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निजत्व की खातिर

निजत्व की खातिर
कर्तव्यो की बलिवेदी से
कब तक भागेगा इन्सान
ऋण कई हैं
कर्म कई हैं
इस मानव -जीवन के
धर्म कई हैं
अचुत्य होकर इन सबसे
क्या कर सकेगा
कोई अनुसन्धान
कई सपने हैं
कई इच्छाये हैं
पूरी होने की आशाये हैं
पर विषयों के उद्दाम वेग से
कब तक बच सकेगा इन्सान
भीड़-भाड़ है
भेड़-चाल है
दाव-पेंच के
झोल -झाल है
इनसे बच कर अकेला
कब तक चलेगा इन्सान
कौन है ईश्वर
जीवन क्या है
मै कौन हूँ
क्यूँ आया हूँ
जिज्ञासायों के कई भंवर हैं
डूब के इनमे
अपनों से कब तक
मुख मोड़ सकेगा इन्सान

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 5, 2012 at 6:07pm

कौन है ईश्वर
जीवन क्या है
मै कौन हूँ
क्यूँ आया हूँ
जिज्ञासायों के कई भंवर हैं ..

महिमा श्री, आपकी प्रस्तुत पंक्तियों ने वो कमाल किया है कि आपको इनमें निहित प्रश्नों के उत्तर ही नहीं संतुष्टि भी मिल सकी होगी.

इस रचना को माह की सर्वश्रेष्ठ रचना  चयनित होने पर आपको हार्दिक बधाइयाँ.  ओबीओ के मंच पर या इस मंच द्वारा किसी रचना का अनुमोदित होना सामान्य घटना मात्र नहीं है. आपका रचना-कर्म आपके भाव-शब्दों को गुरुतर प्रतिष्ठा दे.

शुभेच्छाएँ.

Comment by राकेश त्रिपाठी 'बस्तीवी' on April 5, 2012 at 5:48pm

JI Mahima JI, I can feel the excitement and jubilation. Keep it :)

Comment by MAHIMA SHREE on April 5, 2012 at 5:37pm
आदरणीय प्राची जी ,
आपका बहुत-२ धन्यवाद , आप सभी के आशीर्वचनो से मैं आह्लादित हो रही हूँ
Comment by MAHIMA SHREE on April 5, 2012 at 5:31pm
आदरणीय सतीश जी, प्रिय मृदु जी, आप दोनों का का बहुत धन्यवाद ..आप सबके शुभकामनाओ ने सम्मान की ख़ुशी को दोगुना कर दिया है..साभार
Comment by satish mapatpuri on April 5, 2012 at 4:30pm

 माह के सर्वश्रेष्ठ रचना के सम्मान  हेतु बहुत - बहुत बधाई महिमा जी.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 5, 2012 at 4:10pm

mahima beti jitna main khush hoon bata nahi sakta. 

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on April 5, 2012 at 3:42pm

आदरणीया महिमा जी महीने की सर्व श्रेष्ठ रचना चुने जाने हेतु आपको ह्रदय से हार्दिक बधाई

Comment by MAHIMA SHREE on April 5, 2012 at 3:21pm
नमस्कार राकेश जी,
सच कहा आपने , ओंबीओं का पुरस्कार लाइफ-टाइम एचीवमेंट है. मेरी कविता के लिए पहला पुरस्कार है तो मै बता नहीं सकती कितना अच्छा लग रह है..आपका हार्दिक धन्यवाद
Comment by MAHIMA SHREE on April 5, 2012 at 3:16pm
वाहिद जी नमस्कार ,
आज ओंबीओं पर अगर मुझे पहचान मिली है , उसमे आपका भी हाथ है..आपके द्वारा ही मुझे ओंबीओं का पता चला था ,और मैं आप लोगो के पीछे-२ आ गयी थी.
आपका हार्दिक धन्यवाद.
Comment by MAHIMA SHREE on April 5, 2012 at 3:11pm
आदरणीय दुष्यंत जी,
नमस्कार आपका हार्दिक धन्यवाद ,

कृपया ध्यान दे...

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