For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक नया दस्तूर (ग़ज़ल - शाहिद फिरोज़पुरी)

22 / 22 / 22 / 22 / 22 / 22

एक नया दस्तूर चलाया जा सकता है
ग़म को भी महबूब बनाया जा सकता है [1]

अपने आप को यूँ तड़पाया जा सकता है
बीती बातों पर पछताया जा सकता है [2]

यार की बाँहों में अब दम घुटता है मेरा
जन्नत से भी तो उकताया जा सकता है [3]

आशिक़ सा मासूम कहाँ पाओगे जिस से
अपना कह कर सब मनवाया जा सकता है [4]

पहली बार महब्बत छूती है जब दिल को
उस लम्हे को कैसे भुलाया जा सकता है [5]

जीत नहीं पाए यारो तो क्यूँ ये मातम
हार का भी तो जश्न मनाया जा सकता है [6]

फ़ुर्सत में शहकार बने ये मुमकिन है और
काम में कोरा वक़्त गँवाया जा सकता है [7]

कह दो जाकर महलों में रहने वालों से
मिट्टी के घर को भी सजाया जा सकता है [8]

जंग-ओ-जदल की आँधी में बेबस हैं फिर भी
अम्न का परचम तो लहराया जा सकता है [9]

देख रहा हूँ रस्ता मैं उस शे'र का 'शाहिद'
जिस पर इक दीवान लुटाया जा सकता है [10]
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
––––––––––––––––––––––
कठिन शब्दों के अर्थ:
1. शहकार = अति उत्तम रचना, उत्कृष्ट कृति
2. जंग-ओ-जदल = लड़ाई झगड़ा

Views: 1075

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by रवि भसीन 'शाहिद' on August 19, 2020 at 1:58pm

आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' भाई, आप की नवाज़िश और हौसला-अफ़ज़ाई के लिए बेहद शुक्रगुज़ार हूँ।

Comment by नाथ सोनांचली on August 17, 2020 at 4:39pm

आद0  भाई रवि भसीन जी सादर अभिवादन।  बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल हुई है। इस उम्दः ग़ज़ल पर कोटिश बधाई स्वीकार कीजिये

Comment by रवि भसीन 'शाहिद' on August 12, 2020 at 4:40pm

आदरणीय Sarfaraz kushalgarhi भाई, आपका हार्दिक आभार। मंच पर आपका बहुत स्वागत है।

Comment by Sarfaraz kushalgarhi on August 12, 2020 at 4:33pm

बहुत ख़ूब भाई लाजवाब 

Comment by रवि भसीन 'शाहिद' on August 11, 2020 at 12:30pm

आदरणीया Madhu Passi 'महक' साहिबा, ग़ज़ल तक आने के लिए और प्रोत्साहित करने के लिए आपका हार्दिक आभार!

Comment by रवि भसीन 'शाहिद' on August 11, 2020 at 12:28pm

आदरणीय सालिक गणवीर साहिब, आपकी नवाज़िश और हौसला-अफ़ज़ाई के लिए बेहद शुक्रगुज़ार हूँ जनाब, और ख़ास दाद के लिए आपका विशेष धन्यवाद!

Comment by रवि भसीन 'शाहिद' on August 11, 2020 at 12:24pm

आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' साहिब, आदाब अर्ज़ है! इस नाचीज़ की ग़ज़ल को अपनी दाद-ओ-तहसीन से नवाज़ने के लिए आपका तह-ए-दिल से शुक्रिय: हुज़ूर-ए-वाला!

Comment by Madhu Passi 'महक' on August 11, 2020 at 12:18pm
रवि भसीन'शाहिद' जी नमस्कार! बहुत ही सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।
Comment by रवि भसीन 'शाहिद' on August 11, 2020 at 12:16pm

आदरनीय आशीष यादव साहिब, हौसला बढ़ाने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिय:!

Comment by रवि भसीन 'शाहिद' on August 11, 2020 at 12:15pm

आदरणीय Shyam Narain Verma जी, सादर नमन। आपकी कृपा और प्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार मान्यवर।

 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service