For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मरासिम उनसे था मेरा सूफियाना सा
गा भी लेते थे हम
सुना भी लेते थे हम
इबादत उनकी किया करते थे
खुदा से रूठ जाते थे
मना भी लेते थे हम
वक़्त-ए-फुरकत
उनसे वादा किया था
एक कतरा न गिरेगा कभी
ये आब-ए-जमजम
मेरी आँखों से
तो पाकीजा आब से भरे ये प्याले
रोज भरते तो हैं
पर छलकते कभी नहीं
और लोग हमें संगदिल सनम कहते हैं
ये कैसा वादा लेकर वो गए हैं
उस दिन से लेकर आज तक
जोड़ रहा हूँ
ग़मों के कंकर
जो मिलते हैं हर उस जगह
जहां उनकी यादें चली आती हैं
बिन बुलाये
अब ये कंकर जोड़ते जोड़ते
दर्द कोह होता जा रहा है
दिल में उठती हैं मौजें
पर डुबा नहीं पाती
इस कोह को
फिर भी तकिया सूखा ही रहता है
भीगने को बेताब
चादरों की सलवटें चीखती हैं
हर सुबह
तड़प उनके खोने की
कौन जानता है
उनसे बेहतर
पर वो हैं के आते नहीं
और वादा खिलाफी
हमें नहीं आती
सिखा दिया है
इंतज़ार करना
पलकें बिन झपके
दरवाजे पे टकटकी लगाए रहती हैं निगाहें
सन्नाटे चीखते हैं कानों में
कहते हैं भूल जाऊं
कमबख्त कहीं के
उनसे क्या कहूँ
उनको तो कब का भूल चुका हूँ में
पर उनकी याद बेशर्म है
रोज चुपके से मिलने चली आती है
और तुमको लगता है
मैं कुछ भी नहीं भूला
चलो चलो
तन्हाई आज फिर से मेरा
इंतज़ार कर रही होगी
बहुत मुश्किल होता है
इंतज़ार करना
मुझसे बेहतर कौन जानता है ये
बेचैनी होती है
इंतज़ार में
चलो चलो कहीं तन्हाई भी छोड़ गयी
तो मैं फिर तन्हा हो जाऊँगा
उसका कलाम किससे कह पाऊंगा
के "मरासिम उनसे था मेरा सूफियाना सा "

....संदीप पटेल "दीप".........

Views: 434

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Yogi Saraswat on July 4, 2012 at 4:55pm
तन्हाई आज फिर से मेरा
इंतज़ार कर रही होगी
बहुत मुश्किल होता है
इंतज़ार करना,|
तन्हाई से है जन्मों का रिश्ता ,
कभी तन्हाई को और कभी मुझे 
रहता है इक दूजे का इंतज़ार ,अति सुंदर रचना , बधाई
Comment by Rekha Joshi on July 4, 2012 at 12:07pm

संदीप जी ,

तन्हाई आज फिर से मेरा
इंतज़ार कर रही होगी
बहुत मुश्किल होता है
इंतज़ार करना,|
तन्हाई से है जन्मों का रिश्ता ,
कभी तन्हाई को और कभी मुझे 
रहता है इक दूजे का इंतज़ार ,अति सुंदर रचना , बधाई 
Comment by आशीष यादव on July 4, 2012 at 1:26am

रचना की वाह और तड़प की आह दोनो एक साथ स्वीकारिये।

Comment by UMASHANKER MISHRA on July 3, 2012 at 11:11pm

भाई संदीप पटेल बहुत बहुत बहुत ही बेहेतरिन है ..सच्चे प्यार को परिभाषित किया है

प्यार को सुफियाना रूप दिया है ...तडपन  की टीस..की प्रतीति कराती रचना 

सादर बधाई

Comment by Bishwajit yadav on July 3, 2012 at 8:58pm
उनको तो कब का भूल चुका हूँ में
पर उनकी याद बेशर्म है
रोज चुपके से मिलने चली आती
बहुत सुन्दर भाई टच माई दिल

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"ऐसे😁😁"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"अरे, ये तो कमाल  हो गया.. "
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय नीलेश भाई, पहले तो ये बताइए, ओबीओ पर टिप्पणी करने में आपने इमोजी कैसे इंफ्यूज की ? हम कई बार…"
4 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपके फैन इंतज़ार में बूढे हो गए हुज़ूर  😜"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय लक्ष्मण भाई बहुत  आभार आपका "
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है । आये सुझावों से इसमें और निखार आ गया है। हार्दिक…"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और अच्छे सुझाव के लिए आभार। पाँचवें…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय सौरभ भाई  उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार , जी आदरणीय सुझावा मुझे स्वीकार है , कुछ…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल पर आपकी उपस्थति और उत्साहवर्धक  प्रतिक्रया  के लिए आपका हार्दिक…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति का रदीफ जिस उच्च मस्तिष्क की सोच की परिणति है. यह वेदान्त की…"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, यह तो स्पष्ट है, आप दोहों को लेकर सहज हो चले हैं. अलबत्ता, आपको अब दोहों की…"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज सर, ओबीओ परिवार हमेशा से सीखने सिखाने की परम्परा को लेकर चला है। मर्यादित आचरण इस…"
10 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service