For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

त्रिशंकु (लघुकथा)

त्रिवेदी जी अपने समय के ख्याति प्राप्त व्यापारी, समाज सेवक, राज नेता, मंत्री और ना जाने किस किस पद को शोभायमान कर चुके थे।

आज वृद्धावस्था के कारण जर्जर शरीर को लेकर  अस्पताल की गहन चिकित्सा इकाई में मरणासन्न स्थिति में पड़े थे। दवाओं का शरीर पर कोई अनुकूल प्रभाव नहीं हो रहा था। लेकिन अस्पताल वाले अति आशावादी  होने का नाटक कर रहे थे। वहाँ के डॉक्टरों का दावा था कि वे पूर्व में मृत प्रायः लोगों में भी जान डाल चुके हैं| वे इतनी मोटी मुर्गी को तबियत से हलाल करना चाहते थे।यमदूत बार बार आकर दस्तक दे रहे थे। लेकिन अस्पताल का प्रबंधन उन्हें छोड़ने को तैयार ही नहीं था। हालांकि त्रिवेदी जी कोमा में जा चुके थे। कुछ विशेषज्ञों की राय में वे ब्रह्म विलीन हो चुके थे। लेकिन उनका परिवार उनके इस दृष्टिकोण से सहमत नहीं था। उनकी कामना थी कि दद्दा एक बार होश में आ जांय तो कुछ अनिवार्य दस्तावेजों जैसे वसीयत एवम अन्य कानूनी कागजात पर हस्ताक्षर करा लिये जांय। उनकी इसी सोच का लाभ अस्पताल वाले भुनाने में लगे थे।अस्पताल वाले नित्य नये नये आश्वासन देकर अपना बिल दिन दूना रात चौगुना करने में लगे थे।

अंततः समय सीमा में बंधे यमदूतों का सब्र का बाँध टूट गया और वे त्रिवेदी जी की आत्मा को लेकर चल दिये। तोता तो उड़ चला लेकिन परिवार और अस्पताल अभी भी उस पिंजर को लेकर रस्साकसी में लगे थे।

.

मौलिक, अप्रकाशित एवम अप्रसारित

Views: 596

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by TEJ VEER SINGH on January 8, 2020 at 8:31pm

हार्दिक आभार आदरणीय डॉ आशुतोष मिश्रा जी।आपको भी नव वर्ष की हार्दिक बधाई एवम शुभकामनायें।

Comment by Dr Ashutosh Mishra on January 8, 2020 at 5:22pm

आदरणीय तेजवीर जी आपकी लघु कथाएँ अलहदा अंदाज ही होती हैं और मुझे बेहद पसंद भी आती हैं. इस उत्तम रचना के लिए भी तहे दिल बधाई स्वीकार करें ./ नव बर्ष की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ सादर 

Comment by TEJ VEER SINGH on January 6, 2020 at 7:52pm

हार्दिक आभार आदरणीय रवि भसीन "शाहिद"जी। मैं भी इस व्यवस्था की खामियों का शिकार हो चुका हूँ।उसी घटना से प्रेरित होकर इस लघुकथा की उत्पत्ति हुई है।

Comment by रवि भसीन 'शाहिद' on January 6, 2020 at 7:36pm

आदरणीय तेजवीर सिंह जी, आपको इस लघु कथा के लिए बहुत बधाई। इतने कम शब्दों में और बहुत सुन्दर भाषा में आपने एक कड़वी सच्चाई को उजागर किया है। मैं जानता हूँ कि आपकी कथा में कितना सच है क्यूंकि इसी तरह का कुछ मेरे और मेरे परिवार के साथ घटित हो चुका है।

Comment by TEJ VEER SINGH on January 5, 2020 at 12:11pm

हार्दिक आभार आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी।

Comment by TEJ VEER SINGH on January 5, 2020 at 12:10pm

हार्दिक आभार आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप'  जी।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 5, 2020 at 4:47am

आ. भाई तेजवीर जी, सादर अभिवादन। समसामयिक विषय पर अच्छी लघुकथा हुई है, हार्दिक बधाई स्वीकारें ।

Comment by नाथ सोनांचली on January 4, 2020 at 4:41pm

आद0 तेजवीर सिंह जी सादर अभिवादन। बेहतरीन लघुकथा लिखी आपने,, बड़ा कड़वा सच समाज का उजागर किया। अपनेनिहित स्वार्थ के कारण बहुत से लोग मुर्दो से आस लगाए रहते हैं और अर्थ तंत्र के लोभी डॉ लूटने में। बधाई आपको इस लघुकथा पर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
12 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Monday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई, बह्र भी दी जानी चाहिए थी। ' बेदम' काफ़िया , शे'र ( 6 ) और  (…"
Jul 6
Chetan Prakash commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"अध्ययन करने के पश्चात स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है, उद्देश्य को प्राप्त कर ने में यद्यपि लेखक सफल…"
Jul 6

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
Jul 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत सुंदर ग़ज़ल ... सभी अशआर अच्छे हैं और रदीफ़ भी बेहद सुंदर  बधाई सृजन पर "
Jul 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
Jul 3

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service