For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

१. बौराया आम
चहका उपवन
आया बसंत

२. गरजे घन
नाच उठा किसान
बुझेगी प्यास

३.दहेज़ भारी
कुरीतियों की मारी
वधु बेचारी

४.अंकुर बनी
अभी नहीं खिली थी
भ्रूण ही तो थी

५.शोर है कैसा
कुर्सी पे तो है बैठा
अपना नेता

६ धर्म की आड़
बाबाओ का व्योपार
दुखी संसार

७. ठाट बाट में
कानून की आड़ में
कैदी दामाद

८. टूटे सपने

डिग्रियां बनी भार 
 बेरोजगार

९.व्याकुल मन
लगे जैसे है स्वर्ग
मैया की गोद

Views: 659

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by MAHIMA SHREE on April 22, 2012 at 4:52pm
आदरणीय सौरभ सर , आदरणीया सीमा   जी , आदरणीया सरिता दी , आदरणीय सतीश सर , आदरणीय प्रताप जी  व् आशीष जी ..
आपक सबको मेरा नमस्कार ,
मुझे बहुत हर्ष हो रहा है , आपने सबने पसंद किया , सराहा और उत्साहवर्धन किया .. प्रयास सफल हुआ 
आप सब का ह्रदय से आभार और बहुत-२ धन्यवाद  ..स्नेह बनाये रखे

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on April 22, 2012 at 12:42pm

सभी हाइकु अच्छे लगे| शिल्प और कथ्य दोनों का ही अच्छा संगम है|

Comment by satish mapatpuri on April 22, 2012 at 2:59am

अत्यंत सुन्दर ........ बधाई महिमा जी

Comment by आशीष यादव on April 22, 2012 at 1:57am

bade hi sundar haaiku ki rachna ki hai aapne.ek se badhkar ek. sarita ji ne sahi kaha ki gaagar me saagar bharne ka kaam kiya hai.

badhai

Comment by Sarita Sinha on April 21, 2012 at 10:45pm

महिमा जी, नमस्कार,

हाइकू क्या होता है ये मुझे नहीं पता था, आप ही लोगों की रचनाओं से पता चला. कुछ गागर में सागर जैसी चीज़ है और आपने बड़ी  सुन्दरता से इस नयी विधा में हाथ साफ किया है...बधाई....

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 21, 2012 at 9:09pm

महिमाजी, आपने हाइकू के मूल शिल्प को कस कर बाँध लिया है.  तथ्य के लिये बिम्ब भी प्रभावकारी हैं.

आपका रचना प्रयास स्व-अध्ययन के संबल से कितना निखर रहा है यह कहने नहीं बस गुनने की बात है. बहुत-बहुत बधाई.

Comment by MAHIMA SHREE on April 21, 2012 at 9:03pm
आदरणीय वाहिद जी , नमस्कार 
आपको पसंद आया , अच्छा लगा ..स्नेह बनाए रखे ,

आप सब ने मुझे प्रेरित किया है ..ह्रदय से आभार

 
Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on April 21, 2012 at 8:45pm

सुंदर हाइकू प्रस्तुत किये महिमा जी! बहुत अच्छे लगे| विशेषकर नं. ३ का हाइकू

दहेज़ भारी
कुरीतियों की मारी
वधु बेचारी

पसंद आया| बधाई आपको| :))

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . नजर

नजरें मंडी हो गईं, नजर हुई  लाचार । नजरों में ही बिक गया, एक जिस्म सौ बार ।। नजरों से छुपता…See More
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आपको प्रयास सार्थक लगा, इस हेतु हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी जी. "
6 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार आदरणीय । बहुत…"
7 hours ago
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"छोटी बह्र  में खूबसूरत ग़ज़ल हुई,  भाई 'मुसाफिर'  ! " दे गए अश्क सीलन…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"अच्छा दोहा  सप्तक रचा, आपने, सुशील सरना जी! लेकिन  पहले दोहे का पहला सम चरण संशोधन का…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। सुंदर, सार्थक और वर्मतमान राजनीनीतिक परिप्रेक्ष में समसामयिक रचना हुई…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . नजर

नजरें मंडी हो गईं, नजर हुई  लाचार । नजरों में ही बिक गया, एक जिस्म सौ बार ।। नजरों से छुपता…See More
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२/२१२/२१२/२१२ ****** घाव की बानगी  जब  पुरानी पड़ी याद फिर दुश्मनी की दिलानी पड़ी।१। * झूठ उसका न…See More
Monday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"शुक्रिया आदरणीय। आपने जो टंकित किया है वह है शॉर्ट स्टोरी का दो पृथक शब्दों में हिंदी नाम लघु…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"आदरणीय उसमानी साहब जी, आपकी टिप्पणी से प्रोत्साहन मिला उसके लिए हार्दिक आभार। जो बात आपने कही कि…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"कौन है कसौटी पर? (लघुकथा): विकासशील देश का लोकतंत्र अपने संविधान को छाती से लगाये देश के कौने-कौने…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"सादर नमस्कार। हार्दिक स्वागत आदरणीय दयाराम मेठानी साहिब।  आज की महत्वपूर्ण विषय पर गोष्ठी का…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service