For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्रिय ! इस जीवन का तुम बसंत हो ....

प्रिय ! इस जीवन का तुम बसंत हो ....

तुम ही आदि हो तुम ही अनन्त हो
प्रिय ! इस जीवन का तुम बसंत हो

नयन आँगन का तुम मधुमास हो
रक्ताभ अधरों की तुम ही प्यास हो
तुम ही सुधि हो मेरे मधु क्षणों की
मेरे एकांत का तुम ही अवसाद हो
नयन पनघट का  मिलन  पंथ हो

तुम ही आदि हो तुम ही अनन्त हो
प्रिय ! इस जीवन का तुम बसंत हो


इस  जीवन  की  तुम  हो परिभाषा
मिलन- ऋतु  की  तुम  अभिलाषा
भ्रमर  आसक्ति  का  मधु  पुष्प हो
बिना  दरस  दृग  तुम बिन प्यासा
इस  प्रेम  विरह  का तुम्ही अंत हो

तुम ही आदि हो तुम ही अनन्त हो
प्रिय ! इस जीवन का तुम बसंत हो

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 631

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on January 28, 2015 at 10:53am

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी रचना पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का तहे दिल शुक्रिया।  आभार  विलम्ब के लिए क्षमा। 

Comment by Sushil Sarna on January 28, 2015 at 10:52am

आदरणीय Er. Ganesh Jee "Bagi" जी रचना पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का तहे दिल शुक्रिया।  आभार  विलम्ब के लिए क्षमा। आपका आग्रह पर मैं अवश्य कार्य करूंगा। आपके आग्रह ने रचना का जो गौरव बढ़ाया है उसके लिए आपका हार्दिक आभार। 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 26, 2015 at 10:50am

आदरणीय सुशील भाई , बहुत सुन्दर गीत रचना हुई है , वाह ! आपको दिली बधाइयाँ ।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 25, 2015 at 2:52pm

बहुत ही खुबसूरत गीत, एक अंतरा और लिखिए आदरणीय आनंद आ जायेगा, इस खुबसूरत अभिव्यक्ति पर बहुत बहुत बधाई.

Comment by Sushil Sarna on January 25, 2015 at 11:48am

आदरणीय Satyanarayan Sing जी रचना पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on January 25, 2015 at 11:48am

आदरणीय Hari Prakash Dubey जी रचना पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on January 25, 2015 at 11:48am

आदरणीय जितेन्द्र पस्टारिया    जी रचना पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार। 

Comment by Satyanarayan Singh on January 24, 2015 at 10:23pm

प्रिय ! इस जीवन का तुम बसंत हो....

प्रेम रस में पगी  सुन्दर , अति सुन्दर गीत हेतु ढेरों बधाई स्वीकार करें. आ. सुशील  सरना जी 

Comment by Hari Prakash Dubey on January 24, 2015 at 7:44pm

आदरणीय सुशील सरना सर .........तुम ही आदि हो तुम ही अनन्त हो 
प्रिय ! इस जीवन का तुम बसंत हो........सम्पूर्ण रचना ही सुन्दर है , हार्दिक बधाई ! सादर 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on January 24, 2015 at 7:41pm

प्रिय ! इस जीवन का तुम बसंत हो...वाह! बहुत सुंदर. बधाई आदरणीय शरना जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीया प्राची दीदी जी, आपको नज़्म पसंद आई, जानकर खुशी हुई। इस प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक…"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, आपके प्रत्युत्तर की प्रतीक्षा में हैं। "
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आभार "
15 hours ago

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय, यह द्वितीय प्रस्तुति भी बहुत अच्छी लगी, बधाई आपको ।"
15 hours ago

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"वाह आदरणीय वाह, पर्यावरण पर केंद्रित बहुत ही सुंदर रचना प्रस्तुत हुई है, बहुत बहुत बधाई ।"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर आभार।"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर बेहतरीन कुंडलियाँ छंद हुए है। हार्दिक बधाई।"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर बेहतरीन छंद हुए है। हार्दिक बधाई।"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई तिलक राज जी, सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति और स्नेह से लेखन को पूर्णता मिली। हार्दिक आभार।"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई सुरेश जी, हार्दिक धन्यवाद।"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई गणेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार।"
16 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service