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दूर दामन से तेरे गर्दिश-ए-अय्याम रहे - SALIM RAZA REWA

2122 1122 1122  22/112

ये हमारी है दुआ शाद तू गुलफा़म रहे

दूर ही तुझसे सदा गर्दिश-ए-अय्याम रहे
-
सारी दुनिया में तेरे इल्म की महके ख़ुश्बू
जब तलक चाँद सितारें  हों तेरा नाम रहे
-
इस तरह तेरे तसव्वुर में मगन हो जाऊँ
मुझको अपनों से न ग़ैरों से कोई काम रहे
-
जब तेरी दीद को हम शहर में तेरे पहुंचें
अपने दामन से न लिपटा कोई इल्ज़ाम रहे
-
तेरी ख़ुशहाली की हरपल ये दुआ करते हैं 
तेरे  दामन  में  ख़ुशी  सुब्ह रहे शाम रहे 
-
हर क़दम मेरा उठे तेरी रज़ा की ख़ातिर
मेरे  होंटो  पे   हमेशा  तेरा  पैगाम  रहे
_________________
मौलिक एवँ अप्रकाशित

_________________________

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Comment by SALIM RAZA REWA on February 3, 2018 at 10:08pm
आ. सुरेंद्र नाथ जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया.
Comment by SALIM RAZA REWA on February 3, 2018 at 10:08pm
जनाब समर साहिब आपकी दोबारा महब्बत के लिए शुक्रिया
Comment by SALIM RAZA REWA on February 3, 2018 at 10:06pm
जनाब तस्दीक साहब,
इनायत के लिए शुक्रिया
Comment by नाथ सोनांचली on February 3, 2018 at 12:51pm

आद0 सलीम जी सादर अभिवादन। बढिया ग़ज़ल कही आपने।बहुत बहुत मुबारक आपको। 

हम सब की दुआ है कि जनाब समर साहब हमेशा स्वस्थ रहें। सादर

Comment by Samar kabeer on February 3, 2018 at 11:41am

आप सब की दुआओं का नतीजा है कि फिर अपने प्रिय परिवार ओबीओ की ख़िदमात के लिए हाज़िर हूँ ।

मतले का सानी मिसरा यूँ करलें तो बहतर होगा:-

'दूर तुझसे ये सदा गर्दिश-ए-अय्याम रहे'

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on February 3, 2018 at 8:59am

जनाब सलीम रज़ा साहिब , मतला बहुत अच्छा हो गया है ,ग़ज़ल में भी चार चांद लग गए हैं ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमायें। मश्वरे का मान देने का शुक्रिया।

Comment by SALIM RAZA REWA on February 3, 2018 at 7:20am

बृजेश जी आपकी  ग़ज़ल पर शिर्कत और हौसला अफज़ाई के लिए दिली शुक्रिया 

Comment by SALIM RAZA REWA on February 3, 2018 at 7:19am

अफ़रोज साहिब बहुत

आपकी नज़रे इनायत के लिए शुक्रिया 

Comment by SALIM RAZA REWA on February 3, 2018 at 7:18am

विजय साहिब आपका तहे दिल से शुक्रिया. 

Comment by SALIM RAZA REWA on February 3, 2018 at 7:17am

जनाब तस्दीक़ साहब,

आपकी ग़ज़ल पर शिर्कत और हर एक शेर को पढकर मशविरा और तारीफ़ के लिए शुक्रिया.. आप यूँ ही अपना करम नाचीज़ पर बनाए रखे....

दोबारा मतला आपको नज़र है.. दोबारा दूआएँ चाहूंगा... 

कृपया ध्यान दे...

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