For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

भोले मन की भोली पतियाँ

भोले मन की भोली  पतियाँ

लिख लिख बीतीं हाये रतियाँ

अनदेखे उस प्रेम पृष्ठ को

लगता है तुम नहीं पढ़ोगे

सच लगता है!

बिन सोयीं हैं जितनीं रातें

बिन बोलीं उतनी ही बातें

अगर सुनाऊँ तो लगता है

तुम मेरा परिहास करोगे

सच लगता है!

रहा विरह का समय सुलगता

पात हिया का रहा झुलसता

तन के तुम अति कोमल हो प्रिय

नहीं वेदना सह पाओगे

सच लगता है!

संशोधित

मौलिक व अप्रकाशित

९॰११॰२००० - पुरानी डायरी से

Views: 1524

Comments are closed for this blog post

Comment by वेदिका on December 2, 2013 at 11:48am

आभार आ० अरुण जी! आपकी सकारात्मक प्रतिक्रिया से संबल मिला|

अवश्य ही अरुण जी!!

Comment by वेदिका on December 2, 2013 at 11:46am

बहुत बहुत आभार व्यक्त करती हूँ| आप सभी ने रचना को सराहा,

आ० शिज्जु जी! प्रिय संदीप भैया! आ० सारथी जी! आ० संजु जी!

Comment by वेदिका on December 2, 2013 at 11:41am

आ० कल्पना दीदी!

आपके प्रोत्साहन की आभारी हूँ| आपके सुझाव पश्चात रचना को मात्रा पर संतुलित किया है| कृपया दृष्टि पात करके रचना को सार्थक कीजिएगा!  

Comment by Shyam Narain Verma on December 2, 2013 at 11:38am

बहुत सुन्दर भावों से सजी रचना.... बहुत बहुत बधाई ....

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 2, 2013 at 11:16am

आदरणीया गीतिका बेहद सुन्दर रचना भावों तो इतने सुन्दर हैं कि बस मन प्रसन्न हो उठा आदरणीया डायरी के पुराने पन्ने पुनः पलटिये क्या पता ऐसा खजाना और भी मिल जाये. बहुत ही सुन्दर रचना गीतिका जी बहुत बहुत बधाई आपको

Comment by वेदिका on December 2, 2013 at 11:10am

आ० राजेश दी! आपका आभार व्यक्त करती हूँ, आपने रचना के संशय को आशावादी दृष्टिकोण से सराहा| 

Comment by sanju shabdita on December 1, 2013 at 3:42pm

वाह वाह वाह गीतिका जी वाह आपने उस भोले मन को बखूबी चित्रित किया है जो पतियां के आगे रतियां का कोई महत्व स्वीकार नहीं करता ।

भोले मन की भोली  पातियाँ

लिख लिख बीतीं हाये रतियाँ

अनदेखे उस प्रेम पृष्ठ को

लगता है कि नहीं पढ़ोगे

सच लगता है!                       वाह सुंदर अप्रतिम

Comment by कल्पना रामानी on December 1, 2013 at 3:26pm

गीतिका जी, गीत बहुत ही सुंदर है लेकिन अंतरों की लय और मात्राएँ संतुलित हों तो सुंदरता और बढ़ जाएगी।....खूबसूरत  भावाभिव्यक्ति के लिए हार्दिक बधाई

Comment by Saarthi Baidyanath on December 1, 2013 at 1:37pm

वाह वाह ....शरारत और शोखियों से लबरेज गीतिका ..... बहुत सुन्दर चित्रण ...! बधाई स्वीकार करें :)


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 1, 2013 at 11:50am

वाह बेहतरीन बहुत बढ़िया आदरणीया गीतिका जी अपने मनोभावों का बहुत खूबसूरत वर्णन किया है,बहुत बहुत बधाई आपको

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय बधाई हो"
4 hours ago
Aazi Tamaam commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"अच्छी रचना हुई आदरणीय बधाई हो"
4 hours ago
Aazi Tamaam commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"अच्छी ग़ज़ल हुई आदरणीय बधाई हो 3 बोझ भारी तले को सुधार की आवश्यकता है"
4 hours ago
Aazi Tamaam commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय इस बह्र पर हार्दिक बधाई"
4 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सुरेंद्र इंसान जी इस ज़र्रा नवाज़ी का"
4 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"बहुत शुक्रिया आदरणीय भंडारी जी इस ज़र्रा नवाज़ी का"
4 hours ago
surender insan commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई जी  छन्न पकैया (सारछंद) में आपने शानदार और सार्थक रचना की है। बहुत बहुत बधाई…"
6 hours ago
surender insan commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरणीय आज़ी भाई आदाब। बहुत बढ़िया ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करे जी।"
6 hours ago
surender insan commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सौरभ जी सादर नमस्कार जी। ग़ज़ल पर आने के लिए और अपना कीमती वक़्त देने के लिए आपका बहुत बहुत…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई ,सुन्दर  , सार्थक  देश भक्ति  से पूर्ण सार छंद के लिए हार्दिक…"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय सुशिल भाई , अच्छी दोहा वली की रचना की है , हार्दिक बधाई "
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरनीय आजी भाई , अच्छी ग़ज़ल कही है हार्दिक बधाई ग़ज़ल के लिए "
10 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service