For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दोहा सप्तक -५ ( लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' )

सूरज यूँ है गाँव में, बहुत अधिक अँधियार।
नगर-नगर ही कर रही, किरणें हर व्यापार।।१
*
बन जाती है देश  में, जिस की भी सरकार।
जूती सीधी कर रहे, नित उस की अखबार।।२
*
कैसे ये बस्ती जली, क्यों उजड़ा बाजार।
किस से पूछें बोलिए, जगी नहीं सरकार।।३
*
गमलों में  फसलें  उगा, खेतों  में हथियार।
इसी सोच से क्या सुखी, होगा यह संसार।।४
*
कोई जब हो छीनता, थोड़ा भी अधिकार।
आँखों से आँसू  नहीं, निकलें  बस अंगार।।५
*
बातें व्यर्थ सुकून की, कह लो कितनी बार।
बचपन वाला पर  नहीं, आता अब इतवार।।६
*
कौशल नदिया  सा  रखो, पर्वत  सा आचार।
चलो जिधर बाधा बने, खुद पथ का आधार।।७
*
मौलिक/अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

Views: 434

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 13, 2022 at 11:02pm

आ. भाई अमीरुद्दीन जी  सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on January 13, 2022 at 5:05pm

जनाब लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब, अच्छे दोहे हुए हैं हार्दिक बधाई स्वीकार करें।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 13, 2022 at 5:02pm

आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और स्नेह के लिए हार्दिक आभार।

आपकी उपस्थिति से पूर्ण आस्वस्थि हुई। सादर..


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 12, 2022 at 4:15pm

वाह !  संप्रेषण की स्तरीयता देखते ही बनती है. 

गमलों में  फसलें  उगा, खेतों  में हथियार।
इसी सोच से क्या सुखी, होगा यह संसार।।

इस दोहा के इंगित गहराई तक उतर गये आदरणीय लक्ष्मण भाईजी. 

इस रचनाकर्म के लिए हार्दिक बधाई. 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 30, 2021 at 10:18pm

आ भाई समर जी सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद। 

Comment by Samar kabeer on December 30, 2021 at 3:43pm

जनाब लक्ष्मण धामी जी आदाब , अच्छे दोहे रचे आपने ,बधाई स्वीकार करें I 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service