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विरह मधुर ज्यों प्रीत (दोहे)//डॉ० प्राची

प्रियतम कैसा यह विरह, तन्हाँ मैं निश-प्रात ,

मधुरिम-मधुरिम वेदना, पिया प्रेम सौगात  //१//

अथक चला अब सिलसिला, मन ही मन संवाद ,

कसमें वादे नित गुनूँ, उर झूमे आह्लाद //२//

जुल्फों के छल्ले बना, खेले मन बेचैन,

स्मृतियों में खोया रहे, साँझ-भोर दिन-रैन //३//

अधरों पर चंचल हँसी, नयन अश्रु की धार,

मोती निश्छल प्रीत के, बने सहज शृंगार //४//

प्रेम रंग की ओढ़नी, साँझ ओढ़ नित आय ,

पलकें मूँदे उर जगे, विरह अगन तड़पाय //५//

नयन जागते स्वप्न में, लिए मिलन की आस,

प्रेम गीत उर गूँजते, कर झंकृत प्रति श्वाँस //६//

भाव प्रवण अनुबंध में, विरह मधुर ज्यों प्रीत,

विलयित दो अस्तित्व जब, मन मुस्काए मीत //७//

सभी सुधिजनों से सादर मार्गदर्शन अपेक्षित है..

मौलिक व अप्रकाशित 

डॉ० प्राची 

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 16, 2013 at 1:30pm

रचना के अनुमोदन के लिए हार्दिक आभार आ० श्याम नारायण वर्मा जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 16, 2013 at 1:26pm

दोहों को सराह उत्साहवर्धन करने के लिए हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण जी 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on July 16, 2013 at 1:25pm

ahaa kya sundar dohaawali rachi hai aapne aadarneeyaa anupam aur komal bhaavon se bhare in dohon ke liye bahut bahut badhaai ho


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 16, 2013 at 1:25pm

आ० वन्दना जी 

दोहावली के भावों पर आपकी सराहना पा, लेखनी को बल मिला है 

आपका आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 16, 2013 at 10:39am

प्रेम रंग की ओढ़नी, साँझ ओढ़ नित आय ,

पलकें मूँदे उर जगे, विरह अगन तड़पाय //५//

जुल्फों के छल्ले बना, खेले मन बेचैन,

स्मृतियों में खोया रहे, साँझ-भोर दिन-रैन //३// प्रिय प्राची जी ये दोहावली मन को बहुत भायी ,ये दो दोहे तो कमाल के लगे ,बहुत बहुत बधाई उर्दू जबान में कहूँ तो ,इस मुसलसल दोहा वली के लिए ढेरों दाद  

 

Comment by Shyam Narain Verma on July 16, 2013 at 9:53am
बहुत ही सुन्दर रचना , हार्दिक बधाई......................................."
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 16, 2013 at 9:45am

प्रेम, प्रणय, विरह और श्रृंगार को लेकर मधुरंम मधुरंम दोहे बहुत सुन्दर और मन भावन लगे, हार्दिक बधाई डॉ प्राची बहिन | सादर 

Comment by vandana on July 16, 2013 at 7:09am

sabhi dohoN ke bhaav bahut achchhe lage 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 16, 2013 at 12:19am

दोहावली को सराह अनुमोदित करने के लिए आभार आ० प्रवीण मालिक जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 16, 2013 at 12:19am

आदरणीय अशोक जी 

दोहावली पर उत्साहवर्धक सराहना के लिए आपको हार्दिक धन्यवाद 

सादर 

कृपया ध्यान दे...

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