For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अहीर छंद "प्रदूषण"

बढ़ा प्रदूषण जोर।
इसका कहीं न छोर।।
संकट ये अति घोर।
मचा चतुर्दिक शोर।।

यह दावानल आग।
हम सब पर यह दाग।।
जाओ मानव जाग।
छोड़ो भागमभाग।।

मनुज दनुज सम होय।
मर्यादा वह खोय।।
स्वारथ का बन भृत्य।
करे असुर सम कृत्य।।

जंगल करत विनष्ट।
सहे जीव-जग कष्ट।।
प्राणी सकल कराह।
भरते दारुण आह।।

यंत्र-धूम्र विकराल।
ज्यों यह विषधर व्याल।।
जकड़ जगत निज दाढ़।
विपदा करे प्रगाढ़।।

दूषित वायु व नीर।
जंतु समस्त अधीर।।
संकट में अब प्राण।
उनको कहीं न त्राण।।

प्रकृति-संतुलन ध्वस्त।
सकल विश्व अब त्रस्त।।
अन्धाधुन्ध विकास।
आया जरा न रास।।

विपद न यह लघु-काय।
पर अब जग-समुदाय।।
मिलजुल करे उपाय।
तब यह टले बलाय।।

(यह 11 मात्रा का छंद है जिसका अंत जगण 121 से होना आवश्यक है)

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 529

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 25, 2019 at 8:55pm

बहुत खूबसूरत छंद बहुत सुन्दर निर्वाह 
हार्दिक बधाई 

Comment by Samar kabeer on April 23, 2019 at 3:06pm

जनाब बासुदेव अग्रवाल 'नमन'जी आदाब, अच्छे छन्द हुए हैं,बधाई स्वीकार करें ।

Comment by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on April 20, 2019 at 8:51am

आ0 सुशील सारना जी आपका बहुत बहुत आभार।

Comment by Sushil Sarna on April 18, 2019 at 8:02pm

आदरणीय वासुदेव जी अति सुंदर और प्रवाहमयी सृजन के लिए दिल से बधाई ।

Comment by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on April 18, 2019 at 4:05pm

आ0 गोपाल नारायण जी आपका बहुत बहुत आभार।

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on April 18, 2019 at 1:40pm

आ०, ग्यारह सम मात्रिक छंद जिसके प्रत्येक चरणात में १२१ अनिवार्य का कुशल निर्वाह  i इस छंद की एक धुन भी है ,जिसमे प्रवाह होता है जैसे 

ओ मेरे मनमीत 

दिल मेरा तू जीत 

गा जीवन के गीत 

मुझे मिले नवनीत 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय मिथिलेश भाई, रचनाओं पर आपकी आमद रचनाकर्म के प्रति आश्वस्त करती है.  लिखा-कहा समीचीन और…"
12 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ सर, गाली की रदीफ और ये काफिया। क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस शानदार प्रस्तुति हेतु…"
15 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service