For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेरे गीतों को होठों से छू लो जरा

 

ज़ुल्फ बिखरा के छत पे ना आया करो , आसमाँ भी ज़मीं पर उतर आयेगा.

वक़्त बे वक़्त यूँ ना लो अंगड़ाइयां, देखने वाला बेमौत मर जायेगा.

                     होंठ तेरे गुलाबी ,शराबी नयन.

                    संगमरमर सा उजला है , तेरा बदन.

रूप यूँ ना सजाया - संवारा करो, टूट कर आईना भी बिखर जायेगा.

ज़ुल्फ बिखरा के छत पे ना आया करो , आसमाँ भी ज़मीं पर उतर आयेगा.

                     सारी दुनिया ही तुम पर, मेहरबान है.

                      देख तुमको फ़रिश्ते भी, हैरान हैं.

मुसकुरा कर अगर तुम इशारा करो , आदमी क्या - खुदा भी ठहर जायेगा.

ज़ुल्फ बिखरा के छत पे ना आया करो , आसमाँ भी ज़मीं पर उतर आयेगा.

                  तुम तसव्वुर की रंगीन, तस्वीर हो .

                  सच तो ये है कि लाखों कि, तकदीर हो.

मेरे गीतों को होठों से छू लो जरा, खुद ब खुद भाव उनका निखर जायेगा.

ज़ुल्फ बिखरा के छत पे ना आया करो , आसमाँ भी ज़मीं पर उतर आयेगा.

                    ............... सतीश मापतपुरी

Views: 796

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 2, 2012 at 10:19am

बहुत प्यारा मधुर कोमल गीत लिखा है आपने आ. सतीश मापतपुरी जी. हार्दिक बधाई स्वीकार  करे. सादर.

Comment by satish mapatpuri on April 11, 2012 at 12:04am

दिल से आभार भ्रमर जी

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on April 9, 2012 at 7:09pm

ज़ुल्फ बिखरा के छत पे ना आया करो , आसमाँ भी ज़मीं पर उतर आयेगा.

वक़्त बे वक़्त यूँ ना लो अंगड़ाइयां, देखने वाला बेमौत मर जायेगा.

सतीश जी बहुत सुन्दर और मनभावन  गीत , 

सतीश जी बहुत सुन्दर और मनभावन  गीत , 
मै तो गाने लगा गुनगुनाने लगा 
आप की धुन को धडकन बनाने लगा 
आज आये जो चन्दा तो कह दूं उसे 
ओढ़ घूँघट निकलना जरा देर से 
मै तो खुद को अरे हूँ भुलाने लगा 
बधाई हो 
.......भ्रमर ५ 
Comment by satish mapatpuri on April 6, 2012 at 2:19pm

मृदु जी ,संदीप जी तथा महिमा जी, आप तीनों का दिल से आभार

Comment by MAHIMA SHREE on April 6, 2012 at 1:11pm
आदरणीय सतीश सर ,
नमस्कार ,
पता नहीं क्यों ,मुझे आपके गीत पढ़ कर अनायास ही मुहमद रफ़ी साहब, गुलाम अली ,और जगजीत सिंह इन तीनो की याद बरबस आ गयी..उर इनके द्वारा गाये गए गीतों और गजलो को याद करने लगी.....
बहुत-२ बधाई आपको..
Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on April 6, 2012 at 12:59pm

आदरणीय सतीश जी,

आपके गीत की लयात्मकता के क्या कहने हैं! जैसे ही इसे पढ़ना शुरू किया आपका गीत अपनेआप ही धुन में ढलता चला गया| वाह! बहुत ही सुन्दर गीत श्रृंगार रस से परिपूर्ण| मेरी ओर से हार्दिक बधाई!!

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on April 6, 2012 at 11:11am

श्री सतीश सर सादर नमन, गीत पढना शुरू किया तो बस गुनगुनाने लगा मुग्ध हो गया  आपके गीत पर, सर बधाई स्वीकार करें

Comment by satish mapatpuri on April 6, 2012 at 1:10am

नोकरिया ऐ भाई जी बड़ा जान मारे ....... लेखा के उप निदेशक ... मार्च के महीना .. मार्च से निजात मिलल  त तनिका तबियत   फड़कल अउरी गीत में तनिका मुलामियत आ गइल ...... सराहना के लिए आभार आदरणीय


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 6, 2012 at 12:22am

आदरणीय सतीश भाईजी,  आपको बहुत दिनों बाद देख रहा हूँ.   ए भाई ! कहवाँ रहनी हँऽ?

लेकिन आपने तो सारे उलाहनों से सीधे भिड़ने का मन बना रखा है. ..  :-))  क्या गीत है !

इस मुलायम गीत के लिये आपको सादर बधाइयाँ.

Comment by satish mapatpuri on April 6, 2012 at 12:12am

हौसला अफजाई के लिए धन्यवाद अश्विनीजी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
8 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील भाई , अच्छे दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें "
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , खूब सूरत मतल्ले के साथ , अच्छी ग़ज़ल कही है , हार्दिक  बधाई स्वीकार…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल  के शेर पर आपकी विस्तृत प्रतिक्रिया देख मन को सुकून मिला , आपको मेरे कुछ…"
10 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपसे मिले अनुमोदन हेतु आभार"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service