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तकदीर पर विशवास तो नही मुझे ,
आये क्यों हो मेरी जिंदगी में तुम ,
निभाया सदा साथ तुम्हारा लेकिन ,
दर्देदिल के सिवा क्या मिला मुझे|
.........................................
भुला कर हमने हर सितम तुम्हारे ,
साथ निभाने का क्यों वादा किया ,
हद हो गई अब ज़ुल्मो सितम की ,
प्यार में तो हमने धोखा ही खाया |
.........................................
निभा न सके जब तुम वफ़ा को ,
चुप रहे फिर भी खातिर तुम्हारी ,
दफना दिया सीने में ही दर्द को ,
उफ़ तक न की किसी के आगे |
.....................................
कर लो चाहे जितने भी सितम,
सब सह लेंगे उसे ताउम्र हम ,
न करें गे शिकवा न शिकायत ,
तकदीर से ही बाज़ी हारे है हम |


?

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Comment

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Comment by Rekha Joshi on July 12, 2012 at 10:05am

आपका बहुत बहुत धन्यवाद अरुण जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 12, 2012 at 9:27am

खुद को जलाकर रोशन करती  है शमा और उफ़ तक नहीं करती प्यार और त्याग की मिसाल आपकी रचना यही सब तो बयां करती है बधाई रेखा जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 11, 2012 at 11:37pm

चुपचाप जलती दीपशिखा सी प्रत्येक पंक्ति के लिये साधुवाद. एकांगी भावनाओं को प्रतिष्ठित करती एक उम्दा कोशिश. बहुत खूब.

Comment by UMASHANKER MISHRA on July 11, 2012 at 11:14pm

भुला कर हमने हर सितम तुम्हारे ,
साथ निभाने का क्यों वादा किया ,
हद हो गई अब ज़ुल्मो सितम की ,
प्यार में तो हमने धोखा ही खाया | बहुत सुन्दर अंदाज बहुत सुन्दर बयां  हार्दिक बधाई

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on July 11, 2012 at 10:15pm

निभा न सके जब तुम वफ़ा को ,
चुप रहे फिर भी खातिर तुम्हारी ,
दफना दिया सीने में ही दर्द को ,
उफ़ तक न की किसी के आगे |

क्या बात है रेखा जी इसी लिए तो प्रेम के आगे सर झुक जाता है ...बहुत सुन्दर ... 

कर लो चाहे जितने भी सितम,
सब सह लेंगे उसे ताउम्र हम ,
न करें गे शिकवा न शिकायत ,
तकदीर से ही बाज़ी हारे है हम | 
भ्रमर ५ 

 

Comment by deepti sharma on July 11, 2012 at 7:10pm

वाह बहुत खूब 

बधाई आपको :)

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 11, 2012 at 4:09pm

आदरणीया बेहतरीन बधाई स्वीकार करें.

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