For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अनाद्यानंत  आकाश में तैरते 

पारदर्शी गोलाकार 
अविरल निर्विकार 
असंख्य सूक्ष्म कण ...
स्पर्श कर सम्पूर्ण सृष्टि 
चले आते हैं मेरे पास
प्रति क्षण -
मेरे संस्पर्श को ...
और लिए जाते हैं, गुपचुप 
मुझमे से 
मेरा ही सुरभित नेह अंश,
पूरे ब्रह्माण्ड में बिखराने ...
और मैं 
पारदर्शी निगाहों में प्रेमाश्रु लिए 
एकटक निहारती हूँ 
प्रकृति की सम्पूर्णता को,
अक्सर करती
अनकही अनसुनी अनगिन बातें ...

 

मौलिक और अप्रकाशित  

डॉ० प्राची

Views: 884

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 15, 2013 at 2:38pm

प्रिय शशि पुरवार जी , रचना के भावों पर आपका अनुमादन प्राप्त हुआ ..आपका हृदय से आभार.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 15, 2013 at 2:37pm

अभिव्यक्ति की सहाहना कर लेखन विश्वास को संबल प्रदान करने के लिए आभार आ० अरुण निगम जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 15, 2013 at 2:36pm

रचना की भाव दशा आपके पाठक हृदय को संतुष्ट कर सकी, यह जान लेखन को आश्वस्ति मिली है आ० वंदना तिवारी जी 

सादर धन्यवाद 

Comment by shashi purwar on July 14, 2013 at 10:47pm

waah behad sundar bhav abhivyakti sundar rachna prachi ji badhai aapko


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on July 14, 2013 at 9:47pm

धरातल से दूर शून्य से परे, अद्वितीय रचना..............

Comment by Vindu Babu on July 14, 2013 at 5:28pm
आदरेया प्राची महोदया आपने रचना में जिस आत्मिक संवाद का वर्णन किया वह आत्मिक विकास के चरम से ही निकल सकता है।
रचना इतनी उन्नत है कि बार बार पढने के लिए चित्त आकर्षित हो रहा है।
उत्कृष्ट भावों को साझा करने लिए आपका सादर आभार।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 14, 2013 at 11:00am

रचना में भावदशा की स्वीकार्यता के अनुमोदन से अभिव्यक्ति को मान देने के लिए आपकी आभारी हूँ आ० सौरभ जी 

सादर.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 14, 2013 at 10:58am

रचना के भावों पर आपके उदार अनुमोदन के लिए आभारी हूँ आदरणीय बृजेश जी 

सादर.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 14, 2013 at 2:40am

भाव-दशा के इस विशिष्ट स्वरूप का हार्दिक स्वागत करते हुए आपकी रचना को सादर धन्यवाद कह रहा हूँ

Comment by बृजेश नीरज on July 13, 2013 at 10:25pm

आदरणीया प्राची जी भावों की गहनता और एकाग्रता में ही ऐसी रचनायें जन्म लेती हैं। कल्पना ने जो ऊंचाइयां छुई हैं वहां तक पहुंचना आसान नहीं। भाव जिस तरह बरबस छलक गए हैं वह बस आपकी लेखनी का ही कमाल है।
आपको हार्दिक बधाई इस रचना पर!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service