For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

221       1221       1221       122


ख़्वाबों को ज़रा आँख के पानी से निकालो
इन बुलबुलों को अश्क-फ़िशानी से निकालो

ईमान  की  कश्ती  पे  मुहब्बत  की  मसर्रत
इस कश्ती  को तूफ़ां की रवानी से निकालो

इस  रास्ते  पे  वस्ल   की  उम्मीद   नहीं  है
तरकीब   कोई   राह   पुरानी   से  निकालो

ग़ज़लों को रखो नफ़रती शोलों  से बचाकर
अश'आर  सभी लफ़्ज़ गिरानी से  निकालो

इक रोज़ गुज़र जाऊँगा ज्यूँ वक़्त  गुज़रता
भावों में रखो मुझको मआनी  से निकालो

ग़र  याद  उसे  करते  ही आ  जाते हैं आँसू
'ब्रज' इतना  बुरा है तो कहानी  से  निकालो

(मौलिक एवं अप्रकाशित)
बृजेश कुमार 'ब्रज'

Views: 594

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on September 14, 2022 at 11:16am

मैं पहले ही कह चुका हूँ निर्णय आपका है। 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on September 14, 2022 at 11:08am

आदरणीय अमीरुद्दीन जी सच कहूँ तो मैं अब भी आपकी बात नहीं समझा..अगर,मगर,गर ये प्रश्नवाचक शब्द हैं.. जैसे हम कहें "अगर ऐसा हुआ" के बाद हमें तो लगाना ही पड़ेगा तभी सम्पूर्ण प्रश्न सामने आएगा।वैसे ही इतना,कितना किसी प्रश्न में प्रयुक्त हों तो उन्हें तो से ही जोड़ना पड़ेगा...

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on September 14, 2022 at 10:21am

//गर और तो समानार्थी नहीं है शायद...गर मतलब यदि और यदि के साथ तो का इस्तेमाल कर सकते हैं//

जनाब बृजेश जी, लगता है मैं अपनी बात को सही तरीके से पहुँचा नहीं सका हूँ, ये बात सही है कि गर और तो शब्द समानार्थी नहीं हैं... मगर हम इन शब्दों का प्रयोग कैसे कर रहे हैं और इनका प्रभाव क्या दर्शा रहा है, ये बहुत अहम है, मैं चेतन प्रकाश जी के उदाहरण स्वरूप दिये वाक्य पर आपके तर्क से भी सहमत हूँ और आदरणीय समर कबीर जी के कोट किये गये तमाम अशआर पर भी मुत्तफ़िक़ हूँ कि अगर के साथ तो का इस्तेमाल ज़बान के ऐतबार से दुरुस्त है...मगर अगर बात एक वाक्य में पूरी हो रही हो तो, जैसे -

'यदि आज भी बुखार रहता है, तो मैं काॅलेज नहीं जाऊँगा' 

इसी तरह आ. समर कबीर जी का कोट किया गया हर एक मिसरा। 

मगर आपके मक़्ते के ऊला के शुरूअ में गर आने से वाक्य पूरा नहीं हो रहा है, और सानी मिसरे का 'इतना बुरा है तो' शब्द समूह भी अगर का इम्पैक्ट दे रहा है, शायद मैं अपनी बात पहुँचा सका हूँ। 

बाक़ी विवेक और निर्णय आपका है। 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on September 14, 2022 at 9:34am

रचना पटल पे आपका हार्दिक अभिनंदन एवं आभार आदरणीय मेहता जी...

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on September 14, 2022 at 9:32am

आदरणीय चेतन जी...जैसा कि आपने बताया 

'यदि आज भी बुखार रहता है, मैं काॅलेज नहीं जाऊँगा! ' इसमें तो की कमी साफ महसूस हो रही है।दो वाक्यों को जोड़ने के लिए मध्य में एक पुल तो चाहिए न!?

