For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल : जिया गुमनाम हूँ तो मौत को तशहीर मत देना

नए ज़हनों को छूने दो अदब के अनछुए पहलू

इन्हे मीरास में उलझी हुई ज़न्जीर मत देना

लबों को सी लिया मैने,खुदा ये बस में था मेरे

जो आहें दिल से उठ जाएं उन्हें तासीर मत देना

नई है नस्ल नई जंगें नए हथियार भी होंगे

क़लम दो मुल्क के हाथों में अब शमशीर मत देना

मचल जाए ना मेरी रूह फिर दुनिया में आने को

जिया गुमनाम हूँ तो मौत को तशहीर मत देना

रहूँ मैं मुन्हसिर दीदार को कागज़ के टुकड़े पर ?
मुझे तो चाँद है काफी भले तस्वीर मत देना

-सालिम शेख

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 944

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by saalim sheikh on September 20, 2014 at 7:17pm

 आदरणीय योगराज प्रभाकर जी मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद 

अभी ग़ज़ल की बारीकियां सीखने की कोशिश जारी है
बस आप गुणीजनों से स्नेह बने रखने का आग्रह है
सादर


Comment by saalim sheikh on September 20, 2014 at 7:12pm

 आदरणीय गिरिराज भंडारी जी,  Sulabh Agnihotri जी "नस्ल" की तक़्तीअ में थोड़ा उलझने की वजह से शायद ऐसा हुआ है ,

नस्ल की तक़्तीअ २१ होगी या २ ? अगर आप गुणीजन मार्गदर्शन करने का कष्ट करें तो बड़ी कृपा होगी


Comment by saalim sheikh on September 20, 2014 at 7:02pm
Comment by Neeraj Nishchal on September 19, 2014 at 1:45am
छा गये सालिम साहब छा गये बहुत ही बेहतरीन गजल ईजाद हुई है बहुत बहुत बधाई प्रेषित हैँ ।
Comment by Ram Awadh VIshwakarma on September 18, 2014 at 11:43am

नई नस्लें नई जंगें नए हथियार भी होंगे
ऐसा परिवर्तन करने पर गजल बहर में आजायेगी।
बहर है मफाईलुन मफाईलुन मफाईलुन मफाईलुन

गंजंल लाजबाज है। बधाई

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 17, 2014 at 11:36am

वाह  बाकमाल  शायरी i  मुबारक हो i

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 17, 2014 at 11:10am

आदरणीय भाई सलीम शेख जी इस उम्दा ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई .

Comment by khursheed khairadi on September 17, 2014 at 9:25am

नई है नस्ल नई जंगें नए हथियार भी होंगे

क़लम दो मुल्क के हाथों में अब शमशीर मत देना

आदरणीय सलीम साहब ,उम्दा ख्यालात और नायाब अशहार पर ढेरों दाद कबूल फरमाएं | वा.....ह 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 16, 2014 at 10:18pm

आ. सलीम भाई , सभी अशआर बढ़िया हुए हैं , आपको दिली मुबारकबाद , ग़ज़ल के लिए | आपने बहर नहीं दिया है  शायद ये मिसरा    बेबहर  हो  - नई है नस्ल नई जंगें नए हथियार भी होंगे , देख लीजिएगा , अगर बहर ,१२२२ १२२२ १२२२ १२२२ है तो |

Comment by भुवन निस्तेज on September 16, 2014 at 9:20pm

नई है नस्ल नई जंगें नए हथियार भी होंगे

क़लम दो मुल्क के हाथों में अब शमशीर मत देना

बेहद खूबसूरत ख़यालात.... बधाई है...

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"अहसास (लघुकथा): कन्नू अपनी छोटी बहन कनिका के साथ बालकनी में रखे एक गमले में चल रही गतिविधियों को…"
10 hours ago
pratibha pande replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"सफल आयोजन की हार्दिक बधाई ओबीओ भोपाल की टीम को। "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय श्याम जी, हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय सुशील सरना जी, हार्दिक आभार आपका। सादर"
yesterday

प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। इस बार…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

कुंडलिया छंद

आग लगी आकाश में,  उबल रहा संसार।त्राहि-त्राहि चहुँ ओर है, बरस रहे अंगार।।बरस रहे अंगार, धरा ये तपती…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर

कहूं तो केवल कहूं मैं इतना कि कुछ तो परदा नशीन रखना।कदम अना के हजार कुचले,न आस रखते हैं आसमां…See More
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"ओबीओ द्वारा इस सफल आयोजन की हार्दिक बधाई।"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"धन्यवाद"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"ऑनलाइन संगोष्ठी एक बढ़िया विचार आदरणीया। "
Tuesday
KALPANA BHATT ('रौनक़') replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"इस सफ़ल आयोजन हेतु बहुत बहुत बधाई। ओबीओ ज़िंदाबाद!"
Tuesday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service