For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जिज्ञासा (लघुकथा)

जिज्ञासा

पार्क से आते ही मोनू ने सवाल किया, ‘पापा, अपनी कार रात को झुग्गीवाले मुहल्ले में क्यों जाती है?’

बिजनेस के सिलसिले में?’

तो उसमें चढ़कर लड़कियाँ कहाँ जाती हैं?’

काम पर, बेटे।सेठ ने बेटे को संतुष्ट करना चाहा।

रात को कौन-सा काम होता है,पापा?’

ढेर-सारे काम हैं,बेटे।जैसे कॉल सेंटर वगैरह,जो रात को भी चलते हैं।

कॉल गर्ल का धंधा भी?’ बेटे ने जिज्ञासा जाहिर की।

क्या कह रहा है, बेटा? कहाँ सुना तुमने, यह सब?’ सेठ हड़बड़ाकर बोला।

रज्जुआ मिला था। बगल की झुग्गी का है।रोज की तरह पार्क के गेट पर बैठा था। अपनी कार देख रोने लगा। चिल्लाया, ‘यही वह कार है ...यही मेरी माँ को ले गई... वह फिर नहीं आई।

और क्या बोला,बेटा?’

जिसका काम अच्छा हो,उसे रख लेते हैं। कुछ और लड़कियाँ गईं, रह गईं। घरवालों को कुछ रुपल्ले मिले, मुझे नहीं।मोनू ने जो कुछ रज्जुआ से सुना था, सब बयां कर दिया।

कल हम दोनों पार्क चलेंगे।पता करेंगे कि क्या हुआ था?’

जी पापा।’

फिर पार्क के गेट पर कभी रज्जुआ नहीं मिला।

"मौलिक एवं अप्रकाशित"

Views: 366

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Manan Kumar singh on November 1, 2022 at 8:32pm

आपका आभार आदरणीय बृजेश जी। 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on November 1, 2022 at 6:52pm

आदरणीय मनन जी लघुकथा का सत्य को चित्रित करता हुआ विषय बहुत सटीक है...सादर

Comment by Mahendra Kumar on October 21, 2022 at 11:45am

बढ़िया लघुकथा है आदरणीय मनन जी। ढेरों बधाई स्वीकार कीजिए। 

Comment by Manan Kumar singh on October 20, 2022 at 9:15am

आदरणीय लक्ष्मण भाई जी, आपका आभार। नमन। 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on October 19, 2022 at 9:48pm

आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। सुन्दर लघुकथा हुई है । हार्दिक बधाई स्वीकारें।

Comment by Manan Kumar singh on October 16, 2022 at 3:30pm

आदरणीय रवि जी, आपका शुक्रिया। 

Comment by रवि भसीन 'शाहिद' on October 16, 2022 at 1:27pm

आदरणीय मनन कुमार सिंह जी, नमस्कार। आपकी ये लघुकथा बहुत अच्छी लगी, इस पर आपको बधाई और शुभकामनाएँ!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service