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हास्य घनाक्षरी : ईलाज (गणेश जी बागी)

छंद : घनाक्षरी 

झट छायी चिंता-रेखा,

नीला-नीला पाँव देखा,
पहुँचे करीम चच्चा, शफ़ाख़ाना आस में.

देखते हकीम बोला,

पाँव में ज़हर फैला,
दोनों पाँव काट डाले, ज़िन्दग़ी की आस में.

बात हुई ज़ल्द साफ़,

कट गये पर पाँव,
डरता हकीम आया, चच्चा जी के पास में.

सुनो जी करीम भाई,

बात ये समझ आई,
लुंगी रंग छोड़ रही, बोला एक साँस में. :-)))))))))

(मौलिक व अप्रकाशित)
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मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 23, 2014 at 5:23pm

आदरणीय सौरभ भईया, यह घनाक्षरी अभी भी मेरे कार्यालय के सभी मित्रों को गुदगुदाती है, सभी "लुंगी रंग छोड़ रही" कह कह हँसते हैं, आपको यह प्रस्तुति अच्छी लगी और आपका आशीर्वाद प्राप्त हुआ इसके लिए हृदय से आभार .


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 23, 2014 at 5:20pm

घनाक्षरी आपको अच्छी लगी, यह जान मुझे भी अच्छा लगा, आभार सोमेश जी.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 23, 2014 at 5:19pm

आदरणीय शिज्जू भाई, सराहना हेतु आभार .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 23, 2014 at 3:03pm

आदरणीय बागी जी , बहुत बिरला प्रयोग किया आपने , हास्य घनाक्षरी , वाह ! बहुत खूब । हार्दिक बधाइयाँ ।

Comment by khursheed khairadi on December 23, 2014 at 12:23pm

आदरणीय बागी साहब , लोटपोट कर दिया आपने |घनाक्षरी के माध्यम से उत्पन्न हास्यरस अद्भुत है |कोटि अभिनन्दन |सादर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 23, 2014 at 1:21am

हा हा हा.. . नीम हकीम ख़तरेजान  की सुन्दर बानग़ी प्रस्तुत हुई है !

इस हास्य घनाक्षरी के लिए दिल से बधाई स्वीकारें, भाई गणेशजी.
मैं आखिरी पद को बार-बार पढ़ के आनन्दित हो रहा हूँ. मेरी हँसी रुक नहीं रही, भाईजी. .. :-))))))))))

Comment by somesh kumar on December 23, 2014 at 12:29am

आनन्दित कर गई सर ,ये घनाक्षरी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 22, 2014 at 8:00pm

आदरणीय गणेशजी बहुत सुंदर घनाक्षरी बन पड़ी है बहुत बहुत बधाई


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 22, 2014 at 7:52pm

सराहना और प्रतिक्रिया हेतु दिल से आभार आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी .


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 22, 2014 at 7:51pm

प्रतिक्रिया हेतु आभार आदरणीय भुवन निस्तेज जी .

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