For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चेहरा तो चाँद सा है मगर दिल ख़राब है......

ज़ाहिर है पाक साफ़ तख़य्युल ख़राब है,

चेहरा तो चाँद सा है मगर दिल ख़राब है।

कहते हैं मुझसे चीख़ के रंजो मलाले दिल,

राहें तेरी हसीन थी मन्ज़िल ख़राब है।

अपनी अना के ख़ोल में जो खुद छुपा रहा,

उसने भी अलम दे दिया महफिल खराब है।

करते हैं शेख़ जी भी यहाँ ऐबदारियाँ,

इस दौर में तन्हाँ नहीं बातिल ख़राब है।

इक राह आख़िरी थी बची वो भी खो गई,

लगता है ये नसीब मुकम्मिल ख़राब है।

इक दौर में बुलन्दी मेरी आसमाँ पे थी,

अब तो है सच यही मेरा तिल तिल ख़राब है।

'ग़मगीन' ज़िन्दगी से जो मुझको छुड़ा गया,

ये झूठ बात है के वो क़ातिल ख़राब है.

Views: 500

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by आशीष यादव on February 14, 2012 at 5:37am
बहुत शानदार गज़ल। सभी शे'र बहुत अच्छे लगे।
Comment by Nazeel on February 13, 2012 at 8:00pm

nice

Comment by वीनस केसरी on February 13, 2012 at 7:05pm

हाँ जनाब है तो ऐसा ही कुछ कुछ
आपकी ग़ज़ल मुजारे की मुज़ाहिफ बह्र पर है जिसकी मात्रा  २२१ / २१२१ / १२२१ / २१२   है
आप तख्तीय करके खुद बे-बह्र मिसरों को पहचान सकते हैं

Comment by इमरान खान on February 13, 2012 at 4:57pm

@वीनस भाई .. बहुत शुक्रिया आपकी तारीफ़ नयी ऊर्जा का संचार कर रही है ...
इस ग़ज़ल के मुन्दर्जा जैल दो शेरों में मुझे ऐसा लगता है शायद लय की गड़बड़ है... क्या आपको भी लगता है?

अपनी अना के ख़ोल में जो खुद छुपा रहा,
उसने भी अलम दे दिया महफिल खराब है।
करते हैं शेख़ जी भी यहाँ ऐबदारियाँ,
इस दौर में तन्हाँ नहीं बातिल ख़राब है।

Comment by इमरान खान on February 13, 2012 at 4:53pm

@राजेश कुमारी जी .. हौसला अफजाई के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ..

Comment by वीनस केसरी on February 13, 2012 at 2:51pm

कहते हैं मुझसे चीख़ के रंजो मलाले दिल,

राहें तेरी हसीन थी मन्ज़िल ख़राब है।

गजब गजब गजब

'ग़मगीन' ज़िन्दगी से जो मुझको छुड़ा गया,

ये झूठ बात है के वो क़ातिल ख़राब है.

जिंदाबाद
जिंदाबाद
जिंदाबाद


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 13, 2012 at 11:01am

bahut pasand aai aapki ghazal.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद, इस्लाह और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी आदाब,  ग़ज़ल पर आपकी आमद बाइस-ए-शरफ़ है और आपकी तारीफें वो ए'ज़ाज़…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज भाईजी के प्रधान-सम्पादकत्व में अपेक्षानुरूप विवेकशील दृढ़ता के साथ उक्त जुगुप्साकारी…"
5 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"   आदरणीय सुशील सरना जी सादर, लक्ष्य विषय लेकर सुन्दर दोहावली रची है आपने. हार्दिक बधाई…"
5 hours ago

प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"गत दो दिनों से तरही मुशायरे में उत्पन्न हुई दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति की जानकारी मुझे प्राप्त हो रही…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मोहतरम समर कबीर साहब आदाब,चूंकि आपने नाम लेकर कहा इसलिए कमेंट कर रहा हूँ।आपका हमेशा से मैं एहतराम…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"सौरभ पाण्डेय, इस गरिमामय मंच का प्रतिरूप / प्रतिनिधि किसी स्वप्न में भी नहीं हो सकता, आदरणीय नीलेश…"
6 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय समर सर,वैसे तो आपने उत्तर आ. सौरब सर की पोस्ट पर दिया है जिस पर मुझ जैसे किसी भी व्यक्ति को…"
7 hours ago
Samar kabeer replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"प्रिय मंच को आदाब, Euphonic अमित जी पिछले तीन साल से मुझसे जुड़े हुए हैं और ग़ज़ल सीख रहे हैं इस बीच…"
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, किसी को किसी के प्रति कोई दुराग्रह नहीं है. दुराग्रह छोड़िए, दुराव तक नहीं…"
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"अपने आपको विकट परिस्थितियों में ढाल कर आत्म मंथन के लिए सुप्रेरित करती इस गजल के लिए जितनी बार दाद…"
15 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service