For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शेरों की दुनियाँ---डा० विजय शंकर

शेरों की दुनियाँ अजीब ,
जमाना अजीब होता है,
हर शेर अज़ब होता है,
हर शेर गज़ब होता है,
शेर सवाल, शेर जवाब होता है
शेर का जवाब भी शेर होता है
शेर पर शेर , सवा सेर होता है |

हमको भी शौक चर्राया,
हम भी आ गए शेरों के बीच ,
अपने चूहे बिल्ली लेकर ,
उन्होंने वो हंगमा बरपाया
कि शेर शेर घबड़ाया , बोला ,
अरे ,ये कौन शेर के जंगल में चला आया |

शेरों की अपनी एक तहजीब होती है ,
एक अदब , एक तमीज होती है ,
क़यामत होती है , एक अलग तरह की ,
बला की नरमी के साथ , और
भरपूर नफ़ासत के साथ होती है,
यूँ ही नहीं कूद पड़ता कोई शेर बन कर ,
यूँ ही शोर मचाओगे तो कहाँ से दाद पाओगे ,
उसके लिए तो मियाँ अदा चाहिए ,
शेर शेर के लिए , सदा चाहिए ,
यूँ ही चिल्ल पों मचाओगे ,
तो शेर क्या , गीदड़ ही रह जाओगे ,
शायरी तो दर्द है, इश्क है, हुस्न है,
हुस्न का जिक्र है , हुस्न की फ़िक्र है,
मेहबूबा की बात है, मेहबूबा से बात है,
मेहबूब की आन है , मेहबूब का बयान है.
आजकी शायरी तो बस तकलीफ़ें ,
बस तकलीफ़ें ही बयाँ करती रहती है,
यूँ तो इश्क,मेहबूब,मेहबूबा भी बस तकलीफें ही देते हैं,
आज तो तकलीफें ही इश्क और माशूक बने बैठे हैं |

मौलिक एवं अप्रकाशित.
डा० विजय शंकर

Views: 911

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on February 25, 2015 at 9:39pm
आदरणीय सुशील सरना जी , रचना आपको पसंद आई ,आभार ,आपकी सद्भावनाओं के लिए आपका धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on February 25, 2015 at 9:37pm
आदरणीय महिर्षि त्रिपाठी जी , रचना आपको पसंद आई ,आभार , बधाई के लिए भी आपका धन्यवाद , सादर।
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 25, 2015 at 9:36pm

वाह! बेहतरीन रचना. आपकी यह ,एक  अलग ही अंदाज लिए कविता पढ़कर मन आनंदित हो गया, आदरणीय डा. विजय जी. बहुत-बहुत बधाई , सर.

Comment by Dr. Vijai Shanker on February 25, 2015 at 9:35pm
आदरणीय डॉ o गोपाल नारायण जी , रचना आपको पसंद आई ,आपकी स्वीकृति मायने रखती है ,रचना को सार्थकता प्रदान करती है , बहुत बहुत आभार आपका , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on February 25, 2015 at 9:31pm
आदरणीय परी एम श्लोक जी , रचना आपको पसंद आई ,आभार , आपकी बधाई के लिए भी ह्रदय से धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on February 25, 2015 at 9:29pm
आदरणीय उषा चौधरी साहनी जी , रचना को आपके द्वारा मिली प्रशस्ति से अनुगृहीत हूँ , आपकी बधाई के लिए भी ह्रदय से धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on February 25, 2015 at 9:27pm
आदरणीय हरी प्रकाश दुबे जी , रचना की आपके द्वारा मिली स्वीकृति से अनुगृहीत हूँ , आपकी बधाई हेतु ह्रदय से धन्यवाद , सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 25, 2015 at 9:26pm

बहुत सुन्दर सर, क्या खूब तेवर है इस रचना के.... इस सशक्त प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई आदरणीय डॉ विजय शंकर सर....

सर ये पंक्तियाँ बड़ी ही मजेदार हुई है 

हमको भी शौक चर्राया,
हम भी आ गए शेरों के बीच ,
अपने चूहे बिल्ली लेकर ,
उन्होंने वो हंगामा बरपाया
कि शेर शेर घबड़ाया , बोला ,
अरे ,ये कौन शेर के जंगल में चला आया |.... बेहतरीन 

Comment by Sushil Sarna on February 25, 2015 at 7:15pm

आदरणीय रचना की इन पंक्तियों के लिए दिली दाद कबूल फरमाएं
''शायरी तो दर्द है, इश्क है, हुस्न है,
हुस्न का जिक्र है , हुस्न की फ़िक्र है,
मेहबूबा की बात है, मेहबूबा से बात है,
मेहबूब की आन है , मेहबूब का बयान है.''

Comment by maharshi tripathi on February 25, 2015 at 6:02pm

शायरी तो दर्द है, इश्क है, हुस्न है,
हुस्न का जिक्र है , हुस्न की फ़िक्र है,

इन लाइनों पर आपको हार्दिक बधाई आ. विजयशंकर जी |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"धन्यवाद"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"ऑनलाइन संगोष्ठी एक बढ़िया विचार आदरणीया। "
15 hours ago
KALPANA BHATT ('रौनक़') replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"इस सफ़ल आयोजन हेतु बहुत बहुत बधाई। ओबीओ ज़िंदाबाद!"
22 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"बहुत सुंदर अभी मन में इच्छा जन्मी कि ओबीओ की ऑनलाइन संगोष्ठी भी कर सकते हैं मासिक ईश्वर…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion

ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024

ओबीओ भोपाल इकाई की मासिक साहित्यिक संगोष्ठी, दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय, शिवाजी…See More
Sunday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय जयनित जी बहुत शुक्रिया आपका ,जी ज़रूर सादर"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय संजय जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियों से जानकारी…"
Saturday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"बहुत बहुत शुक्रिया आ सुकून मिला अब जाकर सादर 🙏"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"ठीक है "
Saturday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"शुक्रिया आ सादर हम जिसे अपना लहू लख़्त-ए-जिगर कहते थे सबसे पहले तो उसी हाथ में खंज़र निकला …"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"लख़्त ए जिगर अपने बच्चे के लिए इस्तेमाल किया जाता है  यहाँ सनम शब्द हटा दें "
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service