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ग़ज़ल ( यक बयक हादसा घट गया )

ग़ज़ल (  हादसा घट गया )

--------

212 -212 -212

यक बयक हादसा घट  गया ।

राहे उल्फत से वह हट गया ।

ज़ुल्म में ही था शामिल करम

था गुमाँ मुझको वह पट गया ।

जाऊं सदक़े सियासत तेरे

हर कोई क़ौम में बट गया ।

नाव भी डगमगाने लगी

हो रहा है गुमाँ तट गया ।

ऐसा लगता है फ़हरिस्त से

नाम शायद मेरा कट गया ।

खाये पत्थर गली में तेरी

सर मेरा यूँ नहीं फट गया ।

उनका कूचा यह तस्दीक़ है

मैं यहां यूँ नहीं डट गया ।

(मौलिक व अप्रकाशित )

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Comment by Tasdiq Ahmed Khan on June 15, 2016 at 8:35pm

मोहतरमा काँता     साहिबा  ,ग़ज़ल में गहराई से शिरकत करने और हौसला अफ़ज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 15, 2016 at 8:21pm

छोटी बहर में आपने गजल को बेहतरीन ढंग से निखारा है .  सादर . 

Comment by kanta roy on June 15, 2016 at 8:18pm

यक बयक हादसा घट  गया ।

राहे उल्फत से वह हट गया ।---- बेहतरीन है ये ! 

खाये पत्थर गली में तेरी

सर मेरा यूँ नहीं फट गया ।------ वाह , बहुत  ही  शानदार ग़ज़ल  कही  है  आपने आदरणीय  तस्दीक  जी ,बधाई  प्रेषित  है .

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on June 15, 2016 at 8:17pm

मोहतरम  जनाब गिरिराज   साहिब ,ग़ज़ल में शिरकत करने और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on June 15, 2016 at 8:16pm

 जनाब महा ऋषी  साहिब ,ग़ज़ल में शिरकत करने और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on June 15, 2016 at 8:15pm

 जनाब आशुतोष  साहिब ,ग़ज़ल में शिरकत करने और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on June 15, 2016 at 8:14pm

 जनाब श्याम नारायण  साहिब ,ग़ज़ल में शिरकत करने और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 15, 2016 at 5:53pm

आदरनीय तस्दीक भाई , छोटी बह्र मे अच्छी गज़ल कही है , दिली मुबारकबाद कुबूल कीजिये ।

Comment by maharshi tripathi on June 15, 2016 at 4:30pm
छोटी बहर में अच्छी गज़ल कही है,आ.अहमद खान जी !!!
Comment by Dr Ashutosh Mishra on June 15, 2016 at 4:09pm

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