और आदरणीय समर जी ने कुछ उदाहरण के साथ विस्तृत में बताया है कि गर और तो का इस्तेमाल एक साथ किया जा सकता है...सादर

Comment by जयनित कुमार मेहता on September 14, 2022 at 8:37am

आदरणीय बृजेश जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है। बाक़ी आदरणीय समर कबीर जी ने जो सुझाव दिया है, उसपर गौर फरमाइयेगा।सादर।

Comment by Samar kabeer on September 13, 2022 at 7:24pm

जनाब चेतन प्रकाश जी , 

जनाब अमीरुद्दीन जी, अव्वल तो ये कि 'गर'(अगर) और 'तो' शब्द के अर्थ अलग-अलग हैं और इनका इस्तेमाल 'ब्रज' जी के मक़्ते में बिल्कुल  दुरुस्त है, मैं चंद ऐसे शाइरों के अशआर पेश कर रहा हूँ जो ज़बान पर पूरी दस्तरस रखते हैं  I 

ग़ालिब के शागिर्द मौलाना अल्ताफ़ हुसैन 'हाली' का ये मतला देखें :-

'वाँँ  अगर  जाएँ तो लेकर जाएँ क्या 

मुँह उसे हम जा के ये दिखलाएँ क्या '

    (हाली)

'साए हैं अगर हम तो हो क्यों हम से गुरेज़ाँ 

दीवार  अगर  हैं  तो गिरा  क्यों  नहीं देते '

    (अहमद फ़राज़ )

'हम हक़ीक़त हैं तो तस्लीम न करने का सबब 

हाँ अगर हर्फ़-ए-ग़लत हैं  तो मिटा दो हमको" 

     (अहसान दानिश)

साहिर का मशहूर गीत :-

'तुम अगर मुझको न चाहो तो कोई बात नहीं 

तुम किसी और को चाहोगी तो मुश्किल होगी'

उम्मीद है संतुष्ट हुए होंगें ? 

Comment by Chetan Prakash on September 13, 2022 at 6:08pm

आदाब, भाई बृजेश कुमार ब्रज, आप यूँ समझिये, सानी और ऊला दो रस्सी के टुकड़े हैं, आपको उन्हें एक करना है, कितने जोड़ लगाइएगा, बताइये! भाषा शास्त्र और ध्वन्यात्मक विज्ञान  Linguistics & Phonetics) ताउम्र विश्व विद्यालय स्तर पर पढ़ाया, आप मेरी अन्यथा न ले!  शर्त वाले वाक्य का विन्यास कुछ यूँ होता है, 'यदि आज भी बुखार रहता है, मैं काॅलेज नहीं जाऊँगा! '

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on September 13, 2022 at 5:41pm

आदरणीय चेतन जी जहाँ तक मेरी जानकारी है गर का अर्थ यदि है...और यदि के साथ तो ठीक ही है...

Comment by Samar kabeer on September 13, 2022 at 4:22pm

भाई चेतन जी, मैंने ऊला में कुछ मशविरा दिया है, उसके बाद मुझे नहीं लगता कि कोई गुंजाइश है ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२२१/२१२१/१२२१/२१२ ***** जिनकी ज़बाँ से सुनते  हैं गहना ज़मीर है हमको उन्हीं की आँखों में पढ़ना ज़मीर…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन एवं स्नेह के लिए आभार। आपका स्नेहाशीष…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . नजर

नजरें मंडी हो गईं, नजर हुई  लाचार । नजरों में ही बिक गया, एक जिस्म सौ बार ।। नजरों से छुपता…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आपको प्रयास सार्थक लगा, इस हेतु हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी जी. "
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार आदरणीय । बहुत…"
yesterday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"छोटी बह्र  में खूबसूरत ग़ज़ल हुई,  भाई 'मुसाफिर'  ! " दे गए अश्क सीलन…"
Tuesday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"अच्छा दोहा  सप्तक रचा, आपने, सुशील सरना जी! लेकिन  पहले दोहे का पहला सम चरण संशोधन का…"
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। सुंदर, सार्थक और वर्मतमान राजनीनीतिक परिप्रेक्ष में समसामयिक रचना हुई…"
Tuesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . नजर

नजरें मंडी हो गईं, नजर हुई  लाचार । नजरों में ही बिक गया, एक जिस्म सौ बार ।। नजरों से छुपता…See More
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२/२१२/२१२/२१२ ****** घाव की बानगी  जब  पुरानी पड़ी याद फिर दुश्मनी की दिलानी पड़ी।१। * झूठ उसका न…See More
Monday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"शुक्रिया आदरणीय। आपने जो टंकित किया है वह है शॉर्ट स्टोरी का दो पृथक शब्दों में हिंदी नाम लघु…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"आदरणीय उसमानी साहब जी, आपकी टिप्पणी से प्रोत्साहन मिला उसके लिए हार्दिक आभार। जो बात आपने कही कि…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service