For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आप से क्या मुहब्बत हुई

आप से क्या मुहब्बत हुई ।
रात भी अब कयामत हुई ।।

जब भी आए तेरे दर पे हम ।।
दुश्मनों की इजाफ़त हुई ।।

हुस्न था आपका कुछ अलग ।
आप ही की हुकूमत हुई ।।

यूँ संवरते गए आप भी ।
हुस्न की जब इनायत हुई ।।

अब चले आइये बज्म में ।
आपकी अब जरूरत हुई ।।

जाइये रूठ कर मत कहीं ।
आपसे कब अदावत हुई ।।

है तकाजा यहां उम्र का ।
आईनों की हिदायत हुई ।।

कुछ अदाएं मचलने लगीं ।
आंख से जब हिमाकत हुई ।।


चल दिये तोड़कर दिल मेरा ।
कौन सी ये शराफ़त हुई ।।

इक नज़र क्या गई आप तक ।
दुश्मनों तक शिकायत हुई ।।

टूटकर हम बिखरते रहे ।
आप से कब रियायत हुई ।।

इश्क़ में जंग कर ली फतह ।
जिंदगी अब रियासत हुई ।।

नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित

Views: 700

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on November 10, 2017 at 2:22pm
जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है,बधाई स्वीकार करें ।
दूसरे शैर में 'इज़ाफ़त'क़ाफ़िया सही नहीं है ।
चौथे शैर में तक़ाबुल-ए-रदीफ़ है ।
आख़री शैर के ऊला मिसरे में 'फतह'ग़लत है,सही शब्द है "फ़त्ह"इसका वज़्न है 21 ।
Comment by Mohammed Arif on November 10, 2017 at 1:58pm
हुस्न था आपका कुछ अलग ।
आप ही की हुकूमत हुई ।। कितना सच है । बहुत ख़ूब!
शे'र दर शे'र के साथ मुबारकबाद आदरणीय नवीन मणि त्रिपाठी जी ।
Comment by Afroz 'sahr' on November 10, 2017 at 1:32pm
जनाब नवीन मणि त्रिपाठी साहिब अच्छी ग़ज़ल कही आपने इस रचना पर बहुत बधाई आपको,,,,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
3 hours ago
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
12 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
12 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service