For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल नूर की-मैं पहले-पहल शौक़ से लाया गया दिल में

22 11 22 11 22 11 22
.
मैं पहले-पहल शौक़ से लाया गया दिल में
फ़िर नाज़ से कुछ रोज़ बसाया गया दिल में.
.
वो ख़त तो बहुत बाद में शोलों का हुआ था,
तिल तिल के उसे पहले जलाया गया दिल में.
.
हालाँकि मुहब्बत वो मुकम्मल न हो पाई 
शिद्दत से बहुत जिस को निभाया गया दिल में.
.
अंजाम पता है हमें कुछ और है फिर भी,  
हीरो को हिरोइन से मिलाया गया दिल में.   
.
हम सच में तेरी राह में कलियाँ क्या बिछाते
पलकों को मगर सच में बिछाया गया दिल में.  
.
निलेश "नूर"
मौलिक/ अप्रकाशित 

Views: 920

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 22, 2017 at 10:32am

शुक्रिया आ. महेंद्र कुमार जी ..

Comment by Mahendra Kumar on May 22, 2017 at 9:32am

आदरणीय निलेश जी, बहुत बढ़िया लगी ग़ज़ल आपकी. 'हीरो' और 'हिरोइन' का प्रयोग किसी शेर में पहली बार देख रहा हूँ. इसलिए ये शेर विशेष तौर पर पसंद आया. यदि मतले के बाद उसकी (मतले की) बात को आगे बढाता हुआ एक शेर और हो जाता तो मज़ा द्विगुणित हो जाता. मेरी तरफ से दिल से बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.

Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 21, 2017 at 7:32pm

आ. तस्दीक़ साहब.. शुक्रिया...
ख़त का त ..तोय का है     और तो का ते वाला, अत: इस में कोई ऐब नहीं है ...
सादर 

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on May 21, 2017 at 4:51pm
मुहतरम जनाब नीलेश साहिब, अच्छी गया,ग़ज़ल हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमायें---में तो नहीं मानता लेकिन आपके हिसाब से शेर 2 उला मिसरे में ऐब -तनाफुर, "खत तो"
Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 21, 2017 at 8:10am

शुक्रिया आ. गुरप्रीत जी 

Comment by Gurpreet Singh jammu on May 19, 2017 at 1:54pm

वो ख़त तो बहुत बाद में शोलों का हुआ था,
तिल तिल के उसे पहले जलाया गया दिल में.

वाह वाह सर जी क्या बात है ,, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 19, 2017 at 8:43am

शुक्रिया आ. विजय जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 19, 2017 at 8:43am

शुक्रिया आ. सुरेन्द्रनाथ सिंह जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 19, 2017 at 8:43am

शुक्रिया आ. बृजेश जी 

Comment by vijay nikore on May 19, 2017 at 7:01am

 //ख़त तो बहुत बाद में शोलों का हुआ था,
तिल तिल के उसे पहले जलाया गया दिल में.//

आपकी गज़ल पढ़ कर हमेशा आनन्द आता है। हार्दिक बधाई।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
20 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service