For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

यूँ ख़यालों में सनम आने लगे हैं...(ग़ज़ल मधु पासी 'महक')

बह्रे-रमल मुसद्दस सालिम

2122 / 2122 / 2122

यूँ ख़यालों में सनम आने लगे हैं

दिल को मेरे अब वो महकाने लगे हैं [1]

देखते हैं मेरी जानिब इस तरह से

राज़-ए-दिल जैसे वो बतलाने लगे हैं [2]

इश्क़ से अंजान हैं जो लोग अब तक

है मुहब्बत क्या ये समझाने लगे हैं [3]

वो सियासत-दाँ वतन जिनको था सौंपा

देश की मीरास बिकवाने लगे हैं [4]

वो रहा करते हैं आँखों में कुछ ऐसे

जागते में ख़्वाब दिखलाने लगे हैं [5]

हो रहे हैं कू-ब-कू उनके ही चर्चे

इसलिए वो ख़ुद पे इतराने लगे हैं [6]

ढूँढ लाओ फिर बहारों को 'महक' तुम

बाग़-ए-दिल के फूल मुरझाने लगे हैं [7]

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

––––––––––––––––––––––

कठिन शब्दों के अर्थ:

1. मीरास = पैतृक सम्पत्ति, धरोहर

2. कू-ब-कू = गली गली

Views: 956

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Madhu Passi 'महक' on August 31, 2020 at 10:31am

आदरणीय आशीष यादव जी सादर नमस्कार! आपकी हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया 

Comment by आशीष यादव on August 26, 2020 at 1:33am

बहुत अच्छी गजल बनी है। अच्छा लगा पढ़कर। बधाई स्वीकार कीजिए।

Comment by Madhu Passi 'महक' on August 19, 2020 at 7:19pm

आदरणीय बृजेश कुमार 'ब्रज' जी नमस्कार! आपकी हौसला अफ़ज़ाई के लिए तह-ए-दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on August 19, 2020 at 5:24pm

जैसा कि आदरणीय समर जी ने कहा...प्रयास वाकई में अच्छा आदरणीया..शुभकामनाएं

Comment by Madhu Passi 'महक' on August 18, 2020 at 6:08pm

आदरणीय समर कबीर जी आदाब! आपकी हौसला अफ़ज़ाई के लिए तह-ए-दिल से शुक्रिया अदा करती हूँ। 

 

Comment by Samar kabeer on August 18, 2020 at 4:02pm

मुहतरमा 'महक' जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Madhu Passi 'महक' on August 17, 2020 at 9:27pm

आदरणीय सुरेंद्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' सादर नमस्कार! ग़ज़ल तक आने के लिए और हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया। 

Comment by नाथ सोनांचली on August 17, 2020 at 5:37pm

आद0 madhu passi 'महक' जी सादर अभिवादन। बढ़िया ग़ज़ल खिह आपने। बधाई स्वीकार कीजिये

Comment by Madhu Passi 'महक' on August 17, 2020 at 10:18am

आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी सादर नमस्कार! आपकी तह-ए-दिल से शुक्रगुज़ार हूँ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 17, 2020 at 10:00am

आ. मधु जी, सुन्दर गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted discussions
1 hour ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ सड़सठवाँ आयोजन है।.…See More
3 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
" आदरणीय सुशील सरना जी सादर, जीवन के सत्य पर सुन्दर दोहावली रची है आपने. हार्दिक बधाई…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थित और मार्गदर्शन के लिए आभार। कुछ सुधार किया है…"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थित और मार्गदर्शन के लिए आभार। कुछ सुधार किया है…"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आ. भाई वृजेश जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। मतले में यदि उन्हें सम्बोधित कर रहे हैं…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"अनुज बृजेश , पूरी ग़ज़ल बहुत खूबसूरत हुई है , हार्दिक बधाई स्वीकार करें मतले के उला में मुझे भी…"
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"आदरणीय भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और विस्तार से सुझाव के लिए आभार। इंगित…"
13 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service