For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

निभाते रहे दुश्मनी को वो ऐसे -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"


१२२/१२२/१२२/१२२
***
न मन के  सहारे  रहे साथ अपने
न सुख के पिटारे रहे साथ अपने।।
*
कभी साथ देने न मझधार आयी
कि सूखे किनारे रहे साथ अपने।।
*
बहारें भले मुह फुलाती हों अब भी
खिजां  के  नजारे  रहे  साथ अपने।।
*
खुशी ने जो पाले अछूतों में गिनते
दुखों  के  दुलारे  रहे  साथ  अपने।।
*
नदी नीर मीठा लिए गुम गयी पर
समन्दर वो खारे  रहे साथ अपने।।
*
भले आज फैली अमा हर तरफ हो
कभी  चाँद  तारे   रहे  साथ  अपने।।
*
निभाते  रहे  दुश्मनी  को  वो ऐसे
बना झूठा साथी रखा साथ अपने।।
*
मौलिक/अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

Views: 392

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 15, 2022 at 10:54am

आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन। पुनः उपस्थित और मार्गदर्शन के लिए आभार।

Comment by Samar kabeer on September 15, 2022 at 10:32am

'निभाते रहे  दुश्मनी  को वो ऐसे
बना झूठा साथी रखा साथ अपने'

अब ये शे'र ठीक है ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 15, 2022 at 10:12am

आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। इंगित शेर में बदलाव किया है देखिएगा। सादर..

'निभाते रहे  दुश्मनी  को वो ऐसे
बना झूठा साथी रखा साथ अपने

Comment by Samar kabeer on September 12, 2022 at 4:29pm

जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है , बधाई स्वीकार करें I 

'निभाते रहे  दुश्मनी  को वो ऐसे
उन्हें जो थे प्यारे रहे साथ अपने'-- इस शे`र के दोनों मिसरों में रब्त नहीं है , देखिएगा  I 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 10, 2022 at 8:43pm

आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार। 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 10, 2022 at 8:42pm

आ. भाई अमीरुददीन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार। 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on September 9, 2022 at 10:28pm

बढ़िया ग़ज़ल हुई आदरणीय धामी जी...बधाई

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on September 5, 2022 at 9:33pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब, ख़ूबसूरत ग़ज़ल का उम्दा प्रयास हुआ है, हार्दिक बधाई।

  

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Sunday
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Friday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Friday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service