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कब तक  - लघुकथा –

कब तक  - लघुकथा –

"अम्मा, ये सारी टोका टोकी, रोकथाम केवल मेरे लिये ही क्यों है?"

"यह सब तेरी भलाई के लिये ही है बिटिया।"

"क्या अम्मा?, मेरी भलाई के अलावा कभी भैया के बारे में भी सोच लिया करो।"

"अरे उसका क्या सोचना? मर्द मानुष है, जैसा भी है सब चल जायेगा।"

"इसलिये उसके किसी काम में रोकटोक नहीं।रात को बारह बजे आये तो भी चलेगा।और मैं दिन में भी अकेली कहीं नहीं जा सकती।"

“तू समझती क्यों नहीं मेरी बच्ची?"

"क्या समझूं अम्मा? भैया बारहवीं में तीन साल से फेल हो रहा है लेकिन उसकी पढ़ाई चालू है। मैंने दसवीं में प्रथम श्रेणी में अस्सी प्रतिशत अंक पाये फिर भी मेरी पढ़ाई छुड़ा दी।"

"अरे तू भी क्या क्या सोचती रहती है। तुझे पराये घर जाना है। चूल्हा चौका संभालना है। क्या करेगी ज्यादा पढ़ लिख कर?"

"क्यों ज्यादा पढ़ी लिखी चूल्हा चौका करना भूल जाती हैं क्या?"

"क्यों बात का बतंगड़ बना रही है बिटिया? तू खुद ही सोच यहाँ का माहौल कैसा है।दिन दहाड़े छोरियों को उठा ले जाते हैं।“

"यह सब तो घर बैठी लड़कियों के साथ भी हो रहा है।"

"इसीलिये तो सावधानी बरत रहे हैं।"

"पर ये जो कुकर्म करते हैं उन लड़कों पर बंदिश क्यों नहीं लगाते।"

"बिटिया रानी, लड़कियाँ काँच की मूर्ति होती हैं। जरा सी खरोंच भी लग जाय तो जीवन बेकार हो जाता है।"

“बस करो अम्मा, कब तक ये दलीलों की तसल्ली दोगी।इनसे कुछ नहीं बदलने वाला। अब वक्त आ गया है कि मुझे ही पत्थर बनने दो”

मौलिक, अप्रकाशित एवम अप्रसारित

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Comment by Chetan Prakash on December 11, 2020 at 9:11pm

आदरणीय भाई, योगराज प्रभाकर, सप्रेम वन्दे ! आदरणीय भाई, श्री तेजवीर सिंह की लघु कथा, "कब तक" के संदर्भ में आपका वक्तव्य मैंने पढा़ । बंधुवर, मैंने जो कहा, वह किसी व्यक्ति विशेष के प्रति दुर्भावना से प्रेरित होकर नहीं कहा। और, न ही मंच विशेष के प्रति कोई बुरी नीयत से कुछ कह ! ।आप मेरी टिप्पणी को कृपया पुनः पढ़े। वस्तुस्थिति यह है कि मैंने लघु कथा पर केन्द्रित रहते हुए अपने अ्ध्ययन, मनन और लेखकीय अनुभव के आधार पर सामान्य बात कही थी । बात किन्हीं लोगों को बुरी लग सकती थी, अतः अप्रिय टिप्पणी हेतु आदरणीय भाई
श्री तेजवीर सिंह जी से क्षमायाचना करते हुए अपना मत व्यक्त, इस स्वीकार के कि मुझे इस बात का दुःख है कि संयोगवश यह सामान्य बात मै उनसे कर रहा हूँ, किया था ।सो, स्पष्ट है, वरिष्ठकार के रूप में पहले ही मेरी समझ से वे सम्मानित हस्ताक्षर हैं । आदरणीय भाई, इस विषय मे आपका आक्रोश मुझे उचित नहीं जान पड़ा। साभार !


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on December 11, 2020 at 4:50pm
प्रो० चेतन प्रकाश जी, इस पटल पर सभी को अपनी बात कहने का अधिकार है, लेकिन कुछेक अघोषित सीमायों को ध्यान रखते हुए. आ० श्री तेजवीर सिंह जी की रचना पर दी गई आपकी टिप्पणी की भाषा से मुझे सख़्त आपत्ति है.
.
//लघु कथा तथ्यात्मक विधा है// यह आपसे किसने कह दिया लघुकथा गल्प-साहित्य नहीं है? निरोल तथ्यात्मक तो केवल रिपोर्टिंग हो सकती है.
.
///यहाँ अधिकतर साथियों को लघुकथा के स्वरूप का सही ज्ञान ही नहीं है।// यह बेहद आपत्तिजनक स्टेटमेंट है. इस तरह मंच पर किसी का अपमान करने का किसी को अधिकार नहीं है. और फिर आप दूसरो की समझ पर तो किंतु कर रहे हैं लेकिन ख़ुद आप 'लघुकथा' को 'लघु कथा' लिख रहे हैं. आपसे निवेदन है कि भविष्य में ऐसी 'फुकराना' और अनर्गल टिप्पणी से गुरेज़ करें. 
Comment by TEJ VEER SINGH on December 11, 2020 at 2:43pm

हार्दिक आभार आदरणीय चेतन प्रकाश जी।आपने मेरी लघुकथा पर टिप्पणी की। बहुत सुखद आश्चर्य हुआ।हालांकि आपको मेरी लघुकथा पसंद नहीं आई। आप एक उच्च कोटि के साहित्यकार हैं।आपकी अपेक्षाओं पर खरा उतरने की क्षमता और काबिलियत अभी मुझमें नहीं है। मैं तो इस विधा का एक अदना सा क्षात्र हूँ।अभी केवल प्रशिक्षण ले रहा हूँ।मेरे प्रति व्यक्त की गई आपकी भावनाओं और विचारों का हृदय तल से सम्मान करता हूँ।भविष्य में भी आप अपनी कृपा इसी प्रकार बनाये रखेंगे।

Comment by Chetan Prakash on December 10, 2020 at 10:23am

नमस्कार , Shri TEJVIR SINGH ji,क्षमा करे, लघु कथा तथ्यात्मक विधा है, गल्प साहित्य नहीं। कदाचित यहाँ अधिकतर साथियों को लघुकथा के स्वरूप का
सही ज्ञान ही नहीं है। और, दुःख की बात है कि संयोगवश यह अप्रिय बात आपकी लघु-कथा के संदर्भ मे कहने को विवश हूँ । पुनः क्षमा याचना के साथ,

Comment by TEJ VEER SINGH on December 1, 2020 at 10:02am

हार्दिक आभार आदरणीय समर कबीर साहब जी।आदाब।

Comment by TEJ VEER SINGH on December 1, 2020 at 10:01am

हार्दिक आभार आदरणीय शेख उस्मानी जी।

Comment by Samar kabeer on November 30, 2020 at 5:43pm

जनाब तेजवीर सिंह जी आदाब, अच्छी लघुकथा हुई है, बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on November 30, 2020 at 2:45am

सादर नमस्कार। समय अनुसार आत्मविश्वास से आत्मसुरक्षा सीखने का सबक़ देती बढ़िया रचना। हार्दिक बधाई आदरणीय तेजवीर सिंह जी। पुरानी दलीलें अपडेटिड करनी होंगीं। मानसिकता कमज़ोर नहीं सशक्त व चुनौतियों से संघर्ष करने वाली बनानी होगी।

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