For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रहीम काका - लघुकथा -

रहीम काका - लघुकथा - 

"गोविन्द, यार कहाँ है तू?  बस चलने वाली है।हम  बार बार बस वालों को निवेदन कर रुकवा रहे हैं। अब उन्होंने केवल दस मिनट का समय दिया है।

"मैं पांच मिनट में पहुंच रहा हूँ।" 

कालेज की तरफ़ से देहरादून  टूर पर दिल्ली के एक कालेज के दो बसों में छात्र और छात्रायें आये थे। आज अंतिम दिन था अतः घूमने  की छूट  मिली थी। 

सब लोग बसों में सामान लाद कर तैयार हो चुके थे। तभी गोविंद पांच मिनट का बोल कर आधे घंटे से गायब था। उसके दोस्त बार बार मोबाइल मिला रहे थे। कुछ साथी असमंजस में थे कि कहीं कोई लड़की का चक्कर तो नहीं है। 

उसी समय एक दोस्त चिल्लाया,"आ गया गोविंद।" 

सबकी निगाहें उधर ही उठ गईं। 

सबने गोविंद को घेर लिया," क्या मामला है गुरू? कहाँ गये थे?”

"कुछ नहीं भाई, काका के लिये कुछ गर्म कपड़े लेने थे।

"कौनसे काका? क्यों पागल बना रहा है।तेरे पिताजी का तो दूर तक कोई भाई नहीं है।" 

"तुम लोग नहीं जानते।गाँव के ही हैं। पापा उनको भाई मानते हैं।

"अबे हम भी तो उसी गाँव में रहते हैं। हमने तो नहीं सुनी ऐसी कोई बात।

"मैं रहीम काका की बात कर रहा हूँ। उनकी पिछली तीन पीढ़ियाँ हमारे खेतों में काम करती आ रहीं हैं। पापा उन्हें अपना भाई मानते हैं।

"अबे वह बूढ़ा मुल्ला तुम्हारा काका कब से हो गया है।वह तो तुम्हारा नौकर है।

"यार प्लीज, वे हमारे बुजुर्ग हैं,  उन्होंने मुझे गोद में खिलाया है।किसी की इज्जत नहीं कर सकते हो तो कोई बात नहीं लेकिन उनकी बेइज्जती तो मत करो।" 

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 545

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by TEJ VEER SINGH on December 10, 2021 at 5:10pm

हार्दिक आभार आदरणीय समर कबीर साहब जी।आदाब।

Comment by Samar kabeer on December 10, 2021 at 2:30pm

जनाब तेजवीर सिंह जी आदाब, अच्छी लघुकथा लिखी आपने, बधाई स्वीकार करें ।

Comment by TEJ VEER SINGH on December 5, 2021 at 6:44pm

हार्दिक आभार आदरणीय सुशील सरना जी।

Comment by Sushil Sarna on December 5, 2021 at 3:36pm
वाह बहुत सुंदर और सार्थक लघुकथा हुई है । हार्दिक बधाई सर
Comment by TEJ VEER SINGH on December 5, 2021 at 12:05pm

हार्दिक आभार आदरणीय अमीरुददीन 'अमीर' साहब जी।

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on December 4, 2021 at 6:35pm

जनाब तेजवीर सिंह जी आदाब, अच्छी प्रेरणादायी लघुकथा हुई है, बधाई स्वीकार करें। सादर। 

Comment by TEJ VEER SINGH on December 4, 2021 at 4:20pm

हार्दिक आभार आदरणीय मुसाफ़िर जी।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 4, 2021 at 10:25am

आ. भाई तेजवीर जी, सादर अभिवादन। एक प्रणादायी लधुकथा के लिए हार्दिक बधाई।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor updated their profile
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। समाँ वास्तव में काफिया में उचित नही…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, हार्दिक धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई तिलक राज जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, स्नेह और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय तिलकराज कपूर जी, पोस्ट पर आने और सुझाव के लिए बहुत बहुत आभर।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service