For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गरीबी - एक विषय : डॉo विजय शंकर

कवि थे ,
गरीबी बहुत है ,
अच्छे वाक-जाल में
बयान की , कविता अच्छी बनी ,
मित्रों ने चाय-वाय की फरमाइश की ,
खूब वाह-वाही मिली ,
चाय-वाय रात भर चली ||

लेखक थे ,
गरीबी पर लेख छपा था ,
दिन भर बधाईयाँ आती रहीं ,
बहुत खुश थे , आग्रह भी था ,
ख़ास मित्रों ,पत्नी और बच्चों को ,
मंहगे रेस्त्रां में डिनर पर ले गए ,
गरीबी पर डिस्कशन खूब हुआ ,
खाना - पीना देर रात तक हुआ ,
देर हो ही गयी , रात देर से लौटना हुआ ॥

फ्री लांसर थे ,
दुर्दशा-गरीबी पर ,
एक लघु वीडियो फिल्म
शूट की थी , चल निकली ,
रात बड़ी पार्टी हुई ,
नाच - गाना सब हुआ ,
घर ,सुबह पंहुचना हुआ ॥

अभी अभी चुनाव
जीत कर आये थे ,
पद भी मिल गया था,
किसी ख़ास ने सलाह दी,
गरीब बहुत दुखी है ,
उसके लिए कुछ हो जाए ,
अच्छा काम होगा , नाम होगा ,
बोले , मुद्दा अच्छा है , अगले चुनाव में ,
याद दिलाना , काम आएगा।
डिटेल्स बना लो , लग जाओ काम पर ,
वो रात-रात भर डिटेल्स बनाने लगा ॥

कितनी जागरूकता , कितने लोग ,
गरीबी के लिये रात-रात जागते हैं ,
गरीबी की कितनी फ़िकर करते हैं ,
गरीबी को कुछ नहीं होगा ,
गरीबी को रहना ही होगा ,
गरीबी को ज़िंदा रहना ही होगा ॥

मौलिक एवं अप्रकाशित
डॉo विजय शंकर

Views: 611

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on January 3, 2015 at 8:52pm
आदरणीय हरी प्रकाश दुबे जी , रचना पर आपकी प्रशस्ति के लिए बहुत - बहुत आभार। नव वर्ष शुभ एवं मंगलमय हो। सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on January 3, 2015 at 8:42pm
आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी , आपको रचना पसंद आई , आपकी प्रशस्ति के लिए बहुत बहुत आभार। नव वर्ष शुभ एवं मंगलमय हो। सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on January 3, 2015 at 8:39pm
आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी , आपने रचना को समय दिया ,प्रशस्ति के लिए बहुत बहुत आभार। नव वर्ष शुभ एवं मंगलमय हो। सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on January 3, 2015 at 8:37pm
आदरणीय डॉ o गोपाल नारायण जी , आपने रचना को समय दिया ,मान दिया ,प्रशस्ति के लिए बहुत बहुत आभार। नव वर्ष शुभ एवं मंगलमय हो। सादर।
Comment by Hari Prakash Dubey on January 3, 2015 at 8:29pm

गरीबी को रहना ही होगा ,
गरीबी को ज़िंदा रहना ही होगा ॥....बहुत ही सुन्दर ,यथार्थ चित्रण , हार्दिक बधाई आदरणीय डाक्टर विजय सर ! सादर 

Comment by Dr. Vijai Shanker on January 3, 2015 at 8:11pm
आदरणीय सुशील सरना जी , आपने रचना को समय दिया , सम्मान दिया , बहुत बहुत आभार। मुझे तो यही लगता है कि गरीबी उतनी बड़ी समस्या है ही नहीं जितना हमने उसे बना रखा है , कुछ लोग तो रात- दिन बड़ी मेहनत करते हैं , गरीबी को बढ़ाने के लिए , तब हम उसे यह रूप दे पाएं हैं।
आपकी शुभ कामनाओं के लिए धन्यवाद। नव वर्ष शुभ एवं मंगलमय हो। सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 3, 2015 at 6:07pm

आदरणीय विजय शंकर सर इस बेहतरीन भावाभिव्यक्ति के लिए नमन. 

गरीबी के लिये रात-रात जागते हैं ,
गरीबी की कितनी फ़िकर करते हैं ,
गरीबी को कुछ नहीं होगा ,
गरीबी को रहना ही होगा ,
गरीबी को ज़िंदा रहना ही होगा ॥

Comment by Shyam Narain Verma on January 3, 2015 at 5:02pm

सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति ..बधाई आपको .

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 3, 2015 at 4:28pm

कितनी जागरूकता , कितने लोग ,
गरीबी के लिये रात-रात जागते हैं ,
गरीबी की कितनी फ़िकर करते हैं ,
गरीबी को कुछ नहीं होगा ,
गरीबी को रहना ही होगा ,
गरीबी को ज़िंदा रहना ही होगा ॥---------------विजय सर  i बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति  i

Comment by Sushil Sarna on January 3, 2015 at 3:11pm

कितनी जागरूकता , कितने लोग ,
गरीबी के लिये रात-रात जागते हैं ,
गरीबी की कितनी फ़िकर करते हैं ,
गरीबी को कुछ नहीं होगा ,
गरीबी को रहना ही होगा ,
गरीबी को ज़िंदा रहना ही होगा ॥
.... बहुत ही सुंदर और यथार्थ को चरित्रार्थ करती रचना … बिलकुल सही है आदरणीय गरीब नहीं होगा तो कई बड़े बड़े गरीब हो जायेंगे … अगर इनके चूल्हे जल जाएंगे तो महलों के चूल्हे बंद हो जाएंगे .... आदरणीय नमन आपकी लेखनी को और इस प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई डॉ विजय जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय मिथिलेश भाई, रचनाओं पर आपकी आमद रचनाकर्म के प्रति आश्वस्त करती है.  लिखा-कहा समीचीन और…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ सर, गाली की रदीफ और ये काफिया। क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस शानदार प्रस्तुति हेतु…"
21 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service