For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल नूर की- किसे गुरेज़ जो दो-चार झूठ बोले है,

१२१२/११२२/१२१२/२२ (११२)
.
किसे गुरेज़ जो दो-चार झूठ बोले है,
मगर वो शख्स लगातार झूठ बोले है.
.
चली भी आ कि तुझे पार मैं लगा दूँगी, 
हमारी नाव से मँझधार झूठ बोले है.
.
सवाल-ए-वस्ल पे करना यूँ हर दफ़ा इन्कार 
ज़रूर मुझ से मेरा यार झूठ बोले है.
.
कहानी ख़ूब लिखी है ख़ुदा ने दुनिया की,
कि इस में जो भी है किरदार, झूठ बोले है. 
.
पटकना रूह का ज़िन्दान-ए-जिस्म में माथा,
बिख़रना तय है प् दीवार झूठ बोले है.   
.
निलेश "नूर"
मौलिक/ अप्रकाशित 

Views: 1038

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 21, 2017 at 6:57pm

शुक्रिया आ. मोहम्मद आरिफ़ साहब 

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on May 21, 2017 at 4:41pm
मुहतरम जनाब नीलेश साहिब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमायें ----शेर 2 में शायद शुतुरगुरबा हो गया है
Comment by Ram Awadh VIshwakarma on May 21, 2017 at 4:09pm
गज़ल के सभी शेर बोलते हुये हैं बधाई

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 21, 2017 at 2:17pm

आदरणीय नीलेश भाई , बहुत बढ़िया गज़ल कही है ... सभी शेर अच्छे लगे ,  हार्दिक बधाइयाँ गज़ल के लिये ।

Comment by Mohammed Arif on May 21, 2017 at 1:21pm
चली भी आ कि तुझे पार मैं लगा लूँगी
हमारी नाव से मँझधार झूठ बोले हैं । वाह!वाह!! लगता है एक सखी दूसरी सखी को मानो आगाह कर रही हो
किसे गुरेज़ जो दो-चार झूठ बोले है
मगर वो शख़्स लगातार झूठ बोले है । सच है । आज सभी झूठ बोलने की लंबी कतार लगाए बैठे हैं । सच का कोई शैदाई नज़र नहीं आता ।
आदरणीय नीलेश जी शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद कुबूल करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बहुत सुंदर अभिव्यक्ति हुई है आ. मिथिलेश भाई जी कल्पनाओं की तसल्लियों को नकारते हुए यथार्थ को…"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश भाई, निवेदन का प्रस्तुत स्वर यथार्थ की चौखट पर नत है। परन्तु, अपनी अस्मिता को नकारता…"
Thursday
Sushil Sarna posted blog posts
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।विलम्ब के लिए क्षमा सर ।"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सहमत एवं संशोधित ।…"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
Jun 3
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
Jun 3

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Jun 3
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Jun 2

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service