For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

काम क्रोध तन में भरा, बढ़ा खूब व्यभिचार।
रावण अन्तस में लिए, घूम रहा संसार।।

काँटे ही ज्यादा यहाँ, और बहुत कम फूल।
सत्य अहिंसा प्रेम को, मनुज गया है भूल।।

राजनीति गंदी हुई, गुंडा करते राज
रामराज सपना हुआ, देख रहे हैं आज।।

साये में आतंक के, झूल रहा संसार।
नरता रही कराह है, गूँजे चीख पुकार।।

आज तिरस्कृत हो रही, नारी हर घर द्वार।
उरियानी के दौर में, फैला विषम विकार।।

सब्ज-बाग में फाँसकर, संसद पँहुचे चोर।
जाति धर्म में पिस रहा, लोकतंत्र कमजोर।।

महँगाई सुरसा बनी, निगल रही सुख-चैन,
बचपन भूखा सो रहा, रोते निर्धन नैन।

काम-क्रोध-छल-कपट सब, मानवता के शूल।
निज इन्द्रिय पर विजय ही, विजयपर्व का मूल।।

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 468

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on October 18, 2016 at 4:57pm
आदरणीय सुरेंद्र नाथ सिंह कुशक्षत्रप जी सुन्दर एवं भावपूर्ण रचना के लिए हार्दिक बधाई प्रेषित है । सादर ।
Comment by नाथ सोनांचली on October 18, 2016 at 4:31am
आदरणीय समर कबीर साहब सादर प्रणाम, आपके आशीष से धन्य हुवा। ह्रदय से आभार आपका
Comment by नाथ सोनांचली on October 18, 2016 at 4:30am
आदरणीय बासुदेव अग्रवाल नमन जी सादर अभिवादन, यूँही आशीष देते रहें। ह्रदय तल से आपका आभार
Comment by Samar kabeer on October 17, 2016 at 5:37pm
जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह जी आदाब,सभी दोहे अच्छे हुए हैं,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।
Comment by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on October 17, 2016 at 4:18pm
आदरणीय सुरेन्द्र नाथजी सारे दोहे बहुत ही सुंदर और भाव प्रधान बने हैं। हार्दिक बधाई।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor updated their profile
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। समाँ वास्तव में काफिया में उचित नही…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, हार्दिक धन्यवाद।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई तिलक राज जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, स्नेह और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय तिलकराज कपूर जी, पोस्ट पर आने और सुझाव के लिए बहुत बहुत आभर।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service