For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")


मेरी कोख नहीं हुई

अभी तक उजली

क्योंकि उसने दी नहीं

मुझे, अभी तक एक बेटी

कहते हैं, बेटा बाप के

बुढ़ापे की लाठी होता है ।

लगती है पुरानी बात

मैं तो देखती हूँ

बेटियों को माँ-बाप के लिए

व्यथित होते

उनका दर्द, उनका संघर्ष समझते, और

बेटों को, अपने स्वयं के परिवार

या दोस्तों के साथ समय बिताते

गुलछर्रे उड़ाते

तब लगता है, काश !

मेरी भी एक बेटी होती ।

बेटी होती है माँ के करीब

कोख से बाहर आने के बाद

भी, उसी नाल से जुड़े होने का

एहसास कराती ।

माँ से जो मिली थी,

उसी मधुरता को वापस लौटाती

माँ के मन की व्यथा

बेटी से अधिक कौन समझेगा ?

बेटी पिता के भी, हो जाती है, करीब

जब, पिता उसे ‘‘हौसलों की उड़ान’’

का स्वाद चखाता है

सपनों से अलग दुनियां

के व्यवहार सिखाता है

अन्दर की दुनियां माँ को,

बाहर की पिता को,

समर्पित कर, बेटियाँ उड़ जाती हैं

पंछियों की तरह

किसी और की दुनियां आबाद करने

चली जाती हैं 

दूसरे कुल की रौनक बन

उसका वंश बढ़ाती हैं 

देहरी का दीप बनी रहतीं

फिर भी माँ के करीब

होती है बेटियाँ |


मोहिनी चोरडिया

Views: 600

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by asha pandey ojha on February 16, 2012 at 3:52pm

aseem dard se likhi gai rachna .. hardy ko chho gai 

Comment by mohinichordia on January 21, 2012 at 6:59am

धन्यवाद शुभम जी 

Comment by shubham jain on January 19, 2012 at 11:40am

अन्दर की दुनियां माँ को,

बाहर की पिता को,

समर्पित कर, बेटियाँ उड़ जाती हैं....


bahut hi sundar panktiyan...

aisa nahi hai ki bete apne mata pita k liye kuch nahi karte lekin betiyon ki to baat hi alag hai....


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on January 13, 2012 at 11:47am

इस संवेदनशील काव्य अभिव्यक्ति के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीया मोहिनी जी.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 12, 2012 at 2:35pm

इस भाव-प्रवण और तथ्यात्मक रचना के लिये हार्दिक बधाई, मोहिनीजी. कुछ बातें कितनी सनातन होती हैं लेकिन हम सहज स्वीकारते हिचकते हैं.  आपकी प्रस्तुत पंक्तियों को मैं विशेष रूप से रेखांकित कर रहा हूँ -

कहते हैं, बेटा बाप के
बुढ़ापे की लाठी होता है ।
लगती है पुरानी बात
मैं तो देखती हूँ
बेटियों को माँ-बाप के लिए
व्यथित होते
उनका दर्द, उनका संघर्ष समझते, और
बेटों को, अपने स्वयं के परिवार
या दोस्तों के साथ समय बिताते
गुलछर्रे उड़ाते
तब लगता है, काश !
मेरी भी एक बेटी होती ।

Comment by shashiprakash saini on January 12, 2012 at 2:29am

बहुत सुन्दर रचना है मोहिनी जी

बधाई स्वीकारे 

Comment by AVINASH S BAGDE on January 9, 2012 at 8:22pm

दूसरे कुल की रौनक बन

उसका वंश बढ़ाती हैं 

देहरी का दीप बनी रहतीं

फिर भी माँ के करीब

होती है बेटियाँ |...AAPNE TO BHAV-VIBHOR KAR DIYA मोहिनी JI.

Comment by AjAy Kumar Bohat on January 9, 2012 at 6:13pm

waah bahut khoob likha hai Mohini ji

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service