हूँ मैने गलती से अम्बरीश जी के नाम कमेन्ट दे दिया ,मुझे आपकी लिखी हुई लघु कथा बहुत  पसंद आई,सशक्त कथा ,जब तीनो ने चोरी की तो सभी चोर है ,मेरी और से आपको हार्दिक बधाई |

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