For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हूँ प्यासा इक महीने से /ग़ज़ल/ संदीप पटेल "दीप"

हजज मुरब्बा सालिम

१२२२/१२२२

हूँ प्यासा इक महीने से
मुझे रोको न पीने से

पिला साकी  सदा आई
शराबी के दफीने से  

पिला बेहोश होने तक
हटे कुछ बोझ सीने से 

न लाना होश में यारो
नहीं अब रब्त जीने से 
 
उतर जाने दो रग रग में 
उड़े खुशबू पसीने से

जिसे हो डूबने का डर 
रखे दूरी सफीने से

हुनर आता है जीने का
है क्या लेना करीने से  

गिरा न अश्क उल्फत में
ये होते हैं नगीने से

मिलेंगे "दीप" दिल में ही
दफ़न कुछ गम खजीने से 
 
संदीप पटेल "दीप"
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 810

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 20, 2013 at 12:20am

आप प्रयोगधर्मी हैं.. अच्छी लगी ये ग़ज़ल .. बधाई

Comment by वीनस केसरी on December 17, 2013 at 3:20am

मुरस्सा ग़ज़ल हुई है ...

Comment by vijay nikore on December 16, 2013 at 5:39pm

//गिरा न अश्क उल्फत में
ये होते हैं नगीने से //

इस खूबसूरत गज़ल के लिए बधाई।

 

सादर,

विजय निकोर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 16, 2013 at 5:32pm

आदरणीय सन्दीप भाई , बेहतरीन गज़ल कही है , बहुत छोटी बहर मे सुन्दर गज़ल के लिये आपको हार्दिक बधाइयाँ ॥उतर जाने दो रग रग में 
उड़े खुशबू पसीने से

जिसे हो डूबने का डर 
रखे दूरी सफीने से

हुनर आता है जीने का
है क्या लेना करीने से  -- वाह वाह , क्या बात है ॥

Comment by ram shiromani pathak on December 15, 2013 at 11:07pm

पिला साकी  सदा आई
शराबी के दफीने से  

पिला बेहोश होने तक 
हटे कुछ बोझ सीने से ///////वाह वाह भाई साहब बहुत खूब। ।  जय हो 

Comment by ajay sharma on December 15, 2013 at 10:35pm

उतर जाने दो रग रग में  
उड़े खुशबू पसीने से........vishesh  hai 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on December 15, 2013 at 9:08pm
आदरणीय नीरज जी हौसलाफजाई के लिए शुक्रिया .....................एक महीने इसीलिए के बीबी साथ थी ................हा हा हा ...............वैसे सच कहूँ तो दो महीनों से हो जाता कई महीनों लिखना पड़ता इसीलिए इक महीने से लिखा है .अब पता नहीं शायद में सही होऊं.....स्नेह यूँ ही बनाये रखिये
Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on December 15, 2013 at 9:06pm
आपका ह्रदय से धन्यवाद आदरणीय शिज्जू जी .....स्नेह यूँ ही बनाये रखिये
Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on December 15, 2013 at 9:05pm
आपका बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीया कुंती जी ......स्नेह बनाये रखिये
Comment by Neeraj Neer on December 15, 2013 at 9:00pm

बहुत सुन्दर ग़ज़ल लगी आदरणीय सारे अश आर बहुत सुन्दर .. लेकिन एक ही महीने से क्यों ... :)

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज जी इस बह्र की ग़ज़लें बहुत नहीं पढ़ी हैं और लिख पाना तो दूर की कौड़ी है। बहुत ही अच्छी…"
47 minutes ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. धामी जी ग़ज़ल अच्छी लगी और रदीफ़ तो कमल है...."
52 minutes ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"वाह आ. नीलेश जी बहुत ही खूब ग़ज़ल हुई...."
55 minutes ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय धामी जी सादर नमन करते हुए कहना चाहता हूँ कि रीत तो कृष्ण ने ही चलायी है। प्रेमी या तो…"
1 hour ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय अजय जी सर्वप्रथम देर से आने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ।  मनुष्य द्वारा निर्मित, संसार…"
1 hour ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । हो सकता आपको लगता है मगर मैं अपने भाव…"
16 hours ago
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"अच्छे कहे जा सकते हैं, दोहे.किन्तु, पहला दोहा, अर्थ- भाव के साथ ही अन्याय कर रहा है।"
19 hours ago
Aazi Tamaam posted a blog post

तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या

२१२२ २१२२ २१२२ २१२इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्यावैसे भी इस गुफ़्तगू से ज़ख़्म भर…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"परम् आदरणीय सौरभ पांडे जी सदर प्रणाम! आपका मार्गदर्शन मेरे लिए संजीवनी समान है। हार्दिक आभार।"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

दोहा सप्तक. . . . विविधमुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"ऐसी कविताओं के लिए लघु कविता की संज्ञा पहली बार सुन रहा हूँ। अलबत्ता विभिन्न नामों से ऐसी कविताएँ…"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

छन्न पकैया (सार छंद)

छन्न पकैया (सार छंद)-----------------------------छन्न पकैया - छन्न पकैया, तीन रंग का झंडा।लहराता अब…See More
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service