For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कहर (लघुकथा) राहिला

पकी फसल पर असमय बरसात और ओलों के कहर ने किसानों के पेट और कमर पर जो लात मारी थी। उसी का सर्वे चल रहा था। कौन किस हद तक घायल है उसी हिसाब से मुआवजा मिलना था। सो,दो सरकारी मुलाजिम एक पुरवा से दूसरे पुरवा जा जाकर कागज़ रंग रहे थे।
"भाग यहाँ से साsssले, यहाँ आया तो तेरी खैर नहीं। हिम्मत कैसे हुई यहाँ आने की? तेरा मन नहीं भरा मेरे बाल बच्चे खा कर? और कितनों को खायेगा?आ..ले,खाले...सब को खाजा..आजा,आ के दिखा तुझे अभी मजा चखाता हूं"कह कर वो अंधाधुंध पत्थर मारने लगा। उसकी विक्षिप्त सी हालत देख दोनों सर्वेकर्ता दहशत में आ गये,उसमें से एक ने साथ खड़े ग्रामीण से पूछा-
"अरे भैया! इसे क्या हुआ? पागल है क्या? "
"अरे अब क्या बतायें हजूर! अच्छा खासा मेहनती किसान था।पिछले साल इन्हीं दिनों ओलों ने इसका सब कुछ बरबाद कर दिया।लागत भी नहीं निकाल पाया बेचारा!, ऊपर से साहूकार के तकाज़े। सो खा लिया परिवार सहित जहर, कोई नहीं बचा! बस इसी की नहीं आई थी..सो बच गया, लेकिन बच्चों की लाशें देखकर दिमाग ठिकाने नहीं रहा।"
"ओहो. .बहुत बुरा हुआ, लेकिन ये पत्थर किसे मार रहा है? "
"उन्हें" असमय घिर रहे काले बादलों की ओर इशारा करते हुये वो ग्रामीण बोला।"

.

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 1188

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on March 23, 2016 at 6:55pm
बहुत मार्मिक चित्रण किया है आपने आदरणीया।ऐसी प्रस्त्तिथियां पनपना आम हो गया है अब।हर सीजन में किसानों को इस प्रताड़ना से गुजरना पद रग है।
हमारी ताराफ एक कहावत है "गरीब को दोहरी मार// उसका इंसान तो कोई होता ही नहीं,भगवन भी उसे ही दबाता है।बधाई इस बेहतरीन प्रस्तुति के लिए।
Comment by Rahila on March 23, 2016 at 6:19pm
आदरणीय सिद्दिकी साहब! इस हौसला अफज़ाई का तहेदिल से शुक्रिया । बस यूं ही आप सब के प्रोत्साहन से कुछ लिखने का हौसला कर लेती हूं।बहुत आभार ।सादर
Comment by MUZAFFAR IQBAL SIDDIQUI on March 23, 2016 at 5:57pm
"भाग यहाँ से साsssले, यहाँ आया तो तेरी खैर नहीं। हिम्मत कैसे हुई यहाँ आने की? तेरा मन नहीं भरा मेरे बाल बच्चे खा कर? और कितनों को खायेगा?आ..ले,खाले...सब को खाजा..आजा,आ के दिखा तुझे अभी मजा चखाता हूं"
 राहिला जी , वास्तव में  आपने उस दर्द को शब्दों  में बखूबी बयान किया है।  एक हक़ीक़त को कागज़ पर उन शब्दों के द्वारा उकेरना ,बहुत मुश्किल काम है। जिसे आपने इस लघु कथा  में आसानी से कह दिया।  ,बहुत - बहुत बधाई। 
Comment by Rahila on March 23, 2016 at 11:18am
आद. परवेज खान साहब! आपने रचना के मर्म को सही समझा।इसके लिये बहुत आभारी हूं।सादर
Comment by Rahila on March 23, 2016 at 11:06am
आद. परवेज खान साहब! आपने रचना के मर्म को सही समझा।इसके लिये बहुत आभारी हूं।सादर
Comment by Parvez khan on March 23, 2016 at 10:51am
आद राहिला जी इस रचना ने किसानो के दर्द को वयान किया जो बिल्कुल सच है बहुत बहुत बधाई आपको
Comment by Rahila on March 21, 2016 at 9:56pm
आदरणीय सर जी!बहुत आभार रचना को सराहने के लिये । वाकई बड़े बुरे हालात है छोटे किसानो के। सारी मेहनत मिट्टी में मिल गई है ।हम और आप जिस दर्द को महसूस करके व्यथित है वो दर्द उनकी नियति है । बहुत शुक्रिया रचना पर उपस्थित होने के लिये ।सादर
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on March 21, 2016 at 9:19pm
क्या लिखें?

एक छोटी सी कहानी, इतनी गहरी चोट कर गयी कि "दरिया आँखों के मुहाने तक आ गया है।"

और

ये बात सिर्फ तारीफ के लिए नहीं कह रहा, मन व्यथित हो गया, दृश्य की कल्पना से।
Comment by Rahila on March 18, 2016 at 12:30pm
आदरणीय सुनील जी! आपका हौसला अफज़ाई का अंदाज बिलकुल आपकी रचनाओं जैसा है एकदम जबरदस्त! बहुत कृतज्ञ हूं आप मेरी रचनाओं को पढ़ते ही नहीं वरन् सराहते भी है । बहुत शुक्रिया । सादर
Comment by Rahila on March 18, 2016 at 12:27pm
बहुत -बहुत शुक्रिया आदरणीय चंद्रेश सर जी! आपकी प्रतिक्रिया का बेसब्री से इंतेजार ही कर रही थी । आपकी राय मेरे लिये बहुत मायने रखती है सादर नमन ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
19 hours ago
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service